स्कर्ट पहनकर विरोध करते लड़के
३० जुलाई २०१३ब्रिटेन के वेल्स में एक नई बयार सी बह रही है. किशोर भारी गर्मियों में पैंट्स की बजाए हवादार स्कर्ट पहन रहे हैं. दक्षिण पश्चिमी स्वॉनसी में शुरू हुआ ये फैशन अब अब कार्डिफ के लड़कों तक फैल चुका है. दक्षिणी वेल्स में पिछले कुछ हफ्तों में तापमान असमान्य रूप से बढ़ा है.
समान अधिकारों के लिए
कारेन डेविस के बेटे स्टीफन की उम्र 15 साल है. कारेन कहती हैं, "मेरा लड़का स्कूल से आया उसने स्कूल की लंबी पैंट्स पहन रखी थी. वह घर आने पर गर्मी से बेहोश हो गया. इसलिए अगले दिन मैंने उसकी पैंट्स छोटी कर दी. उसने मुझसे कहा कि सही यूनिफॉर्म न पहनने पर मिलने वाली सजा में वो छोटे कैबिन में नहीं बैठेगा."
स्टीफन ने कहा, "इस गर्मी में आप काली लंबी पैंट्स नहीं पहन सकते क्योंकि यह रंग गर्मी सोखता है. इसमें आपको कुछ छोटा चाहिए जो थोड़ा ठंडा करे."
स्टीफन के स्कूल में लड़के शॉर्ट्स नहीं पहन सकते लेकिन लड़कियों को पैंट्स के बदले स्कर्ट पहनने की अनुमति है. स्टीफन को लगता है कि यह सही नहीं है. "लड़कियों के पास दो विकल्प हैं और हमारे पास एक ही. यह समानता नहीं है."
यह सिर्फ वेल्स की बात नहीं है गर्मियों में स्वीडन के ट्रेन चालक भी स्कर्ट में ऑफिस जाते हैं.
स्कर्ट के लिए एकता
स्टेफन के अनुभव से उसके दोस्तों को एक आयडिया आया. उन्होंने एक कदम आगे जा कर शॉर्ट्स पहनने की बजाए स्कर्ट ही पहन ली. स्टीफन के मुताबिक, स्कूल में पहले तो सब शांत था. "मेरे दोस्तों को यह मजेदार लगा. लेकिन यह बात उन्हें बहुत बेवकूफी भरी भी लगी कि इतनी छोटी सी बात के लिए उन्हें विरोध प्रदर्शन करना पड़ रहा है. यह तो कोई मुद्दा ही नहीं होना चाहिए."
तेजी से ये खबर मीडिया में फैली और घंटों के अंदर गोर्टन के लड़के देश के रेडियो टीवी पर छा गए. इसके कुछ समय बाद कार्डिफ के स्कूली लड़कों ने भी विरोध जताना शुरू किया. वे स्कूल के आहातों में नारे लगाते हुए घूमे कि वे हाफपैंट पहनना चाहते हैं.
वैसे यूरोप के इस हिस्से में लड़कों का स्कर्ट पहनना इतना अजीब नहीं है क्योंकि स्कर्ट की तरह की पोशाक 'किल्ट' स्कॉटलैंड का राष्ट्रीय परिधान है.
कड़ा ड्रेस कोड
शिक्षकों का कहना है कि वह जानते हैं कि गर्मियों में मुश्किल होती है इसलिए वह समय समय पर बच्चों को पानी की बोतलें देते रहते हैं. स्कूल के गवर्नर जोर दे रहे हैं कि ड्रेस में बदलाव किया जाए. लेकिन इसकी प्रक्रिया काफी लंबी है. इस विरोध प्रदर्शन और मुद्दे पर लोगों की राय अलग अलग है. अधिकतर स्थानीय लोग इसे हल्के में ही ले रहे हैं. एक व्यक्ति कहता है, "मुझे नहीं लगता कि लड़कियों को उनकी टांगे दिखाने की अनुमति है और लड़कों को नहीं."
सिर्फ वेल्स नहीं
स्कर्ट का आयडिया सिर्फ वेल्स के बच्चों को नहीं आया. मई में रिपोर्ट आई थी कि गर्मी के कारण स्टॉकहोम के ट्रेन ड्राइवरों ने भी यूनिफॉर्म के विरोध में स्कर्ट पहनी. उन्हें भी गर्मी में शॉर्ट्स पहनने की अनुमति नहीं थी.
लोग खुले आम इस बारे में बोलने से हिचकिचा रहे हैं. बच्चों के माता पिता भी खुल कर इस बारे में मीडिया में नहीं कहते क्योंकि उन्हें डर लगता है कि इसके बाद स्कूल में बच्चों के साथ पता नहीं कैसा व्यवहार हो.
लेकिन कारेन अपने विरोध पर डटी हुई हैं. उन्होंने पूरी गर्मियों में अपने लड़के को स्कूल नहीं भेजा. "मैंने अपने लड़के को स्कूल भेजने से इनकार कर दिया. या तो उसकी तबीयत खराब हो या स्कूल. और मेरा जहां तक मानना है वह कभी और पढ़ सकता है लेकिन अगर उसकी तबियत खराब हो गई तो मुश्किल होगी. मैं ऐसा नहीं चाहती."
स्कूल की छुट्टी होने तक स्टीफन आराम से घर में बैठा रहता है और उसके साथी स्कूल में गर्मियों में पसीना बहाते रहते हैं, ऐसा पसीना जिसमें बदलाव और विरोध की गंध ज्यादा है.
रिपोर्टः लिंडसे मेलिंग, वेल्स (एएम)
संपादनः ओंकार सिंह जनौटी