स्मार्ट नागरिक, स्मार्ट बिजली
६ जून २०१३विटवर का कहना है, "हम इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं- हम बिजली बनाना और बिजली की खपत, हीटिंग या रोशनी के लिए किस तरह बांट सकते हैं ताकि कम से कम बर्बादी हो." विटवर फ्राउनहोफर इंस्टिट्यूट में इंटेलिजेंट एनर्जी सिस्टम्स विभाग के प्रमुख हैं. विटवर अपने काम में एक बड़े नीले रंग के बक्से का इस्तेमाल करते हैं जो एक विशाल फ्रीजर जैसा दिखता है. यह बिजली और गर्मी पैदा करने वाला यानी एक कोजेनरेशन सिस्टम है. भविष्य में घरों के लिए बिजली और गर्मी इसी से पैदा हो सकेगी. विटवर का कहना है कि भविष्य में बड़े थर्मल प्लांटों या रिएक्टरों के बजाय लोग अपने ही घर में बिजली पैदा कर सकेंगे. यह काम घरों की छतों पर सौर ऊर्जा पैनेलों या पवन चक्कियों से किया जाएगा या एक बायोगैस प्लांट से जो लकड़ी या बायोगैस से बिजली और गर्मी दोनों पैदा करे. "हमारी लैब में यह कोजेनरेशन प्लांट है जिसमें एक थर्मल लेयर हीटर है यानी एक ऐसी जगह जिसमें पानी हो और जिसमें ऊर्जा बचाई जा सके."
एक तीर दो शिकार
इससे यह फायदा है कि अगर बिजली न हो तो गर्मी को पानी में बचाया जा सकता है. इससे हीटर चल सकते हैं और गर्म पानी भी इस्तेमाल हो सकता है, अपने घर के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे मोहल्ले के लिए. लेकिन इंटेलिजेंट बिजली और हीटिंग केवल इतना ही नहीं कर सकते हैं. बायोगैस वाले कोजेनरेशन प्लांट तब भी काम आ सकते हैं जब सौर ऊर्जा या पवन ऊर्जा को बचाने में परेशानी हो, "इसका मतलब है कि हीटिंग और पावर प्लांट पूरे जोर से चल सकते हैं और फिर भी उनकी गर्मी बनी रहती है, खोती नहीं. इसे थर्मल स्टोरेज में रखा जा सकता है."
स्मार्ट ग्रिड यानी इंटेलिजेंट बिजली आपूर्ति नेटवर्क में ऊर्जा के अलग अलग स्रोतों से ऊर्जा बचाई जा सकेगी. स्टोरेज एक जगह पर रखे जा सकेंगे और जरूरत पड़ने पर इन्हें एक जगह से दूसरी जगह भी ले जाया जा सकेगा. इससे नेटवर्क में स्थिरता आएगी. अस्थिरता तब पैदा होती है जब पवन और सौर ऊर्जा जैसे मौसम पर निर्भर स्रोत सही तरह से नहीं काम करते. ऐसे में ब्लैकआउट भी हो सकता है. प्रोफेसर ब्रूनो बुर्गर का मानना है कि एक इंटेलिजेंट ऊर्जा प्लांट आपात स्थिति में खुद अपनी मदद कर सकेगा. इसलिए वह आपात स्थितियों को सिमुलेट करते हैं.
फ्राउनहोफ की मेगावॉट प्रयोगशाला में प्रोफेसर बुर्गर उन उपकरणों को टेस्ट कर रहे हैं जो घरेलू सोलर पैनेल से सार्वजनिक नेटवर्क में बिजली बचाने का काम करते हैं. बुर्गर का पक्का विश्वास है कि इन्वरटर का काम कर रहे यह उपकरण, जो सौर ऊर्जा से बनाई गई बिजली को घरेलू बिजली में बदलते हैं, बाद में नेटवर्क को स्थिर बनाने का काम करेंगे. बाद में अगर कभी बिजली नेटवर्क में परेशानी हुई तो इनवर्टर बचाए गए सौर ऊर्जा को नेटवर्क में दोबारा डाल सकेंगे, "अगर नेटवर्क में वोल्टेज 25 प्रतिशत घट जाता है तो इन्वर्टर सामान्य से तीन या चार वर्ग ज्यादा बिजली नेटवर्क में बचा सकेगा और नेटवर्क की मदद भी करेगा."
इन्वर्टर से बिजली
ब्रूनो बुर्गर के लिए यह इस बात को साबित करता है कि सौर और पवन ऊर्जा बनाने वाले छोटे स्तर के उत्पादक भी भविष्य में नेटवर्क को संभाल सकेंगे क्योंकि यह ऑटोमैटिक होगा और कंट्रोल रूम इनपर नजर रखेगा. "एक इन्वर्टर एक ब्लैकआउट को नहीं रोक सकता लेकिन बहुत सारे मिलकर ऐसा कर सकते हैं." लेकिन अगर बहुत सारे इन्वर्टर एक ही बार में अजीब तरह से काम करने लगें तो ब्लैकआउट का कारण भी बन सकते हैं. इसके लिए सहायता क्रिस्टोफ विटवर की प्रयोगशाला से आती है. वह इलैक्ट्रिक कारों की बैटरियों का इस्तेमाल करते हैं, जो एक केंद्रीय नेटवर्क से कंट्रोल होते हैं और अतिरिक्त बिजली को बचा सकते हैं.
विटवर इसके अलावा कई ऐसी तरकीबों पर काम कर रहे हैं जिससे भविष्य में बिजली की मांग और आपूर्ति में सामान्यता लाई जा सके. इसके अलावा बड़े उद्योगों के लिए भी पवन या बिजली आपूर्ति काम आ सकती है. विशेषज्ञ इसे इंटेलिजेंट लोड मैनेजमेंट कहते हैं. विटवर मानते हैं, कि ऐसा भी हो सकता है कि अगर नेटवर्क में बहुत ज्यादा सौर ऊर्जा है तो आप कुछ ऊर्जा हीटरों में बांट सकते हैं ताकि ऊर्जा बिजली से हीटिंग में इस्तेमाल की जा सके.
बिजली के उपभोक्ता कितने हद तक इस नेटवर्क का हिस्सा होंगे, इस वक्त पता नहीं है. जर्मनी में इंटेलिजेंट बिजली का इस्तेमाल करने वाले लोग कम हैं. स्मार्ट मीटरिंग से ग्राहकों को आकर्षित करने की कोशिश की जाएगी. मिसाल के तौर पर वे अपनी मशीनें तब इस्तेमाल करें जब नेटवर्क में बिजली ज्यादा हो. लेकिन इसके लिए ग्राहकों के बारे में काफी जानकारी हासिल करनी होगी, जो जर्मनी के निजी डाटा कानूनों से मेल नहीं खाता. विटवर का मानना है कि इंटेलिजेंट नेटवर्क केवल तकनीक का कमाल नहीं बल्कि लोगों की भागीदारी भी इसका एक अहम हिस्सा होगी.
रिपोर्टः रिचर्ड फुक्स/एमजी
संपादनः आभा मोंढे