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स्मार्ट फोन की लत से परेशान ब्रिटेन

७ अगस्त २०११

स्मार्ट फोन ने जिंदगी तो बदल दी है. फोन, ईमेल, मेसेज...सब कुछ कितना तेज और आसान हो गया है. लेकिन इसके असर भी गंभीर हैं. एक रिसर्च ने बताया, क्या है दीवानगी की हद.

तस्वीर: picture alliance/ZB

स्मार्ट फोन का हाथ में होना दुनिया मुट्ठी में कर लेने जैसा अहसास देता है. आप अगर इससे सहमत नहीं हैं, तो ब्रिटेन के लोगों से पूछिए. स्मार्ट फोन की दीवानगी में बहुत से ब्रिटेनवासियों की हालत ऐसी हो गई है कि वे 24 घंटे इससे चिपके रहते हैं. यहां तक कि वे सिनेमाघरों और थिएटरों तक में इसे बंद करने को तैयार नहीं होते.

तस्वीर: picture alliance/dpa

टेलीकम्यूनिकेशन पर नजर रखने वाली संस्था ऑफकॉम के एक रिसर्च में स्मार्टफोन को लेकर लोगों की बढ़ती दीवानगी के कुछ पहलू नजर आए हैं. इस रिसर्च के मुताबिक ब्रिटेन में एक तिहाई नौजवान और बहुत से टीनएजर्स मानते हैं कि उन्हें स्मार्टफोन की लत पड़ चुकी है. वे अपने आईफोन, ब्लैकबेरी या ऐसे ही दूसरे फोन के बिना नहीं रह सकते. यहां तक कि ब्लैकबेरी को तो क्रैकबेरी कहा जाने लगा है.

सामान्य मोबाइल फोन के मुकाबले स्मार्ट फोन रखने वालों में इस बात की संभावना ज्यादा होती है कि वे अपने फोन को बंद न करें. वे थिएटर या सिनेमा में भी ईमेल या मेसेज भेजते रहते हैं. सामाजिक कार्यक्रमों या दोस्तों के साथ खाने पर बाहर जाने पर भी स्मार्ट फोन रखने वाले सामान्य फोन मालिकों के मुकाबले ज्यादा अपने फोन से चिपके रहते हैं.

रिसर्च कहती है कि स्मार्ट फोन लोगों को फोन कॉल करने या टेक्स्ट मेसेज भेजने के लिए ज्यादा उकसाता है.

तस्वीर: AP

ब्रिटेन में एक चौथाई वयस्क और आधे से ज्यादा किशोर स्मार्ट फोन रखते हैं. और रिसर्च में पता चला कि जिन लोगों ने स्मार्ट फोन खरीदा, उनकी किताबें या अखबार पढ़ने या फिर टीवी देखने की आदतें भी कम हो गईं.

स्मार्ट फोन के जिंदगी में दखल की एक मिसाल छुट्टियों के वक्त में देखी जा सकती है. जिन लोगों के पास स्मार्ट फोन वे छुट्टियों के दौरान अपने दफ्तर से ज्यादा संपर्क में रहते हैं. मसलन उनमें फोन उठाने या ईमेल पढ़ने की संभावना सामान्य फोन वालों के मुकाबले ज्यादा होती है.

तस्वीर: picture alliance/Photoshot

ऑफकॉम के लिए रिसर्च के निदेशक जेम्स थिकेट कहते हैं कि स्मार्ट फोन ने सामाजिक व्यवहार को लेकर समस्याएं खड़ी कर दी हैं क्योंकि लोग सामाजिक स्थानों पर भी अपने फोन से चिपके रहते हैं और जरूरत की जगहों पर भी फोन बंद नहीं करते. वह कहते हैं, "हमें पहले इस बात का पता चला कि सिनेमाघरों या थिएटर में फोन इस्तेमाल करने की संभावना किशोरों में सबसे ज्यादा है. लेकिन स्मार्ट फोन के मामले में वयस्क भी उनसे ज्यादा पीछे नहीं हैं."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

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