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हंगरी के मंत्री के बयान से नई आशंकाएं

३० जून २०१६

क्या ब्रेक्जिट, यूरोपीय संघ के टूटने की शुरुआत है? हंगरी के मंत्री ने इस आशंका को नई हवा दी. ब्रिटेन में ब्रेक्जिट के फैसले के बाद स्थिति अस्पष्ट बनी हुई है.

Großbritannien Boris Johnson
तस्वीर: Reuters/M. Turner

हंगरी के प्रधानमंत्री के चीफ ऑफ स्टाफ यानोस लजार से जब यह पूछा गया कि अगर हंगरी में भी जनमत संग्रह हुआ तो वह क्या करेंगें. उन्होंने कहा कि मैं यूरोपीय संघ छोड़ने के पक्ष में वोट दूंगा या फिर मतदान में हिस्सा नहीं लूंगा.

अपनी बात खत्म करते ही लजार को यह अहसास हो गया था कि उनके मुंह से विवाद निकल चुका है. लिहाजा उन्होंने इसे अपनी निजी राय कहकर ठंडा करने की कोशिश भी की. आगे सफाई देते हुए लजार ने कहा, "इसका मतलब यह नहीं है कि मैं यूरोप क का समर्थक नहीं हूं, इसका मतलब सिर्फ इतना है कि यूरोपीय संघ का यूरोप समानता वाला नहीं है. आज का ईयू यूरोपीय मूल्यों और हितों की रक्षा करने और उनका प्रतिनिधित्व करने में सक्षम नहीं है."

लजार प्रधानमंत्री विक्टोर ओरबान के कार्यालय के इंचार्ज है. हालांकि उन्होंने यह साफ किया कि हंगरी सरकार का फिलहाल जनमत संग्रह कराने का कोई प्लान नहीं है. हंगरी में 2004 में जनमत संग्रह हुआ था, जिसमें बहुमत ने यूरोपीय संघ का सदस्य बनने के पक्ष में वोट दिया.

तस्वीर: picture alliance/AA/POHPM

लेकिन 2015 में जब बड़ी संख्या में शरणार्थी यूरोप के दरवाजे पर पहुंचे तो हंगरी नाराज हो गया. जर्मन चासंलर अंगेला मैर्केल ने शरणार्थियों का स्वागत किया. मैर्केल ने यूरोपीय मूल्यों का हवाला देते हुए कहा कि यूरोपीय संघ के सदस्यों को मिलकर इस मानवीय त्रासदी का सामना करना चाहिए. यूरोपीय संघ ने हर देश से निश्चित संख्या में शरणार्थियों को जगह देने को कहा. हंगरी, सर्बिया और क्रोएशिया जैसे देश इसके लिए तैयार नहीं थे.

वहीं ब्रिटेन में अब भी ब्रेजिक्ट का तूफान शांत नहीं हुआ है. एक तरफ ब्रेक्जिट के खिलाफ एक और जनमत संग्रह कराने के लिए हस्ताक्षर अभियान चल रहा है. दूसरी तरफ यूरोपीय संघ ब्रिटेन से साफ कह चुका है कि अगर वो बाहर निकलना चाहता है तो जल्द से जल्द ऐसा करे, ताकि ईयू को आगे की रणनीति बनाने के लिए पर्याप्त समय मिले. ब्रेक्जिट को टालने की कोशिशों के बीच यूरोपीय संघ ने ब्रिटेन से साफ कहा है कि ईयू देशों के नागरिकों की मुक्त आवाजाही की शर्त से समझौता किसी कीमत पर नहीं किया जाएगा.

ब्रिटेन में बड़ी संख्या में पोलैंड के लोग काम कर रहे हैं. ब्रेजिक्ट का समर्थन कर रहे नेताओं ने पोलिश लोगों की वजह से ब्रिटेन को हो रहे नुकसान को मुद्दा बनाया था. शरणार्थी संकट और संप्रभुता का भी हवाला दिया गया. आम जनता के बीच ऐसी राय बनाई गई जैसे ब्रसेल्स के आगे ब्रिटेन लाचार हो. अब ब्रेक्जिट के पक्ष में मतदान होने के बाद असली तस्वीर सामने आने लगी है.

प्रधानमंत्री डेविड कैमरन इस्तीफे का एलान कर चुके हैं. ब्रेक्जिट की पुरजोर तरीके से वकालत करने वाले लंदन के पूर्व मेयर बोरिस जॉनसन भी प्रधानमंत्री पद की दावेदारी से इनकार कर चुके हैं. ब्रेक्जिट अभियान की अगुवाई करने वाले नेता पीएम बनने से इनकार कर चुके हैं.

तो क्या कैमरन के बाद ब्रिटेन को आयरन लेडी जैसी नई प्रधानमंत्री मिलेगी? राजनीतिक संकट के बीच ब्रिटेन की गृह मंत्री थेरिजा मे ने प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी ठोंकी है. मजबूत प्रशासक की छवि वाली मे ने गुरुवार को कहा, "मैं थेरिजा मे हूं और मैं समझती हूं कि मैं इस देश की प्रधानमंत्री के बनने लायक हूं." ब्रेक्जिट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि देश को अभी मजबूत नेतृत्व की जरूरत है.

ओएसजे/एमजे (रॉयटर्स, पीटीआई)

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