डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि महामारी को लेकर "स्थिति बद से बदतर होती चली जाएगी." संगठन का कहना है कि वायरस जनता का सबसे बड़ा दुश्मन बना हुआ है, लेकिन कई सरकारों और आम लोगों की गतिविधियां में यह नजर नहीं आ रहा है.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस ने विश्व के कुछ नेताओं की कोरोना वायरस को लेकर विरोधाभासी संदेश देने के लिए आलोचना की है. उन्होंने कहा कि इस तरह के संदेश देने से जनता का भरोसा टूटता है. उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि अगर इन नेताओं ने अपने अपने देशों में महामारी के फैलने की तेज गति को कम नहीं किया तो निकट भविष्य में दुनिया के लिए सामान्य स्थिति की तरफ वापस लौटना असंभव हो जाएगा.
महानिदेशक गेब्रयेसुस ने किसी नेता विशेष का नाम नहीं लिया लेकिन कहा कि महामारी को लेकर "कई देश उल्टी दिशा में जा रहे हैं" और कुछ देश संक्रमण को रोकने के लिए सही कदम उठा रहे हैं. हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्वीकारा कि प्रतिबंधों को लागू करने के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिणामों को देखते हुए सरकारों के लिए कुशलता से महामारी से निपटना बहुत मुश्किल है.
उन्होंने कहा, "वायरस अभी भी जनता का सबसे बड़ा दुश्मन बना हुआ है, लेकिन कई सरकारों और आम लोगों की गतिविधियां में यह नजर नहीं आ रहा है." यह बातें उन्होंने जिनेवा में रिपोर्टरों से कहीं. संगठन ने पिछले 24 घंटों में दुनिया में संक्रमण के 2,30,000 नए मामलों के एक नए रिकॉर्ड की पुष्टि की. इनमें से 80 प्रतिशत नए मामले सिर्फ 10 देशों में पाए गए हैं जिनमें से 50 प्रतिशत से ज्यादा सिर्फ अमेरिका और ब्राजील में हैं.
संगठन ने कहा कि सरकारों और आम लोगों की प्रतिक्रिया स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर होनी चाहिए, जैसे समुदाय में वायरस व्यापक रूप से फैला है या नहीं. संगठन ने कहा कि उदाहरण के तौर पर स्कूलों को ही ले लीजिए: कई देशों ने कक्षाओं को फिर से खोल दिया है क्योंकि वहां रोज आने वाले मामलों की संख्या कम हो गई है, लेकिन वहीं कुछ देश स्कूलों को लेकर "राजनीतिक फुटबॉल" खेल रहे हैं. संगठन ने विस्तार से कहा कि कुछ देश दुकानों को बंद रखने और सार्वजनिक सभाओं को सीमित रखें जैसे संक्रमण को रोकने वाले कदमों को उठाए बिना स्कूलों को फिर से खोलने की बात कर रहे हैं.
तेद्रोस ने कहा कि सरकारों को और स्पष्ट पब्लिक हेल्थ से संबंधित संदेश देने चाहिए और लोगों को सामाजिक दूरी, मास्क पहनना, हाथ धोना और कोविड-19 के लक्षण दिखाई देने पर घर पर ही रहने का पालन करना चाहिए. उन्होंने चेताया कि अगर महामारी-नियंत्रण के मूल कदमों को नहीं उठाया गया, तो उसका नतीजा सिर्फ एक ही होगा. उन्होंने कहा, "स्थिति बद से बदतर होती चली जाएगी."
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोविड-19 से बचाव के लिए 150 से भी ज्यादा वैक्सीनों की जांच चल रही है. इनमें से 17 इंसानों पर परीक्षण के चरण में हैं. आइए जानते हैं कहां कहां चल रहे हैं वैक्सीन बनाने के अहम प्रयास.
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ऐस्ट्राजेनेका
ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी ऐस्ट्राजेनेका ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिल कर एक वैक्सीन पर काम कर रही है. बताया जा रहा रहा है कि यह वैक्सीन प्रीक्लिनिकल और उसके बाद के तीन चरणों में इंसानों में किए जाने वाले परीक्षण में पहला चरण पार कर चुकी है और दो अलग-अलग स्थानों पर इसे लेकर दूसरे और तीसरे चरण में परीक्षण चल रहे हैं. अगर सब ठीक रहा तो इस प्रोजेक्ट से आपातकाल वैक्सीन अक्तूबर में आ सकती है.
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मॉडर्ना
अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की वैक्सीन परीक्षण के दूसरे चरण में है और जुलाई में तीसरे चरण में प्रवेश कर सकती है. इसे लेकर जांच में कम लोगों को शामिल करना जैसे कुछ विवाद भी रहे हैं, फिर भी परीक्षण निर्विरोध चल रहे हैं. कंपनी को उम्मीद है कि 2021 के शुरूआती महीनों में टीका आ जाएगा.
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बायोऐंटेक और फाइजर
जर्मन कंपनी बायोऐंटेक, अमेरिकी कंपनी फाइजर और चीनी कंपनी फोसुन फार्मा ने इस वैक्सीन को विकसित करने के लिए हाथ मिलाया है. इसके परीक्षण भी दूसरे चरण में पहुंच चुके हैं. कंपनियों को उम्मीद है कि टीका अक्तूबर तक उपलब्ध हो जाना चाहिए.
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इम्पीरियल कॉलेज, लंदन
लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में भी शोधकर्ता एक वैक्सीन पर काम कर रहे हैं जिसके उत्पादन के लिए उन्होंने मॉर्निंगसाइड वेंचर्स से और वितरण के लिए वैक एक्विटी ग्लोबल हेल्थ नाम की कंपनी के साथ हाथ मिलाया है. इसके भी दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण शुरू हो चुके हैं.
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एंजेस
जापानी कंपनी एंजेस ओसाका विश्वविद्यालय और एक और कंपनी तकारा बायो के साथ मिलकर एक वैक्सीन पर तीसरे चरण के परीक्षण कर रही है.
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नोवावैक्स
एक और अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स भी वैक्सीन पर काम कर रही है और इसके कुछ स्थानों पर तीसरे चरण के परीक्षण चल रहे हैं. एक अंतरराष्ट्रीय पहल के तहत इस प्रोजेक्ट में 38.4 करोड़ डॉलर का निवेश किया गया है.
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वुहान इंस्टिट्यूट
वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स और चीन की सरकारी कंपनी सिनोफार्म मिल कर इस वैक्सीन पर काम कर रहे हैं. इसके तीसरे चरण के परीक्षण शुरू होने वाले हैं.
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चाइनीज अकैडमी
चाइनीज अकैडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज के इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल बायोलॉजी में भी एक वैक्सीन पर दूसरे चरण के परीक्षण चल रहे हैं. इंस्टिट्यूट को पोलियो और हेपेटाइटिस ए की वैक्सीन के आविष्कार के लिए जाना जाता है.
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सिनोवैक
चीन की निजी कंपनी सिनोवैक बायोटेक चीन और ब्राजील में एक वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण कर रही है. कंपनी हर साल 10 करोड़ डोज उत्पादन के लिए एक फैक्टरी भी बना रही है.
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भारत बायोटेक, जाइडस कैडिला
भारतीय कंपनी भारत बायोटेक को सरकारी इंस्टीट्यूट आईसीएमआर के साथ मिल कर कोवैक्सिन नाम की वैक्सीन के दूसरे चरण के परीक्षण की अनुमति मिल गई है. भारतीय कंपनी जाइडस कैडिला को भी उसकी वैक्सीन के दूसरे चरण के परीक्षण शुरू करने की अनुमति मिल गई है.