दिल्ली में अब हवा की गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए सरकार पानी के छिड़काव जैसे विकल्पों को लागू करने जा रही है. विशेषज्ञ इसे एक बेहतर कदम तो बता रहे हैं लेकिन इसे स्थायी समाधान मानने से इनकार करते हैं.
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दिल्ली को स्मॉग से बचाने के लिए सरकारी कवायद तेज हो गयी है. पर्यावरण मंत्रालय की एक वरिष्ठ अधिकारी श्रुति भारद्वाज के मुताबिक, "स्मॉग के स्तर में कमी लाने के लिए सरकार ने 100 मीटर की ऊंचाई से पानी के छिड़काव की योजना को अंतिम रूप दे दिया है. यह अब तक का ऐसा पहला कदम होगा." हालांकि अधिकारी अब तक यह नहीं बता सके हैं कि 2.2 करोड़ की जनसंख्या वाले इस शहर को इस नीति के तहत कितना कवर किया जा सकेगा. वहीं राजधानी में हवा की गुणवत्ता अब भी भयावह स्तर पर बनी हुई है. हालांकि सरकार की ओर से त्वरित कदम भी उठाये गये हैं, मसलन दिल्ली और आसपास के इलाकों में निर्माण कार्यों को रोक दिया गया है. शहर में गाड़ियों की आवाजाही पर भी नियम कायदे तय किये जा रहे हैं. साथ ही पार्किंग शुल्क को भी बढ़ा दिया गया है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें.
शहर में आने वाले तमाम कमर्शियल ट्रकों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है लेकिन जरूरी सामान लेकर आने वाले ट्रकों को इससे छूट मिली है. इसके अलावा दिल्ली सरकार आने वाले दिनों में शहर में ऑड-ईवन स्कीम भी दोबारा लागू कर रही है.
इस बीच गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक सुझाव में सरकार से "क्लाउड सीडिंग" पर भी विचार करने के लिए कहा है. इस पद्धति के जरिये कृत्रिम ढंग से बारिश करायी जाती है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रायचौधरी मानती हैं कि पानी का छिड़काव, इस समस्या का फौरी समाधान तो हो सकता है लेकिन यह पूरी मुश्किल हल नहीं करता. उन्होंने कहा, "हवा की गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए हमें हर दिन प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े कदम उठाने होंगे."
दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र कुमार ने बताया, "सड़कों के किनारे रहने और काम करने वाले मजदूरों की हालत सबसे अधिक खराब है. सरकारी अस्पतालों में सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं को लेकर बड़ी संख्या में लोग भर्ती हो रहे हैं." जैन ने कहा कि इस स्थिति में हमारे सामने पानी के छिड़काव का ही रास्ता बचता है.
कुछ दिन पहले राजधानी की इस खराब हालत को देखते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे गैस चैंबर कहा था. साथ ही केंद्र सरकार और अन्य राज्यों के साथ मिलकर समाधान निकालने पर भी जोर दिया था. हालांकि शहर के रईस लोगों और कुछ निजी कंपनियों ने भी वायु शुद्धीकरण से जुड़े उपकरणों और मास्क के थोक में आदेश दे दिये हैं. लेकिन लोगों की परेशानी इतने पर ही खत्म नहीं हो रही.
स्मॉग से छुटकारे का अनोखा उपाय
नीदरलैंड्स के एक डिजायनर ने अपने इनोवेटिव डिजायन प्रोजेक्ट में प्रदूषित हवा को साफ कर उनसे खूबसूरत गहने बनाने का तरीका निकाला है, देखिए ये अजूबा..
तस्वीर: Derrick Wang
इस धरती की नहीं लगता
स्मॉग फ्री टावर को देख कर ऐसा लगता है जैसे कोई अंतरिक्षयान शहर के पार्क में उतरा हो. डच डिजायनर डान रूजगार्डे को इसे बनाने का आइडिया आया. टावर सात मीटर लंबा है और धातु की परत में पूरी तरह से लिपटा हुआ है.
तस्वीर: Derrick Wang
हवा का फिल्टर
इसका काम है पर्यावरण की प्रदूषित हवा को फिल्टर करना. इसमें काफी कम ऊर्जा खर्च होती है और छोटे से छोटे कण छन जाते हैं. टावर के पास की हवा शहर की बाकी हवा से करीब 75 फीसदी तक साफ हो जाती है.
तस्वीर: Derrick Wang
खुल कर सांस लेने की जगह
जाहिर है कि एक टावर लगाने से पूरे शहर में कुछ खास अंतर नहीं आएगा. उनका आइडिया यह है कि ऐसी ज्यादा से ज्यादा खुली जगहें बनाई जाएं जहां लोग इकट्ठे हों और खुल कर सांस ले सकें, जैसे कि बीजिंग और दिल्ली जैसे शहरों में.
तस्वीर: Laard Buurman
कचरे का क्या करें
हवा के फिल्टर के बाद जो होता है वो किसी चमत्कार से कम नहीं लगता. रूजगार्डे ऐसे भविष्य का सपना देखते हैं जिसमें कचरा होगा ही नहीं. उन्होंने स्मॉग से अलग किए गए कचरे के कणों के लिए भी एक उपाय तलाशा लिया.
तस्वीर: Studio Roosegaarde
कचरे से गहने का सफर
रूजगार्डे ने कचरे के कणों पर कंप्रेशन कर 30 मिनट तक दबाव डाला और फिर उसे एक्राइलिक में केस कर दिया. बन गई एक चमकदार क्यूब, जिसे मनचाहे गहनों में इस्ढातेमाल किया जा सकता है. जैसे ये "स्मॉग फ्री रिंग."
तस्वीर: Studio Roosegaarde
बेहद साहसिक सपना
इस प्रोजेक्ट के कर्ताधर्ता डच डिजायनर डान रूजगार्डे का सपना है कि धरती का हर इंसान साफ हवा में सांस लेने का अधिकार ना खोए. और इस सपने के लिए उन्होंने अपना सहयोग दे भी दिया है. (हैराल्ड फ्रांसेन/आरपी)
तस्वीर: Willem de Kam
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दिल्ली के एक व्यापारी रणवीर सिन्हा ने बताया, "मैंने अपने घर में छह एयर प्यूरीफायर लगा लिये हैं और मैं घर पर खिड़कियां बंद करके रखता हूं लेकिन इसके बावजूद मेरी आंखों में पानी आता रहता है."
विश्व बैंक की हालिया जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2013 के दौरान भारत में तकरीबन 14 लाख लोगों की वायु प्रदूषण के चलते मौत हो गयी. साथ ही वायु प्रदूषण ने देश की कुल जीडीपी में 7.7 फीसदी का नुकसान किया. वायु प्रदूषण का असर न सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है, बल्कि कई लोगों के काम-धंधों पर भी इसका असर दिखने लगा है.
म्यूजिक फेस्टिवल और ओपन एयर पार्टीज के आयोजक अब ऐसे कार्यक्रमों को बड़ी संख्या में रद्द कर रहे हैं. इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूयर ऑपरेटर्स के अध्यक्ष प्रणब सरकार ने बताया कि वायू प्रदूषण के चलते अब टूरिस्ट भी दिल्ली आने से कतराने लगे हैं. उन्होंने बताया, "क्रिसमस सीजन पर इसका असर दिखने लगा है. अब तक कई टूरिस्ट अपनी छुट्टियां कैंसल कर चुके हैं."
दिल्ली की हवा जहरीली क्यूं
भारत की राजधानी दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बन चुकी है. और स्मॉग संकट ने यहां रहने वालों की सेहत के लिए "आपातकाल" की स्थिति पैदा कर दी है. जानिए दिल्ली की दूषित हवा में क्या घुला है.
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पीएम2.5 (पर्टिकुलेट मैटर)
स्मॉग में शामिल यह ऐसे सूक्ष्म कण होते हैं जिनके सांस की हवा के साथ शरीर के अंदर जाने से गंभीर ब्रॉन्काइटिस, फेफड़ों का कैंसर और दिल की बीमारियों का खतरा होता है.
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दिल्ली की सर्दी
दिल्ली की हवा खराब होने का एक और कारण जाड़ों का ठंडा मौसम है. खासकर दिवाली के त्योहार में लाखों पटाखे फोड़े जाने के बाद से उससे निकलने वाले प्रदूषक पदार्थ इस ठंडी हवा में कैद हो जाते हैं.
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धूल और धुआं
राजधानी में पश्चिम की सूखी बंजर धरती की ओर से धूल भरी आंधियां पहुंचती हैं और पास के राज्यों में फसलों की कटाई के बाद बची खुची खूंटी को जलाने वाला धुआं भी.
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पहले से ही प्रदूषण में टॉप
2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वे में दुनिया के 1,600 से अधिक शहरों की रैंकिंग की गई. इनमें दिल्ली प्रदूषण के मामले में टॉप पर रही. एक अमेरिकी स्टडी के अनुसार विश्व भर में वायु प्रदूषण से होने वाली आधी से अधिक मौतें केवल चीन और भारत में ही होती हैं.
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प्रवासी आबादी
दिल्ली के प्रदूषण की ही तरह उसकी आबादी भी बहुत तेज रफ्तार से बढ़ रही है. हर साल कई लाख नए प्रवासी राजधानी पहुंचते हैं और उनके आने से भी शहर के संसाधनों पर बोझ बढ़ता है.
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तेज विकास और निर्माण
विकासशील देश भारत की राजधानी में तेज विकास का सबसे बड़ा उदाहरण रिहायशी और फैक्ट्री वाली इमारतों के निर्माण कार्य में दिखता है. इन निर्माण स्थलों के आसपास धूल का अंबार होता है. इसके अलावा कोयले से चलने वाले बिजली के प्लांट भी हवा में काफी प्रदूषक छोड़ते हैं.
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कारें ही कारें
राजधानी के लोगों की क्रय क्षमता बढ़ने के साथ साथ कारों की बिक्री में तेज बढ़ोत्तरी हुई है. हर रात राजधानी की सड़कों पर कम से कम एक करोड़ कारें अपने रास्ते चलती हैं. साथ ही उनसे निकलने वाला धुआं भी दूर तक निकलता है.
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पटाखों का शोर और धुआं
दिवाली हो, शादी हो या भारत ने क्रिकेट मैच जीता हो, त्योहारों और ऐसे सभी मौकों पर पटाखे छोड़ने का चलन रहा है. स्मॉग को देखते हुए फिलहाल केवल धार्मिक अवसरों पर ही ऐसा करने की अनुमति है.
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डीजल का धुआं
पिछले साल डीलज ट्रकों पर भारी चुंगी लगा दी गई थी. जनवरी में ऑड-इवेन सिस्टम का प्रयोग भी किया गया, जो काफी सफल रहा. अब दिल्ली सरकार सड़कों पर चौराहों में हवा को साफ और सुगंधित करने वाले प्यूरिफायर लगवाने जा रही है.
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खेतों की आग
दिल्ली सरकार अब तक पास के राज्यों हरियाणा और पंजाब के लोगों को हर फसल के बाद खेतों में आग लगाने की परंपरा छोड़ने को राजी नहीं करवा पाई है. यह भी दिल्ली के स्मॉग की स्थिति को और खराब कर रही है.