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हंगरी में आपातकाल की घोषणा

६ अक्टूबर २०१०

हंगरी में अल्यूमीनियम संयंत्र से जहरीले रसायन के रिसाव की चपेट में आने के बाद आपातकाल की घोषणा कर दी गई है. इस हादसे में चार लोगों की मौत हो गई और 120 घायल हो गए.

तस्वीर: AP

यह हादसा सोमवार को देश के पश्चिमी शहर अजका में स्थित अल्यूमिनियम प्लांट में एक बड़े से टैंक के तटबंध टूटने से हुआ. भारी भरकम जलाशय के आकार वाले इस टैंक में जहरीला रसायन भरा था. यह बाहर आकर मिट्टी में मिलकर जहरीले कीचड़ के रूप में आसपास के सात गांवों में फैल गया. इसकी चपेट में आकर चार लोग मारे गए जबकि 120 घायल हो गए. इनमें से आठ की हालत काफी गंभीर है और छह लापता हैं. मृतकों में दो बच्चे भी शामिल हैं, जिनकी उम्र तीन साल और एक साल बताई गई है.

हंगरी सरकार की ओर से इसे अब तक का सबसे भीषण केमीकल हादसा बताते हुए सबसे ज्यादा प्रभावित तीन कांउटी क्षेत्रों वेस्प्रेम, ग्योर मोसोन सोपरन और वास में इमरजेंसी लगा दी गई है. इसके आसपास के इलाकों में कीचड़ फैलने से रोकने के इंतजाम किए जा रहे हैं. जहरीली कीचड़ की चपेट में आने से पेड़ पौधे और फसल भी नष्ट हो रहे हैं.

गांव के गांव प्रभाविततस्वीर: AP

कीचड़ की दो मीटर मोटी परत ने 40 वर्ग किलोमीटर इलाके को अपने दायरे में ले लिया है और इसके साथ काफी तादाद में वाहन भी बह गए है. साथ ही जहरीला कीचड़ घरों में घुस गया जिससे लोगों को घरों से बाहर खुली जगहों पर पनाह लेनी पड़ी.

फिलहाल इस कीचड़ को देश की प्रमुख नदी डेन्यूब में मिलने से रोकने की सबसे बड़ी चिंता है. यह नदी क्रोएशिया, सर्बिया, बुलगारिया, रोमानिया और यूक्रेन होते हुए काले सागर में मिलती है. हालांकि देश के गृह मंत्री सेंडोर पिंटर ने कहा है कि फिलहाल उस इलाके में पीने का पानी दूषित नहीं हुआ है लेकिन उन्होंने लोगों को जमीन में उगाई गई चीजों को न खाने की हिदायत दी है. पिंटर ने बताया कि इस रसायन के संपर्क में आते ही त्वचा में जलन होने लगती है और यह आंखों में चली जाए, तो रोशनी भी खत्म हो सकती है.

देश में पर्यावरण के लिये अब तक का सबसे बड़ा खतरा पैदा करने वाले इस हादसे के लिए लगभग 11 लाख क्यूबिक मीटर जहरीला रसायन जिम्मेदार है. स्थानीय अधिकारियों ने इस कीचड़ के मार्कल नदी की ओर रुख कर लेने की आशंका जताई है. जिससे मिलने वाली राबा और डेन्यूब नदियों में भी प्रदूषण फैलने का खतरा पैदा हो सकता है. जल प्रबंधन अधिकारियों ने कहा है कि इस कीचड़ को यूरोप की दूसरी सबसे लंबी नदी डेन्यूब तक पंहुचने में चार पांच दिन का समय लग सकता है और तब तक इसे रोकने के इंतजाम करने होंगे.

तस्वीर: AP

लाल रंग के इस कीचड़ में रेडियोधर्मी गुण मौजूद होने का खतरा भी जताया गया है. साथ ही इसमें जहरीले तत्व लेड, केडमियम, आर्सेनिक और क्रोमियम की मौजूदगी के कारण पेड़ पौधों और जीव जंतुओं के लिए गंभीर संकट पैदा हो गया है.

पड़ोसी देश रोमानिया में इसके असर पर पैनी नजर रखी जा रही है. पर्यावरण मंत्रालय पानी की गुणवत्ता को लगातार जांच रहा है. इस हादसे की तुलना चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र हादसे और भारत में भोपाल गैस कांड से की जाए तो गलत नहीं होगा.

रिपोर्टः एएफपी/निर्मल

संपादनः ए जमाल

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