वैज्ञानिकों ने हमारे सौर मंडल से बाहर स्थित एक ग्रह पर पानी के सबूत खोजे हैं. उन्हें धरती से दस गुना बड़े ग्रह पर वाष्प मिली है, जिससे जीवन की संभावना पैदा होती है.
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पहली बार वैज्ञानिकों को पृथ्वी जैसे ही एक ग्रह के वातावरण में पानी के सबूत मिले हैं. यह ग्रह एक बहुत दूर स्थित तारे के चारों ओर परिक्रमा कर रहा है. नई खोज से इस बात की उम्मीद जगी है कि हमारे सौर मंडल के बाहर भी कहीं जीवन संभव हो सकता है. के2-18बी उन सैकड़ों "सुपर-अर्थ" कहे जाने वाले ग्रहों में से एक है जिनका आकार धरती और वरुण ग्रहों के बीच है. अंतरिक्ष विज्ञान की तेजी से विकास करती इस शाखा में हमारी आकाशगंगा के बाहर के ग्रहों यानी तथाकथित एक्सोप्लैनेट से जुड़ी खोजें की जा रही हैं. अब तक 4,000 से भी अधिक एक्सोप्लैनेट खोजे जा चुके हैं.
इस नए ग्रह के वातावरण से जुड़ी रिसर्च यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन, यूसीएल की वैज्ञानिकों की टीम ने की है. इसे नेचर एस्ट्रोनॉमी नामके एक पीयर-रिव्यू में प्रकाशित किया गया. यूसीएल के एस्ट्रोफिजिसिस्ट इंगो वाल्डमान ने इस अहम खोज के बारे में समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "हमें पानी मिला है." यह खोज हबल स्पेस टेलिस्कोप के परीक्षणों के जरिए हुई है. वैज्ञानिकों ने के2-18बी ग्रह के वातावरण से गुजरने वाली स्टारलाइट का विश्लेषण किया और पाया कि उसमें जल वाष्प है.
ऐसा पहली बार है कि किसी सुपर-अर्थ ग्रह के "जीने लायक जोन" के वातावरण में पानी के साक्ष्य मिले हों. इससे पहले विशालकाय गैसीय पिंडों के पास ऐसी खोज हुई थी. इस बार मिले सबूतों से अनुमान लगाया जा रहा है कि उस ग्रह की सतह पर भी पानी हो सकता है.
यूसीएल के एक अंतरिक्षविज्ञानी आंगेलोस सियारास ने कहा कि टीम ऐसे एक्सोप्लैनेट पर ध्यान केंद्रित कर रही है जहां धरती से मिलती जुलती स्थितियां हों. उन्होंने कहा, "इस नजरिए से नहीं कि हम वहां जाकर रह सकें. वह सब तो अब भी साइंस फिक्शन के लायक बातें हैं." उन्होंने बताया कि के2-18बी लियो कॉन्सटिलेशन में स्थित एक ड्वॉर्फ स्टार के इर्द गिर्द चक्कर काट रहा है, जो धरती से 100 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है. सूर्य से प्रकाश को धरती से पहुंचने में कई मिनट का समय लगता है लेकिन के2-18बी ग्रह के सूर्य से तो पृथ्वी तक पहुंचने में कई सदियां लगती हैं. सियारास ने कहा, "जाहिर है हमारे लिए इतनी लंबी यात्रा करना असंभव है" इसलिए हमें अपनी धरती का ख्याल रखना होगा.
जितनी विविध पृथ्वी है, उतना ही विविध ब्रह्मांड भी है. वहां कई खूबियों वाले ग्रह हैं. कोई हीरों से भरा है तो कोई धधकता गोला सा है. एक नजर ऐसे ग्रहों पर.
तस्वीर: Reuters/Caltech/MIT/LIGO
विशाल छल्ला
पृथ्वी से 434 प्रकाश वर्ष दूर एक बड़ा ग्रह है. वैज्ञानिक इसे J1407B कहते है. यह बृहस्पति और शनि से भी 40 गुना बड़ा है. इस ग्रह के बाहर बना छल्ला 12 करोड़ किलोमीटर तक फैला है. वैज्ञानिकों को लगता है कि J1407B में चंद्रमा बनने जा रहा है.
तस्वीर: NASA/Ron Miller
पानी नहीं, सिर्फ बर्फ या गैस
सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन ग्लिश 436बी ग्रह अपने तारे के बेहत करीब घूमता है. इस वजह से इसकी सतह का तापमान 439 डिग्री तक पहुंच जाता है. अथाह गर्मी से बर्फ सीधे गैसों में टूट जाती है और ग्रह के आस पास हाइड्रोजन के बादल बनने लगते हैं.
तस्वीर: NASA/public domain
तारकोल से लबालब
बाहरी ब्रह्मांड में ट्रेस-2b नाम का ग्रह भी मिला. यह अपने तारे से मिलने वाली सिर्फ एक फीसदी रोशनी को परावर्तित करता है. इसे ब्रह्मांड का अब तक खोजा गया सबसे काला ग्रह माना जाता है. ग्रह की सतह में विषैला तारकोल और उससे निकलने वाली गैसें हैं.
तस्वीर: NASA/Kepler/TrES/David A. Aguilar (CfA)
तीन सूरज वाला ग्रह
HD 188 753 Ab पहला ऐसा ग्रह है जिसके पास तीन सूर्य हैं. इस ग्रह की खोज 2005 में पोलैंड के वैज्ञानिक ने की थी. वैज्ञानिकों ने ऐसे और ग्रह खोजने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली.
तस्वीर: NASA/JPL-Caltech
हीरों की खान
55 कैंक्री में अथाह मात्रा में कार्बन है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 55 कैंक्री की सतह हीरों से भरी है. लेकिन वहां तक पहुंचने के मतलब है 1,700 डिग्री का तापमान झेलना.
तस्वीर: NASA/JPL-Caltech
सुंदर, लेकिन घातक
धरती की तरह नीले इस ग्रह का नाम है HD189733. लेकिन वहां जीवन के लिए कोई जगह नहीं. HD189733 का तापमान 1,000 डिग्री से ज्यादा है. वहां 7,000 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से खगोलीय बारिश भी होती है.
तस्वीर: NASA/ESA/M. Kornmesser
एक और धरती
ग्लिश 581 C की खोज ने विज्ञान जगत को कौतूहल से भर दिया था. इसे धरती का जोड़ीदार मानते हुए जीवन के लिए मुफीद करार दिया गया. लेकिन जैसे जैसे ज्यादा जानकारी मिली वैसे वैसे कौतूहल खत्म होता गया. यह ग्रह गुरुत्व बल के संघर्ष में फंसा हुआ है. इसकी वजह से ग्रह का एक ही हिस्सा हमेशा प्रकाश की तरफ रहता है.
तस्वीर: ESO
हॉट टब
GJ1214b गर्म पानी के टब की तरह है. 230 डिग्री सेल्सियस की गर्मी के चलते यह ग्रह ब्रह्मांड में लगातार भाप और बादल छोड़ता रहता है.