विश्व में प्रदूषण की राजधानी बन चुकी नई दिल्ली पर छाई स्मॉग की चादर हट गई है. लेकिन दिल्ली और पास के इलाकों में स्थित कई कंपनियों में व्याप्त चिंता के कारण राजधानी की अर्थव्यवस्था और छवि पर चिंता के बादल बने हुए हैं.
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हवा साफ करने वाले एयर-प्योरीफायर और नाक-मुंह ढक कर सांस लेने वाले मास्क बाजारों में हाथों हाथ बिक गए. 17 सालों में इतना भीषण स्मॉग दिल्ली ने नहीं देखा था. भारत की सबसे बड़ी मोबाइल पेमेंट कंपनी पेटीएम के प्रमुख ने प्लेन लिया और देश से निकल गए. वे प्रदूषण से बचकर भागने वाले हजारों कर्मचारियों में से एक हैं. इससे राजधानी में स्थित कंपनियों के भविष्य और पूरी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है.
पेटीएम स्टार्टअप के संस्थापक विजय शेखर शर्मा पिछले रविवार दिल्ली से मुंबई चले गए. कारण था राजधानी में छाए धुएं, धूल के खतरनाक बादल और जहरीली लपटें. मुंबई में समाचार एजेंसी रॉयटर्स के साथ बातचीत में वह बताते हैं, "यह साफ हो गया कि दिल्ली में बहुत मुश्किल होने वाली है, खासकर छोटे बच्चों के साथ." शर्मा ने आगे कहा कि उन्हें चिंता थी कि इसका सेहत पर लंबे समय तक बुरा असर हो सकता है."
एक बार तो उन्होंने अपनी कंपनी पेटीएम को दिल्ली से हटाने के बारे में भी सोचा. लेकिन फिलहाल उन्होंने दफ्तर में एयर प्योरीफायर लगवाने, पौधों को दफ्तर में लाने, कर्मियों के लिए मास्क मुहैया कराने और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं देने जैसे कदम उठाए हैं. आइडिया सेल्युलर जैसी टेलीकॉम कंपनियों ने इस दौरान अपने कई कर्मियों को घर से ही काम करने की अनुमति दे दी. तो कुछ ने सड़कों पर कारें थोड़ी कम करने के लिए अपने कर्मचारियों को लाने के लिए बसें भेजीं.
दिल्ली की हवा जहरीली क्यूं
भारत की राजधानी दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बन चुकी है. और स्मॉग संकट ने यहां रहने वालों की सेहत के लिए "आपातकाल" की स्थिति पैदा कर दी है. जानिए दिल्ली की दूषित हवा में क्या घुला है.
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पीएम2.5 (पर्टिकुलेट मैटर)
स्मॉग में शामिल यह ऐसे सूक्ष्म कण होते हैं जिनके सांस की हवा के साथ शरीर के अंदर जाने से गंभीर ब्रॉन्काइटिस, फेफड़ों का कैंसर और दिल की बीमारियों का खतरा होता है.
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दिल्ली की सर्दी
दिल्ली की हवा खराब होने का एक और कारण जाड़ों का ठंडा मौसम है. खासकर दिवाली के त्योहार में लाखों पटाखे फोड़े जाने के बाद से उससे निकलने वाले प्रदूषक पदार्थ इस ठंडी हवा में कैद हो जाते हैं.
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धूल और धुआं
राजधानी में पश्चिम की सूखी बंजर धरती की ओर से धूल भरी आंधियां पहुंचती हैं और पास के राज्यों में फसलों की कटाई के बाद बची खुची खूंटी को जलाने वाला धुआं भी.
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पहले से ही प्रदूषण में टॉप
2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वे में दुनिया के 1,600 से अधिक शहरों की रैंकिंग की गई. इनमें दिल्ली प्रदूषण के मामले में टॉप पर रही. एक अमेरिकी स्टडी के अनुसार विश्व भर में वायु प्रदूषण से होने वाली आधी से अधिक मौतें केवल चीन और भारत में ही होती हैं.
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प्रवासी आबादी
दिल्ली के प्रदूषण की ही तरह उसकी आबादी भी बहुत तेज रफ्तार से बढ़ रही है. हर साल कई लाख नए प्रवासी राजधानी पहुंचते हैं और उनके आने से भी शहर के संसाधनों पर बोझ बढ़ता है.
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तेज विकास और निर्माण
विकासशील देश भारत की राजधानी में तेज विकास का सबसे बड़ा उदाहरण रिहायशी और फैक्ट्री वाली इमारतों के निर्माण कार्य में दिखता है. इन निर्माण स्थलों के आसपास धूल का अंबार होता है. इसके अलावा कोयले से चलने वाले बिजली के प्लांट भी हवा में काफी प्रदूषक छोड़ते हैं.
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कारें ही कारें
राजधानी के लोगों की क्रय क्षमता बढ़ने के साथ साथ कारों की बिक्री में तेज बढ़ोत्तरी हुई है. हर रात राजधानी की सड़कों पर कम से कम एक करोड़ कारें अपने रास्ते चलती हैं. साथ ही उनसे निकलने वाला धुआं भी दूर तक निकलता है.
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पटाखों का शोर और धुआं
दिवाली हो, शादी हो या भारत ने क्रिकेट मैच जीता हो, त्योहारों और ऐसे सभी मौकों पर पटाखे छोड़ने का चलन रहा है. स्मॉग को देखते हुए फिलहाल केवल धार्मिक अवसरों पर ही ऐसा करने की अनुमति है.
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डीजल का धुआं
पिछले साल डीलज ट्रकों पर भारी चुंगी लगा दी गई थी. जनवरी में ऑड-इवेन सिस्टम का प्रयोग भी किया गया, जो काफी सफल रहा. अब दिल्ली सरकार सड़कों पर चौराहों में हवा को साफ और सुगंधित करने वाले प्यूरिफायर लगवाने जा रही है.
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खेतों की आग
दिल्ली सरकार अब तक पास के राज्यों हरियाणा और पंजाब के लोगों को हर फसल के बाद खेतों में आग लगाने की परंपरा छोड़ने को राजी नहीं करवा पाई है. यह भी दिल्ली के स्मॉग की स्थिति को और खराब कर रही है.
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प्योरीफायर बनाने वाली डायकिन जैसी जापानी कंपनी और एयर कंडिशनर निर्माता ओसाका तो खुश हैं. वहीं फेस मास्क बनाने वाली कंपनियों की भी चांदी ही चांदी है. लेकिन इंडस्ट्री बॉडी एसोचैम के अनुसार दूसरे कई कारोबारियों को "कई अरब डॉलर" का नुकसान उठाना पड़ा है. दिल्ली में करीब 1.7 करोड़ लोग रहते हैं और यह देश के सबसे तेजी से बढ़ती आबादी वाले राज्यों में शामिल है. राजधानी की करीब 84 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था पिछले दो सालों में सालाना आठ फीसदी से भी तेज दर से बढ़ी है. भारत का राष्ट्रीय औसत 7.4 प्रतिशत रहा.
विश्व बैंक की एक स्टडी में पता चला है कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत ने 2013 में वायु प्रदूषण के कारण ही अपनी जीडीपी का करीब 8.5 फीसदी हिस्सा खो दिया. जेएलएल नाम की एक वैश्विक रियल एस्टेट सर्विस फर्म ने बताया है कि उनके ग्राहकों में शामिल कई बड़ी कंपनियां दिल्ली में बने रहने के अपने फैसले पर दोबारा विचार कर रही हैं. इसका एक कारण दिल्ली का पहले से कहीं ज्यादा महंगा होना भी है. दिल्ली की छवि पर स्मॉग का धब्बा लगने के कारण कई पर्यटक वहां जाने से कतरा रहे हैं और कई अपनी बनी बनाई योजनाएं रद्द करवा रहे हैं.