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अफगान महिलाएं आर्थिक स्वावलंबन की राह पर

९ मार्च २०२०

अफगानिस्तान में सड़क किनारे महिलाओं का खाने का सामान बेचना आमतौर पर नहीं दिखता है क्योंकि इस तरह के पेशों पर पुरुषों का एकाधिकार माना जाता है. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं.

Kabul Afghanistan Frauen Park Treffen Picknick
तस्वीर: Reuters/R. Chandran

30 साल की मरियम मोहम्मदी सौर ऊर्जा से लैस ठेले पर भूखे ग्राहकों को बर्गर बेचती है. यह ऐसा कारोबार है जिसमें दर्जनों महिलाओं को रोजगार मिल रहा है.अफगानिस्तान में आम तौर पर इस तरह का काम पुरुष ही करते हैं. मोहम्मदी, बुरका पहनती हैं, उनका सिर और मुंह ढंका रहता है. वह कहती हैं जब उन्होंने यह काम शुरू किया तो उनपर ताने कसे जाते थे. मोहम्मदी ने बताया, "लोगों ने मेरा मजाक उड़ाया, वे मुझपर हंसे, उन्होंने कहा देखो इसे...यह सड़क पर काम करती है. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं और लोग मुझे बहुत प्रोत्साहित कर रहे हैं.” मोहम्मदी बताती हैं, "अब मर्द भी मेरी वाहवाही करते हैं और कहते हैं कि मेरा खाना स्वादिष्ट और स्वस्थ है.”

कारोबार की शुरुआत 2018 में 27 साल के फरहद वाज्दी ने की थी. उनका जन्म पाकिस्तान में एक रिफ्यूजी कैंप में हुआ था और अब 50 महिलाओं को रोजगार दे रहे हैं. 25 महिलाएं इस तरह के ठेले चलाकर खाने का सामान बेचती हैं. उनको उम्मीद है कि इस साल में ऐसे ठेलों की संख्या 100 हो जाएगी. वह कहते हैं, "जब मैं अफगानिस्तान लौटा तो...मैंने देखा कि औरतों के साथ बहुत बुरा बर्ताव होता है. उन्हें कारोबार नहीं करने दिया जाता था, उन्हें आर्थिक आजादी की इजाजत नहीं थी और उन्हें सामाजिक रूप से सामाजिक आर्थिक अवसरों से वंचित रखा जाता था.”

तस्वीर: Reuters/R. Chandran

वाज्दी अपने प्रोजेक्ट के बारे में बताते हैं, "यह मेरे लिए ट्रिगर प्वाइंट साबित हुआ. मैंने अफगान महिलाओं के लिए काम करना शुरू कर दिया, क्योंकि मैं अफगान महिलाओं को एक बड़े मानव संसाधन के रूप में देखा, जो कौशल और ज्ञान से लैस हैं और वे अफगानिस्तान के आर्थिक विकास में समान योगदान कर सकें.” अन्य लोगों की तरह मोहम्मदी को भी चिंता है कि तालिबान कहीं सत्ता में ना जाए. कट्टरपंथी सोच वाले तालिबान ने 1996-2001 में महिलाओं की शिक्षा और काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया था. पिछले ही हफ्ते तालिबान ने अमेरिका के साथ शांति समझौते पर दस्तखत किया. अब तालिबान का कहना है कि वह बदल चुका है और महिलाओं को काम करने देगा.

मोहम्मदी कहते हैं, "यह काम हमारे लिए जरूरी है... मेरी राय में, तालिबान को महिलाओं के काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि पुरुषों और महिलाओं के बीच कोई अंतर नहीं है, और हर कोई जीवन को आगे बढ़ाने के लिए काम कर सकता है

28 साल की बेनजीर मोसावी मोहम्मदी की दलील से सहमत नजर आती हैं, वह कहती हैं, "जब मैंने इस महिला को पहली बार काम करते और बर्गर बेचते देखा तो बहुत खुश हुई. अफगान महिलाओं को खुद खड़ा होना होगा और आजादी के साथ अपनी समस्या सुलझानी होगी.”

एए/एमजे (रॉयटर्स)

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