स्पेन में पिछले हफ्ते कम से कम पांच महिलाओं की उनके पार्टनरों या पूर्व-पार्टनरों द्वारा हत्या के मामले सामने आए. देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ रही घरेलू हिंसा को लेकर अब जा कर प्रधानमंत्री पेद्रो सांचेज ने चिंता जताई है.
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पांचों मामलों का संज्ञान लेते हुए प्रधानमंत्री सांचेज ने देश में घरेलू हिंसा के मामलों में आई उछाल को "अस्वीकार्य" बताया. इन मामलों में मारी गईं महिलाओं में बार्सिलोना की एक 42 वर्षीय महिला भी शामिल थी जिसे उसके पति ने चाकू घोंप दिया और उसके बाद अपनी जान भी ले ली. इनमें मोरक्को मूल की एक गर्भवती महिला भी थी जिसे उसके पार्टनर ने मार डाला और फिर पुलिस को बुला कर अपना जुर्म कबूल कर लिया.
इन हत्याओं के बाद इस साल अभी तक अपने पार्टनरों या पूर्व-पार्टनरों द्वारा मारी गई महिलाओं की संख्या 14 हो गई है. 2003 से सरकार ने इस तरह की हत्याओं की आधिकारिक गिनती करनी शुरू कर दी थी और तब से अभी तक इस श्रेणी में 1,092 मामले सामने आ चुके हैं. पांचों हत्याओं के पीछे की क्रूरता की निंदा करते हुए सांचेज ने कहा, "यह एक कड़वी, अस्वीकार्य सच्चाई है."
उन्होंने यह भी कहा, "दुर्भाग्य से स्पेन एक महिला-विरोधी अभिशाप से गुजर रहा है, जिसका मतलब है कि देश में ऐसे पुरुष हैं जो महिलाओं को सिर्फ महिला होने के लिए मार देते हैं. दिन पर दिन ऐसी हत्याएं हो रही हैं. हम इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. हम देश में हजारों महिलाओं द्वारा महसूस किए जा रहे दर्द और भय से अंजान नहीं रह सकते हैं." महिला अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि हत्याओं में यह वृद्धि देश में कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगे आपातकाल के नौ मई को हटा दिए जाने की वजह से हुई है.
उनका कहना है कि हिंसक पार्टनरों की महिलाएं जब घर से निकलने लगती हैं तो उन पर शारीरिक हिंसा का खतरा ज्यादा रहता है और संभव है कि अब जब आवाजाही पर से प्रतिबंध हटा लिए गए हैं तो संभव है कि ऐसा और ज्यादा हो रहा हो. स्पेन में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा का पुराना इतिहास है. 1997 में 60-वर्षीय एना ओरांतेस को उनके पूर्व-पति ने पीटने के बाद उन्हें बालकनी से नीचे फेंक दिया था और फिर जिंदा जला दिया था.
एना ने कई बार अधिकारियों से अपने पूर्व-पति के हिंसक व्यवहार के बारे में शिकायत की थी. इस मामले के सामने आने के बाद पूरा देश हिल गया था और उसके बाद से देश के राजनेताओं ने घरेलू हिंसा के समाधान के लिए कई कार्यक्रम चलाए. 2004 में स्पेन की संसद लिंग-आधारित हिंसा की रोकथाम के लिए बने एक कानून को बहुमत से पारित किया. यह पूरे यूरोप में इस तरह का पहला कानून है.
सीके/एए (एएफपी)
दुनियाभर में हिंसा के भंवर में फंसी हैं महिलाएं
विश्व स्वास्थ्य संगठन के ताजा शोध के मुताबिक दुनिया भर में हर तीसरी महिला ने शारीरिक या यौन हिंसा का सामना किया है. संगठन ने महिलाओं पर अब तक का सबसे बड़ा शोध किया है.
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महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर सबसे बड़ा शोध
विश्व स्वास्थ्य संगठन और उसके साझेदारों ने एक नए शोध में पाया कि विश्व में तीन में से एक महिला को अपने जीवनकाल में शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करना पड़ा. संगठन का कहना है कि यह शोध महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर सबसे बड़ा अध्ययन है.
तस्वीर: Arnd WIegmann/REUTERS
अपनों द्वारा हिंसा
इस शोध के मुताबिक हिंसा की शुरुआत कम उम्र में ही हो जाती है. 15 से 24 वर्ष आयु वर्ग में, हर चार में से एक महिला को अपने अंतरंग साथी के हाथों हिंसा का अनुभव करना पड़ा है.
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"हर देश और संस्कृति में हिंसा"
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ हिंसा हर देश और संस्कृति में है, जो लाखों महिलाओं और उनके परिवारों को नुकसान पहुंचाती है. कोविड-19 महामारी के दौर में स्थिति ज्यादा बिगड़ी है.
करीब 31 फीसदी, 15-49 वर्ष आयु वर्ग में या 85 करोड़ से अधिक महिलाओं ने शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव किया. इस अध्ययन के लिए साल 2000 से 2018 तक इकट्ठा किए गए आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया.
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"पति या साथी आम अपराधी"
साथी या पति द्वारा हिंसा के मामले को सबसे सामान्य बताया गया है. गरीब देशों की महिलाओं के साथ इस तरह की हिंसा सबसे अधिक होती है. यौन अपराध से जुड़े मामले कई बार रिपोर्ट नहीं किए जाते और असली आंकड़े अधिक हो सकते हैं.
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गरीब देशों का हाल
गरीब देशों में 37 प्रतिशत महिलाओं ने अपने जीवन में साथी द्वारा शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव किया. कुछ देशों में तो यह आंकड़ा 50 प्रतिशत तक है. वहीं यूरोप की बात की जाए तो वहां यह दर 23 प्रतिशत है.
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कम उम्र से ही हिंसा
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हिंसा की शुरुआत खतरनाक रूप से कम उम्र में ही हो जाती है. 15 से 19 वर्ष आयु वर्ग की युवतियां जो किसी रिश्ते में थीं, उनमें चार में से एक ने अपने साथी द्वारा शारीरिक या यौन हिंसा का सामना किया.