मोमबत्तियां जलाकर और शोक सभाओं के साथ रूस और दूसरे देशों ने 75 साल पहले सोवियत संघ पर नाजी जर्मनी के हमले की याद की. जर्मन राष्ट्रपति ने इस मौके पर कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध में और किसी देश के इतने लोग शिकार नहीं हुए.
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22 जून 1941 को नाजी जर्मन सेना वेयरमाख्त ने हिटलर के आदेश पर सोवियत संघ पर हमला किया था. रूसी संसद में सांसदों ने मौन रखकर 1945 तक चले विश्व युद्ध में लाखों सोवियत नागरिकों की मौत की याद की. राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने अज्ञात सैनिक के स्मारक पर फूलमालाएं चढ़ाईं. बहुत से रूसी नागरिकों ने मंगलवार की रात अपनी खिड़कियों पर दिये जलाकर शहीदों की याद की.
मॉस्को में केंद्रीय स्मारक पर युवा रूसियों ने ऐतिहासिक यूनीफॉर्म में पहरा दिया. यूक्रेन में राष्ट्रपति पेत्रो पोरोशेंको ने कहा कि उनका देश नाजीवाद और स्टालिनवाद का शिकार रहा है. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सोवियत संघ के सबसे ज्यादा लोग यूक्रेन और बेलारूस में मारे गए.
मॉस्को में सांसदों को संबोधित करते हुए पुतिन ने नाटो पर सीमा पर आक्रामक बर्ताव का आरोप लगाया. और उन्होंने कहा कि इसीलिए रूस को सुरक्षा की तैयारी बढ़ानी होगी. नाटो ने अगले साल पोलैंड और तीन बाल्कन देशों में 4,000 सैनिक तैनात करने का फैसला लिया है. यह फैसला 2014 में रूस द्वारा यूक्रेन के क्रीमिया को हथियाने के कारण लिया गया है. बाल्टिक देशों का कहना है कि उन्हें रूस से खतरा है. पुतिन ने कहा कि इन परिस्थितियों में रूस अपनी रक्षात्मक तैयारी पर खास ध्यान देने के लिए कर्तव्यबद्ध है.
1945: त्रासदी का अंत
हार, मुक्ति और कब्जा. मई 1945 में जर्मनी के आत्मसमर्पण के साथ यूरोप में द्वितीय विश्वयुद्ध खत्म हुआ. जर्मनी मलबे में था. अमेरिकी और सोवियत सैनिक जर्मनी के सैनिकों और नागरिकों से मिले जिनके खिलाफ वे सालों से लड़ रहे थे.
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अंत की शुरुआत
नॉर्मंडी में 6 जून 1944 को मित्र राष्ट्रों की सेना के उतरने के साथ नाजी जर्मनी के पतन की शुरुआत का बिगुल बज गया. 1945 के शुरू में अमेरिकी सैनिक जारलैंड पहुंचे और जारब्रुकेन के करीब उन्होंने एक गांव पर कब्जा कर लिया. अभी तक जर्मन सैनिक हथियार डालने को तैयार नहीं थे.
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प्रतीक से ज्यादा
हिटलर की टुकड़ियों की हार को रोकना काफी समय से संभव नहीं था, फिर भी राजधानी बर्लिन में अप्रैल 1945 में जमकर लड़ाई हो रही थी. सोवियत सेना शहर के बीच में ब्रांडेनबुर्ग गेट तक पहुंच गई थी. उसके बाद के दिनों में राजधानी बर्लिन में हजारों सैनिकों और गैर सैनिक नागरिकों ने आत्महत्या कर ली.
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कोलोन में पेट्रोलिंग
पांच साल में 262 हवाई हमलों के बाद राइन नदी पर स्थित शहर कोलोन में भी मई 1945 में युद्ध समाप्त हो गया. करीब करीब पूरी तरह नष्ट शहर में कुछ ही सड़कें बची थीं जिनपर अमेरिकी सैनिक गश्त कर रहे थे. ब्रिटिश मार्शल आर्थर हैरिस के बमवर्षकों ने शहर का हुलिया बदल दिया था जो आज भी बना हुआ है.
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प्रतीक वाली तस्वीर
जर्मनी को दो ओर से घेरने वाली सेनाओं का मिलन टोरगाऊ में एल्बे नदी पर स्थित पुल के मलबे पर हुआ. 25 अप्रैल 1945 को सोवियत सेना की 58वीं डिवीजन और अमेरिकी सेना की 69वीं इंफेंटरी डिवीजन के सैनिक एक दूसरे से मिले. इस प्रतीकात्मक घटना की यह तस्वीर पूरी दुनिया में गई.
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सदमे में विजेता
अमेरिकी सेना के पहुंचने तक म्यूनिख के निकट दाखाऊ में स्थित नाजी यातना शिविर में बंदियों को मारा जा रहा था. इस तस्वीर में अमेरिकी सैनिकों को शवों को ट्रांसपोर्ट करने वाली एक गाड़ी पर देखा जा सकता है. दिल के कड़े सैनिक भी संगठित हत्या के पैमाने पर अचंभित थे.
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विजय का झंडा
2 मई 1945 को एक सोवियत सैनिक ने बर्लिन में संसद भवन राइषटाग पर हसिया हथौड़े वाला सोवियत झंडा लहरा दिया. शायद ही और कोई प्रतीक तृतीय राइष के पतन की ऐसी कहानी कहता है जैसा कि विजेता सैनिकों द्वारा नाजी सत्ता के एक केंद्र पर झंडे का लहराना.
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18 मिनट में मौत
उत्तर जर्मनी के छोडे शहर एम्डेन का त्रासदीपूर्ण दुर्भाग्य. 6 सितंबर 1944 को वहां पर कनाडा के लड़ाकू विमानों ने 18 मिनट के अंदर 15,000 बम गिराए. एम्स नदी और समुद्र के मुहाने पर स्थित बंदरगाह पर अंतिम हवाई हमला 25 अप्रैल 1945 को हुआ. युद्ध में बुरी तरह बर्बाद हुए यूरोपीय शहरों में एम्डेन भी शामिल है.
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मोर्चे से युद्धबंदी
जो जर्मन सैनिक युद्ध में बच गया उसके लिए युद्धबंदी का जीवन इंतजार कर रहा था. सोवियत कैद के बदले ब्रिटिश और अमेरिकी सेना के कैद को मानवीय समझा जाता था. 1941 से 1945 के बीच 30 लाख जर्मन सैनिक सोवियत कैद में गए. उनमें से 11 लाख की मौत हो गई. अंतिम युद्धबंदियों को 1955 में रिहा किया गया.
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सबसे अहम खबर
यही खबर पाने के लिए अमेरिकी सैनिक लड़ रहे थे. 2 मई 1945 को अमेरिकी सैनिकों को सेना के अखबार स्टार एंड स्ट्राइप्स से अडोल्फ हिटलर की मौत के बारे में पता चला. सैनिकों के चेहरों पर राहत की झलक देखी जा सकती है. द्वितीय विश्वयुद्ध का अंत करीब आ रहा था.
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मलबे में उद्योग
पहले विश्वयुद्ध की तरह स्टील और हथियार बनाने वाली एसेन शहर की कंपनी क्रुप हिटलर के विजय अभियान में मदद देने वाली प्रमुख कपनी थी. यह परंपरासंपन्न कंपनी मित्र देशों की सेनाओं की बमबारी के प्रमुख लक्ष्यों में एक है.1945 तक क्रुप के कारखानों में हजारों बंधुआ मजदूरों से काम लिया जाता था.
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नष्ट बचपन
वे युद्ध को समझ नहीं सकते, फिर भी जर्मनी में हर कहीं दिखने वाला मलबा लाखों बच्चों के लिए खेलने की जगह है. मलबों से दबे जिंदा बमों से आने वाले खतरों के बावजूद वे यहां खेलते हैं. एक पूरी पीढ़ी के लिए युद्ध एक सदमा है जिसकी झलक जर्मनों की कड़ी मेहनत और किफायत में दिखती है.
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युद्ध से क्या बचा
युद्ध में इंसान. यह जर्मन सैनिक जिंदा बच गया. लेकिन जिंदगी सामान्य होने में अभी देर है. जर्मनी में 1945 में पीने का पानी, बिजली और हीटिंग लक्जरी थी. इसमें जिंदा रहने के लिए जीजिविषा, गुजारा करने की इच्छा और मुसीबतों और अभाव से निबटने का माद्दा चाहिए.
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बर्लिन में वसंत
युद्ध की समाप्ति के 70 साल बाद बर्लिन, ठीक ब्रांडेनबुर्ग गेट के सामने. वह जगह जहां अतीत वर्तमान के साथ नियमित रूप से टकराता है. मई 45- बर्लिन में वसंत के नाम वाली एक प्रदर्शनी राजधानी में जर्मनी सेना के आत्मसमर्पण और यूरोप में दूसरे विश्वयुद्ध के खात्मे की याद दिला रही है.
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द्वितीय विश्वयुद्ध में सोवियत संघ पर हमले की याद करते हुए जर्मनी के राष्ट्रपति योआखिम गाउक ने रूसी अखबारों के लिए एक लेख लिखा है. गाउक ने लिखा है, "द्वितीय विश्व युद्ध में और किसी देश में सोवियत संघ जितने लोग शिकार नहीं बने. करीब 2.7 करोड़ लोगों ने अपनी जान गंवायी." राष्ट्रपति ने इस मौके पर चेतावनी देते हुए कहा, "शांति अपने आप में सुनिश्चित नहीं है." साथ ही उन्होंने कहा कि रूसी सेना के आगे बढने के दौरान और बाद में सोवियत कब्जे वाले इलाकों में नए अन्याय हुए. राष्ट्रपति ने कहा कि इससे नाजी जर्मनी पर जीत में सोवियत जनता का हिस्सा कम नहीं होता.
सोवियत संघ पर हमले की वर्षगांठ पर जर्मनी की संसद में बहस हो रही है. इस मौके पर विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर मुख्य भाषण देंगे. उन्होंने इस मौके पर रूस, यूक्रेन और बेलारूस के अखबारों के लिए लिखे अपने एक लेख में कहा है, "दूसरे विश्व युद्ध की बर्बरता और जर्मनी की जिम्मेदारी की याद बनाए रखना हमारे देशों के बीच सहमेल की अपरिहार्य शर्त है और रहेगी." साथ ही उन्होंने कहा है "फिर कभी नहीं."
एमजे/आरपी (डीपीए)
ऐतिहासिक आजादी की याद
8 मई 1945 की तारीख गवाह है हिटलर की जर्मनी के बिना शर्त हथियार डालने की, और इसी के साथ यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की. जर्मनी में कई स्मारकों पर इसे मित्र देशों से मिली आजादी के दिन के तौर पर याद करते है.
तस्वीर: DW/F. Müller
हुर्टगेन फॉरेस्ट की लड़ाई
जर्मनी में आखेन के पास स्थित हुर्टगेन फॉरेस्ट में अमेरिकी सेनाओं ने जर्मन सशस्त्र बलों के विरूद्ध निर्णायक युद्ध लड़ा. जर्मनी की धरती पर मित्र सेना की यह एक महत्वपूर्ण जीत थी. यह अक्टूबर 1944 से लेकर फरवरी 1945 तक चली जर्मनी के इतिहास में सबसे लंबी लड़ाई रही.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Oliver Berg
रेमागन का पुल
7 मार्च 1945 को बॉन शहर के दक्षिण में स्थित रेमागन के रेलवे पुल को ठीक ठाक हालत में देख कर अमेरिकी सेनाएं हैरान थीं. उन्होंने उस पर कब्जा जमाया और हजारों अमेरिकी सैनिकों ने पहली बार राइन नदी को पार किया. इस घटना को "रेमागन का चमत्कार" कहा जाता है. कब्जे के 10 दिनों के भीतर ही बमबारी के कारण पुल ध्वस्त हो गया. आज उसके अवशेषों पर एक शांति स्मारक बना हुआ है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Thomas Frey
राइषवाल्ड फॉरेस्ट युद्ध कब्रिस्तान
अमेरिकी सेना अपने सैनिकों को देश वापस ले गई लेकिन युद्ध में मारे गए ब्रिटिश सैनिकों को जर्मनी के ही 15 कब्रिस्तानों में दफनाया गया. इनमें से सबसे बड़ी कब्रगाह कॉमनवेल्थ वॉर सीमिट्री जर्मन-डच सीमा के पास है.
तस्वीर: Gemeinfrei/DennisPeeters
सीलो हाइट्स मेमोरियल
पूर्वी सीमा पर सोवियत रेड आर्मी ने 16 अप्रैल 1945 को अंतिम बड़ा आक्रमण किया था. सीलो हाइट्स की लड़ाई भोर में बमों की बरसात के साथ शुरु हुई और बर्लिन की ओर बढ़त बनाती गई. इस युद्ध में करीब 9 लाख सोवियत सैनिकों के सामने 90,000 जर्मन सशस्त्र बल के सैनिक थे, जिनमें से हजारों इस युद्ध में मारे गए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Patrick Pleul
टोरगाउ में एल्बे दिवस
जर्मन धरती पर सोवियत और अमेरिकी सेनाओं की सबसे पहली मुलाकात टोरगाउ में एल्बे नदी पर 25 अप्रैल 1945 को हुई. इसी मुलाकात के साथ पूर्वी और पश्चिमी फ्रंट के बीच दूरी खत्म हुई. टोरगाउ में दोनों पक्षों के बीच हाथ मिलाने की तस्वीरें ऐतिहासिक बन गईं. उस दिन को एल्बे दिवस के रूप में याद किया जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/H. Schmidt
जर्मन-रूसी संग्रहालय, बर्लिन
8-9 मई 1945 की रात को जर्मन सेना ने जिस जगह पर बिना शर्त आत्मसमर्पण करने के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे, वह थी बर्लिन-कार्लहोर्स्ट की ऑफिसर्स मेस. आज उसी जगह बने म्यूजियम में सरेंडर रूम में उस मूल दस्तावेज को संभालकर रखा गया है, जिसे अंग्रेजी, जर्मन और रूसी भाषा में लिखा गया था.
तस्वीर: picture-alliance/ZB
सोवियत वॉर मेमोरियल, ट्रेप्टोवर पार्क
विशाल ट्रेप्टोवर पार्क में स्थित स्मारक और मिलिट्री कब्रिस्तान कुल मिलाकर करीब 100,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. इसे द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद बर्लिन की लड़ाई में मारे गए रेड आर्मी सैनिकों की स्मृति में बनाया गया था.
तस्वीर: picture-alliance/ZB/Matthias Tödt
सेसिलियनहोफ पैलेस में पोट्सडाम कॉन्फ्रेंस
नाजी जर्मनी के आत्मसमर्पण के बाद तीन प्रमुख मित्र देशों के राष्ट्राध्यक्ष पोट्सडाम के सेसिलियनहोफ पैलेस में ही मिले थे. 1945 की गर्मियों में यहां हुई जोसेफ स्टालिन, हैरी ट्रूमन और विंस्टन चर्चिल की मुलाकात को पोट्सडाम कॉन्फ्रेंस के नाम से जाना गया. इसमें ही युद्ध के बाद के यूरोप की व्यवस्था को लेकर चर्चा हुई और जर्मनी को चार ऑक्यूपेशन जोन्स में बांटने का निर्णय हुआ.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Ralf Hirschberger
एलाइड म्यूजियम
बर्लिन भी चार सेक्टरों में बंटा हुआ था. सेलेनडॉर्फ जिला अमेरिकन सेक्टर था, जहां स्थित अमेरिकी सेना का सिनेमा "आउटपोस्ट" आज एलाइड म्यूजियम का हिस्सा है. यहां 1945 में पश्चिमी बर्लिन पर कब्जे के राजनैतिक इतिहास और सैनिक प्रतिबद्धताओं के बारे में विस्तृत जानकारी रखी गई है.
तस्वीर: AlliiertenMuseum/Chodan
शोएनहाउजेन पैलेस, बर्लिन
प्रशियन शासकों का यह महल 1990 में जर्मनी और कब्जा करने वाली सेनाओं के बीच हुए महत्वपूर्ण गोल मेज सम्मेलन का गवाह बना. अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस और सोवियत संघ - इन चारों शक्तियों ने जर्मनी में हासिल किए अपने सभी अधिकार छोड़ने का फैसला किया, जिससे आगे चलकर जर्मन एकीकरण का रास्ता साफ हुआ.