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हंगरी मीडिया कानून में बदलाव को तैयार

६ जनवरी २०११

हंगरी ने कहा कि अगर यूरोपीय संघ कहे तो वह अपने विवादास्पद मीडिया कानून में बदलाव करने को तैयार है. पर प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान का यह भी कहना है कि इस कानून में ऐसा कुछ नहीं है जो दूसरे ईयू देशों के कानूनों में न हो.

ओरबान ने किया कानून का बचावतस्वीर: AP

जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे यूरोपीय संघ के देशों ने इस कानून का आलोचना की है. वे इसे मीडिया की स्वतंत्रता पर पाबंदी लगाने वाले कदम के तौर पर देखते हैं. लेकिन प्रधानमंत्री ओरबान इस कानून का बचाव करते हैं और इसे लोकतांत्रित करार देते हैं. लेकिन उन्होंने यह भी कहा अगर यूरोपीय आयोग चाहे तो वह इस कानून में बदलाव भी किए जा सकते हैं. यूरोपीय आयोग इस कानून का अध्ययन कर रहा है.

ओरबान ने हंगरी में आमंत्रित विदेशी पत्रकारों को बताया, "हम यूरोपीय संघ का हिस्सा हैं जिसके अपने नियम हैं. जो भी प्रक्रिया या पहल यूरोपीय संघ शुरू करता है, हम उन्हें मानेंगे. अगर हम सही नहीं हैं और यह बात साबित हो जाती है तो हम बदलाव करने को तैयार हैं." हंगरी ने एक जनवरी से ही छह महीने के लिए यूरोपीय संघ की अध्यक्षता संभाली है.

लेकिन हंगरी के प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके कानून में ऐसा कुछ नहीं है जो पहले से यूरोपीय संघ के देशों में मौजूद कानून में न हो. अब अगर हंगरी से इस कानून में बदलाव की मांग की जा रही है तो दूसरे देशों को भी अपने कानून बदलने होंगे. उनका कहना है, "अगर हंगरी के मीडिया कानून के इस अंश में तब्दीली की जाती है तो फिर फ्रांस, जर्मनी और डेनमार्क में भी बदलाव की जरूरत है. मु्झे कोई बताए कि हमारे कानून में ऐसा क्या है जो यूरोपीय संघ के दूसरे देशों में नहीं है."

दरअसल इस कानून की वजह से हंगरी के यूरोपीय संघ का अध्यक्ष बनने पर भी सवाल उठ रहे हैं. नए कानून के तहत सरकार ने एक मीडिया परिषद का गठन किया है. इस परिषद के पास यह तय करने का अधिकार है कि किसी मीडिया संगठन ने कानून तोड़ा है या फिर नहीं. सरकार की ओर से गठित परिषद यह तय करेगी कि मीडिया रिपोर्टिंग संतुलित और नैतिक है या फिर नहीं. अगर कोई मीडिया प्रतिष्ठान कानून तोड़ता है तो फिर उसके खिलाफ भारी जुर्माने का प्रावधान है.

अख़बार, मैगजीन और इंटरनेट मीडिया के खिलाफ एक लाख डॉलर से ज्यादा का जुर्माना लगाया जा सकता है जबकि टीवी चैनलों या रेडियो स्टेशनों पर 10 लाख तक का जुर्माना हो सकता है. यह मीडिया परिषद ही तय करेगी कि रिपोर्टिंग संतुलित रही है या नहीं. इसके अलावा खबरों के कार्यक्रम में 20 फीसदी से ज्यादा समय अपराध से जुड़ी कहानियों को नहीं दिया जा सकता. पत्रकारों पर उनकी खबरों के स्रोत उजागर करने का दबाव भी डाला जा सकता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः आभा एम

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