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स्वित्ज़रलैंड ने मीनार पर प्रतिबंध लगाया

३० नवम्बर २००९

स्वित्ज़रलैंड में मस्जिदों के मीनारों के निर्माण पर रोक लग गई है. एक जनमतसंग्रह में 57.5 फ़ीसदी लोगों ने रोक का पक्ष लिया. स्वित्ज़रलैंड में 4 लाख मुसलमान रहते हैं और वहां स्थित 100 मस्जिदों में सिर्फ़ 4 मीनारें हैं.

तस्वीर: AP

इतना स्पष्ट फ़ैसला स्वित्ज़रलैंड के लिए चौंकाने वाला था. मतदान से पहले हुए अंतिम सर्वेक्षणों में रोक के प्रस्ताव को थोड़े अंतर से ठुकराए जाने की बात थी. सिर्फ़ बाजेल शहर और कुछ पश्चिम स्विस कंटोन में जनता ने बहुमत से प्रतिबंध का विरोध किया. स्वित्ज़रलैंड के जर्मन भाषी इलाक़े में मतदान दो टूक रहा.

जनमत संग्रह दक्षिणपंथी स्विस पीपुल्स पार्टी के राजनीतिज्ञों की पहल पर कराया गया था. मतदान की पहल करने वालों ने नतीज़े का स्वागत किया है. स्विस पीपुल्स पार्टी के वाल्टर वोबमन ने कहा, हम इस विकास को रोकना चाहते हैं कि राजनीतिक इस्लाम स्वित्ज़रलैंड में अपनी जड़ें जमाए जैसा कि कुछ अन्य यूरोपीय देशों में हुआ है.

तस्वीर: AP

स्विस सरकार ने लोगों से मस्जिदों में मीनार बनाने पर प्रतिबंध की पहलक़दमी का विरोध करने की अपील की थी. उसे डर है कि इस फ़ैसले से उसकी छवि को नुकसान पहुंचेगा और मुस्लिम देशों के साथ उसके संबंधों पर इसका असर पड़ेगा. वाणिज्य और पर्यटन संगठनों को भी आशंका है कि इसका असर कारोबार पर भी पड़ सकता है.

स्विस पीपुल्स पार्टी अकेली बड़ी पार्टी थी जिसने मीनार पर प्रतिबंध का समर्थन किया था. राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार उसे लोगों को प्रतिबंध के मुद्दे पर इकट्ठा करने में अभूतपूर्व सफलता मिली है. जनमत संग्रह में 50 फ़ीसदी से अधिक की भागीदारी अन्य मुद्दों पर हुए मतदानों से कहीं अधिक है. पहली प्रतिक्रिया में दूसरी पार्टियों के राजनीतिज्ञों ने कहा है कि आबादी के अंदर इस्लाम से भय को कम कर आंका गया है. अब सरकार को इस असुरक्षा की भावना का मुक़ाबला करना होगा.

यह साफ नहीं है कि जनमत संग्रह के नतीज़े को किस तरह से लागू किया जाएगा. स्वित्ज़रलैंड का संविधान धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है. देश की सर्वोच्च अदालत पहले ही मीनार बनाने की अनुमति दे चुकी है. यूरोपीय मानवाधिकार अदालत के साथ समस्या हो सकती है. स्वित्ज़रलैंड ने यूरोपीय मानवाधिकार संधि पर हस्ताक्षर किया है और स्ट्रासबुर्ग के जज स्वित्ज़रलैंड में मुसलमानों के साथ भेदभाव को स्वीकार नहीं करेंगे.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: ओ सिंह

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