अनुच्छेद 66A के तहत आपत्तिजनक जानकारी कंप्यूटर या मोबाइल फोन से भेजना दंडनीय अपराध था. ऐसे मामलों में अब से पहले तीन साल तक की जेल और जुर्माने की सजा हो सकती थी. इस धारा का इस्तेमाल पूरे देश की पुलिस सोशल मीडिया में किसी को पोस्ट को आपत्तिजनक मानकर उसे भेजने वाले को गिरफ्तार करने के लिए कर रही थी. पोस्ट को शेयर करने वालों को भी निशाना बनाया जा रहा था. अब इस धारा के निरस्त होने से सोशल मीडिया पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए संबंधित व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा.
न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की खंडपीठ ने कानून की छात्रा श्रेया सिंघल एवं अन्य लोगों की याचिकाएं स्वीकार करते हुए अभिव्यक्ति की आजादी को सर्वोपरि ठहराया है. न्यायालय ने कहा कि धारा 66ए असंवैधानिक है और इससे अभिव्यक्ति की आजादी का हनन होता है. याचिकाकर्ताओं में कुछ गैरसरकारी संगठन भी शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कहा गया था कि ये प्रावधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हर नागरिक का मौलिक अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह कानून संविधान में दिए गए अभिव्यक्ति के अधिकार से मेल नहीं खाता.
याचिका के खिलाफ सरकार का कहना था कि साइबर अपराधों से बचने के लिए यह कानून जरूरी है. जनता को इंटरनेट पर आजादी देने से भड़काऊ पोस्ट से आक्रोश फैलने का खतरा रहता है. मुंबई की एक लड़की नें 2012 में हिंदू संगठन शिव सेना के तत्कालीन प्रमुख बाल ठाकरे की मृत्यु पर मुंबई बंद के विरोध में पोस्ट किया. इसके बाद उसे और उसके पोस्ट को लाइक करने वाली एक और लड़की को गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद ही कानून की पढ़ाई कर रही श्रेया सिंघल ने यह याचिका दायर की थी. श्रेया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है.
पश्चिम बंगाल में फेसबुक पोस्ट के लिए एक प्रोफेसर को गिरफ्तार किया गया था तो पिछले दिनों उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी एक स्कूली छात्र को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था. उसने एक रसूखदार प्रांतीय मंत्री के खिलाफ फेसबुक पर सामग्री पोस्ट की थी.
एसएफ (डीपीए/वार्ता)
स्मार्टफोन ने लोगों का जीवन बदल कर रख दिया है. अब हर छोटी बड़ी चीजों में स्मार्टफोनों की मदद ली जा रही है. आईए नजर डालते हैं कुछ अहम ऐप पर.
तस्वीर: Mobisante/Sailesh Chutaniअगर रास्ते में किसी को पैसे देने पड़ जाएं, तो फिर यह आईसेटेल तो बड़े काम का साबित हो सकता है. इस ऐप की मदद से क्रेडिट कार्ड पेमेंट किया जा सकता है. हालांकि इसके लिए फोन में एक उपकरण और जोड़ना पड़ता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaभला भाषा सिखाने के लिए ऐप क्यों न हो. जर्मन भाषा यूं तो मुश्किल मानी जाती है लेकिन अगर इस ऐप की मदद ली जाए, तो शायद आसानी हो सकती है.
ऐसी तकनीक तैयार कर ली गई है, जिसे आईफोन से जोड़ दिया जाए, तो अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है. आम तौर पर अल्ट्रासाउंड की मशीनें एक लाख डॉलर तक में मिलती हैं और यह छोटा अल्ट्रासाउंड सिर्फ 8000 डॉलर में लिया जा सकता है. अलबत्ता इसमें तस्वीरें बहुत अच्छी नहीं आतीं.
तस्वीर: Mobisante/Sailesh Chutaniअमेरिका में ताजा रिसर्च बताती है कि दुनिया भर के लोग अब मोबाइल फोन से अपनी सेहत का ख्याल रखने लगे हैं. हालांकि उनकी संख्या फिलहाल बहुत कम है लेकिन 2015 तक दुनिया भर के 30 फीसदी लोग मोबाइल फोन से सेहत के राज समझने में मदद लेने लगेंगे.
तस्वीर: Messe Düsseldorf/ctillmannआपका मोबाइल ऐसे ऐप से सज सकता है, जो आपको बताता रहेगा कि हफ्ते में किस दिन आपने कसरत की, कितनी कैलोरी बढ़ाया या घटाया. यानी आपकी सेहत पर रहेगी फोन की नजर.
तस्वीर: Nike Fuelbandदिल्ली बलात्कार कांड के बाद भारत में निर्भया ऐप तैयार किया गया है, जिसमें जरूरतमंद औरतें फोन कर सकती हैं और हेल्पलाइन से मदद ले सकती हैं.
तस्वीर: Nirbhayaसिर्फ जिस्म ही नहीं, जेब की सेहत के लिए भी ऐप तैयार हैं. पेट्रोल की घटती बढ़ती कीमतों को बताने के लिए खास ऐप बाजार में आ चुका है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaदेखने से लाचार लोगों के लिए भी तकनीक की मदद ली जा सकती है. नीयर फील्ड कम्युनिकेशन के बनाए गए ऐप की मदद से ऑडियो और टेक्स्ट को सुना जा सकता है.
तस्वीर: DW/M. Grosserऔर ये कुछ जरूरी ऐप. हर स्मार्टफोन में इस तरह के सोशल मीडिया ऐप तो भरे ही रहते हैं, जिनसे दूर रहना आजकल संभव नहीं.
अगर संगीत में रुचि है, तो यह ऐप बड़ा कारगर है. अपना संगीत खुद तैयार करने के लिए एक शानदार ऐप.
तस्वीर: Palm Products GmbHकहीं जाना हो या पता करना हो कि फलां जगह जाने में कितने पैसे लगेंगे, तो फिर इस्तेमाल कीजिए टैक्सी का ऐप. दुनिया के कई शहरों में इस तरह का ऐप इस्तेमाल में आ रहा है.
तस्वीर: Robin Powell