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स्टार अलायंस में जर्मन रेल, भारतीयों और एयर इंडिया का फायदा

महेश झा
५ जुलाई २०२२

अंतरराष्ट्रीय विमान कंपनियों के सबसे बड़े गठबंधन स्टार अलायंस में पहली बार एक गैर हवाई कंपनी शामिल हुई है. जर्मन रेल डॉयचे बान की अलायंस की सदस्यता पर्यावरण के लिए तो फायदेमंद है ही, यूरोप आने वाले भारतीयों के लिए भी.

Deutschland Fernbahnhof Frankfurter Flughafen | Deutsche Bahn wird Mitglied der Star Alliance
तस्वीर: Frank Rumpenhorst/dpa/picture alliance

दुनिया में हवाई कंपनियों की तीन बड़ी अलायंस है. जर्मन विमान कंपनी लुफ्थांसा ने 25 साल पहले स्टार अलायंस गठबंधन बनाकर राष्ट्रीय विमान कंपनियों के लिए राह दिखाई थी. उसके बाद 26 सदस्यों वाले इस गठबंधन का मुकाबला करने के लिए प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के दो और गठबंधन बने. लेकिन स्टार अलायंस सबसे बड़ा गठबंधन है और इसमें भारत की एयर इंडिया भी शामिल है. यह गठबंधन राष्ट्रीय विमान कंपनियों को अपने पैसेंजरों को ज्यादा सुविधा देने और अपने साथ जोड़े रखने का और इस तरह मुनाफा कमाने का मौका देती है.

यात्रियों के लिए भी यह फायदेमंद है. क्योंकि वे आसानी से उन ठिकानों की भी यात्रा कर सकते हैं जहां उनकी अपनी एयरलाइंस तो नहीं जाती लेकिन अलायंस की एयरलाइंस जाती है. दूसरा फायदा विमान कंपनियों के फ्रीक्वेंट फ्लायर्स को मिलता है. स्टेटस के हिसाब से उन्हें दूसरी विमान कंपनियों में भी यात्रा के दौरान एक्सट्रा लगेज, बिजनेस क्लास चेक इन और ट्रांजिट के दौरान लाउंज के इस्तेमाल का लाभ मिलता है.

स्टार अलायंस में जर्मन रेल

जर्मन रेल डॉयचे बान पहली रेल कंपनी है जो विमान कंपनियों के अलायंस में शामिल हो रही है. अगस्त 2022 से वह स्टार अलायंस का हिस्सा होगी. इंटरमोडल पार्टनरशिप की यह पहल दूरगामी महत्व की है. इससे दूसरी रेल कंपनियों के भी विमान कंपनियों के अलायंस में शामिल होने की राह खुलेगी. कार्बन उत्सर्जन के लिए कुख्यात विमान कंपनियों को ऐसा पार्टनर मिलेगा जो उसका कार्बन फुटप्रिंट घटाएगा और यात्रियों को आसानी से पर्यावरण सम्मत तरीके से अपने मुकाम तक पहुंचाएगा.

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इस अलायंस का नमूना जर्मन विमान कंपनी लुफ्थांसा और डॉयचे बान के दो दशक पुराना सहयोग है. अब तक लुफ्थांसा के यात्रियों को रेल एंड फ्लाई के जरिये जो फायदा जर्मनी में मिल रहा था, वह भविष्य में स्टार अलायंस की दूसरे सदस्य कंपनियों के यात्रियों को भी मिलेगा. वे एक टिकट कटाकर जर्मनी के किसी भी शहर तक पहुंच सकते हैं. अब उन्हें हवाई और रेल यात्रा के लिए दो अलग अलग टिकट नहीं कटाने होंगे. साझा टिकट होने से टिकट किफायती भी होगा.

भारतीय यात्रियों का फायदा

भारत के जो यात्री एयर इंडिया से जर्मनी आ रहे थे उन्हें जर्मनी के अंतरराष्ट्रीय हवाई पर पहुंचने के बाद आगे की यात्रा के लिए रेल का टिकट कटाना पड़ता था. ये टिकट स्थानीय बाजार की कीमतों पर होता है, इसलिए महंगा होता है. अब एयर इंडिया जर्मनी के हर शहर के लिए हवाई और रेल टिकट एक साथ बेच पाएगा. यात्रियों को आसानी से कम समय में गंतव्य पर पहुंचाने के लिए कामयाब विमान कंपनियों ने पिछले सालों में किसी भी देश के कई शहरों में जाने का नुस्खा अपनाया है. आर्थिक मुश्किलों और कम यात्री होने के कारण एयर इंडिया के लिए यह विकल्प नहीं रहा है.

सरकारी कंपनी एयर इंडिया को हाल ही में टाटा ने खरीद लियातस्वीर: picture alliance/dpa

जर्मनी की लुफ्थांसा भारत में दिल्ली, मुंबई, बंगलुरू और चेन्नै जैसे शहरों की सीधी सेवा देती है. जर्मनी में तो उसके हर प्रमुख शहर के लिए फ्रैंकफर्ट और म्यूनिख से सीधी सेवा है. अब एयर इंडिया भी अलायंस पार्टनर होने के कारण लुफ्थांसा के साथ साथ जर्मन रेल की सेवा का भी लाभ उठा सकेगी और एयर इंडिया के यात्री सुविधाजनक तरीके से जर्मनी के हर शहर तक जा सकेंगे. अगर भारत में एयर इंडिया और दूसरी विमान कंपनियां भी भारतीय रेल के साथ इस तरह का समझौता कर पाएं तो यात्रियों के लिए बहुत बड़ी राहत होगी.

जर्मन रेल को क्या मिलेगा

फिलहाल अलायंस में शामिल होने का सबसे ज्यादा फायदा जर्मन रेल को ही होगा. अब तक फ्रैंकफर्ट से लुफ्थांसा के एक्सप्रेस रेल की सुविधा सिर्फ 30 स्टेशनों के लिए थी. अब अलायंस की सभी कंपनियां रेल टिकट बेच पाएंगी, जिससे डॉयचे बान को पर्यटकोंका नया बाजार मिला है. जर्मन सरकार पिछले सालों में परिवहन कंपनियों पर कार्बन उत्सर्जन घटाने पर जोर देती रही है, जिसका एक नतीजा है लुफ्थांसा और जर्मन रेल में सहयोग में वृद्धि. रेल सेवाओं के जरिए लुफ्थांसा जर्मनी के शहरों के बीच अपनी सेवाएं घटाएगा और यात्रियों को रेल की मदद से अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों तक लाएगा.

सुपर फास्ट आईसीई ट्रेन घरेलू हवाई यात्रा का इको फ्रेंडली विकल्प बन रहे हैंतस्वीर: Markus Mainka/picture alliance

हवाई यात्रा पर्यावरण के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक है. पर्यावरण के लिहाज से रेल और हवाई यात्रा की तुलना में कई कारक काम करते हैं लेकिन वातावरण को गरम करने के मामले में विमानों को रेल के मुकाबले तीन गुना हानिकारक माना जाता है. बर्लिन से म्यूनिख जाने में रेल में प्रति व्यक्ति 34 किलो कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है तो हवाई यात्रा में प्रति व्यक्ति 308 किलो का. हालांकि लंबी दूरी की यात्राओं के लिए फिलहाल हवाई यात्रा का कोई विकल्प नहीं है, लेकिन छोटी दूरी के लिए रेल के रूप में ये विकल्प मौजूद है. और कई मामलों में तो उनमें समय भी ज्यादा नहीं लगता. कोलोन से फ्रैंकफर्ट की उड़ान लुफ्थांसा ने कुछ साल पहले बुलेट ट्रेन ट्रैक बनने के बाद ही बंद कर दी है. कोलोन से फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट जाने में बस एक घंटा लगता है.   

इको फ्रेंडली यात्रा का भविष्य

जर्मन रेल को शामिल करते हुए स्टार अलायंस ने इसे पर्यटन उद्योग के ईको फ्रेंडली होने की दिशा में जेरदार संकेत बताया है. आने वाले महीनों और सालों में और रेल और बस कंपनियों के अलायंस में शामिल होने की उम्मीद की जा सकती है. और ये एक्सपेरिमेंट अगर कामयाब होता है जो विमान कंपनियों के दूसरे अलायंस में इस दिशा में आगे बढ़ेंगे. फिर यात्री अपनी लंबी दूरी की यात्राएं रेल से शुरू कर रेल से ही खत्म कर पाएंगे. जर्मनी में पिछले सालों में कई हवाई अड्डों को एक्सप्रेस रेल लाइन से जोड़ा गया है ताकि यात्री सीधे वहीं पहुंच पाएं.

जर्मन रेल कंपनी को ईको फ्रेंडली बनाने के लिए अपने तौर पर प्रयास कर रही है. उसे अपनी बुलेट और एक्सप्रेस ट्रेन के लिए अक्षय ऊर्जा से मिली बिजली खरीदना शुरू किया है और वह 2050 तक पूरी तरह अक्षय ऊर्जा का ही इस्तेमाल करना चाहती है. रेल और हवाई यात्रा को स्विस रेल भी साथ ला रही है. उसने हाल ही में म्यूनिख से ज्यूरिख के लिए हवाई रेल सेवा शुरू की है. इस तरह ज्यूरिख के हवाई अड्डे को म्यूनिख और आस पास के इलाकों से जोड़ दिया गया है. म्यूनिख और ज्यूरिख के इलाके के यात्री अब दुनिया के किसी भी कोने में जाने के लिए दोनों ही एयरपोर्टों का इस्तेमाल कर पाएंगे. अलायंस के लॉयल्टी प्रोग्राम को और बेहतर बनाकर तथा रेल यात्रा के दौरान भी स्टेटस वाले यात्रियों को सुविधा देकर इस पहल को और लोकप्रिय बनाया जा सकता है.

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