यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन ने हंगरी में लागू नए आपातकाल कानून पर चिंता व्यक्त की है जिसके तहत प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान को अनिश्चित काल के लिए असीमित शक्तियां मिल गई हैं.
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कोरोना संकट से निपटने के लिए दुनिया का हर देश कड़े से कड़े कदम उठा रहा है. दुनिया की आधी आबादी इस वक्त अपने घरों में कैद है. इस बीच हंगरी में कुछ ऐसा हुआ है जो यूरोपीय संघ के देशों के लिए चिंता का सबब बन सकता है. सोमवार को हंगरी की संसद ने पूर्ण बहुमत से सरकार को असीमित अधिकार दे दिए हैं. प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान का कहना है कि कोरोना से निपटने के लिए वे बेरोकटोक काम करना चाहते हैं.
इसी पर चिंता व्यक्त करते हुए यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन ने कहा कि वे मानती हैं कि महामारी से निपटने के लिए यूरोपीय संघ को अभूतपूर्व कदम उठाने की जरूरत है लेकिन "मुझे इस बात की चिंता है कि कुछ कदम बहुत ज्यादा ही कड़े हैं और मैं खास कर हंगरी की स्थिति को लेकर चिंतित हूं."
नए इमरजेंसी कानून के तहत जब तक कोरोना संकट खत्म नहीं हो जाता सरकार के पास असीमित शक्तियां हैं. संकट खत्म हुआ है या नहीं, यह तय करने का अधिकार भी सरकार के ही पास होगा. इतना ही नहीं इमरजेंसी के दौरान सरकार या कोरोना से जुड़ी किसी भी तरह की "फेक न्यूज" छापने पर पत्रकारों को कैद हो सकती है.
सरकार के प्रवक्ता जोल्टान कोवाच ने ट्विटर पर एक वीडियो संदेश पोस्ट करते हुए इमरजेंसी की आलोचना का खंडन किया. ओरबान सरकार पर लग रहे आरोपों को उन्होंने "विच हंट" का नाम दिया. कोवाच ने कहा कि फॉन डेय लाएन की प्रतिक्रया "दोहरे राजनीतिक मानदंडों की मिसाल है". बुधवार को यूरोपीय संघ के 13 देशों ने एक साझा बयान जारी कर कहा था कि वे "कुछ आपातकालीन कदमों के चलते लोकतंत्र और मौलिक अधिकारों के हनन को लेकर चिंतित हैं." हालांकि इस बयान में कहीं भी हंगरी का जिक्र नहीं किया गया था.
कोरोना वायरस की वे बातें जो हम अब तक नहीं जानते
चीन से दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस पर इतनी चर्चा और गहन रिसर्च के बावजूद हम इस खतरनाक वायरस के बारे में कई अहम बातें नहीं जानते हैं. डालते हैं इन्हीं पर नजर:
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किसके लिए घातक
सबसे बड़ा रहस्य यह है कि 80 फीसदी लोगों में इसके लक्षण या तो दिखते ही नहीं या बहुत कम दिखते हैं. दूसरे लोगों में यह घातक न्यूमोनिया की वजह बन उनकी जान ले लेता है. ब्रिटिश जर्नल लांसेट में छपी रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक संक्रमण से सबसे ज्यादा पीड़ित लोगों के नाक और गले में वायरस का जमाव कम पीड़ित लोगों की तुलना में 60 फीसदी ज्यादा होता है.
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और रिसर्च की जरूरत
तो क्या यह माना जाए कि बढ़ती उम्र की वजह से ज्यादा पीड़ित लोगों का प्रतिरोधी तंत्र मजबूती से काम नहीं कर रहा है या फिर वे वायरस के संपर्क में ज्यादा थे? यह सवाल अपनी जगह कायम है. अभी इस बारे में और रिसर्च करने की जरूरत है.
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हवा में वायरस
माना जाता है कि कोरोना वायरस शारीरिक संपर्क और संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से निकलने वाली छोटी छोटी बूंदों से फैलता है. तो फिर यह वायरस मौसमी फ्लू फैलाने वाले वायरस की तरह हवा में कैसे रह सकता है?
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वायरस की ताकत
अध्ययन बताते हैं कि नया कोरोना वायरस लैब मे तीन घंटे तक हवा में रह सकता है. वैज्ञानिक यह नहीं जानते कि इतनी देर हवा में रहने के बाद भी क्या यह किसी को संक्रमित कर सकता है? पेरिस के सेंट अंटोनी अस्पताल की डॉक्टर कैरीन लाकोम्बे कहती हैं, "हम वायरस ढूंढ तो सकते हैं, लेकिन हम यह नहीं जानते कि क्या वायरस तब संक्रमण में सक्षम है."
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असल मामले कितने
दुनिया में जर्मनी और दक्षिण कोरिया जैसे कुछ देश ही सघन जांच कर रहे हैं. ऐसे में दुनिया भर में कोरोना के मामलों की असल संख्या क्या है, यह नहीं पता. ब्रिटिश सरकार ने 17 मार्च को अंदेशा जताया कि 55 हजार लोगों को वायरस लग सकता है जबकि तब तक महज 2000 लोग ही टेस्ट में संक्रमित पाए गए थे.
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नए तरीके की जरूरत
बीमारी से निपटने और इसे रोकने के लिए कुल मरीजों की असल संख्या जानना बहुत जरूरी है ताकि उन्हें अलग रखा जा सके और उनका इलाज हो सके. यह तभी संभव होगा जब ब्लड टेस्ट के नए तरीके विकसित किए जा सकें.
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गर्मी से भागेगा कोरोना?
क्या उत्तरी गोलार्ध में वसंत के गर्म दिनों या गर्मी के आने बाद कोविड-19 बीमारी रुक जाएगी? विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसा संभव है, लेकिन पक्के तौर पर ऐसा कहना मुश्किल है. फ्लू जैसे सांस संबंधी वायरस ठंडे और सूखे मौसम में ज्यादा टिकते हैं इसीलिए वे सर्दियों में तेजी से फैलते हैं.
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चेतावनी
अमेरिका के मेडिकल हावर्ड स्कूल ने चेतावनी दी है कि मौसम में बदलाव होने से जरूरी नहीं है कि कोविड-19 के मामले रुक जाएं. विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम से भरोसे रहने की बजाय बीमारी की रोकथाम के सभी प्रयासों को लगातार और तेजी से किए जाने की जरूरत है.
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कोरोना एक पहेली
वयस्कों के मुकाबले बच्चों को कोविड-19 होने का खतरा कम है. जो संक्रमित भी हुए वे ज्यादा बीमार नहीं हुए. बीमार लोगों के साथ रहने वाले बच्चों में भी इस वायरस से लगने की संभावना दो से तीन गुनी कम थी. प्रोफेसर लाकोम्बे कहती हैं, "कोरोना के बारे में बहुत सारी बातें हैं जो हम अब तक नहीं जानते हैं जो इस वायरस से निपटने में बाधा बन रही हैं." रिपोर्ट: एके/एनआर (एएएफपी)
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तब तक यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष भी हंगरी का नाम लेने से बचती नजर आ रही थीं. मंगलवार को एक बयान में उन्होंने कहा था कि यूरोपीय संघ में जो भी कदम उठाए जाएं, वे सीमित हों और वे किसी भी हाल में अनिश्चित काल के लिए नहीं हो सकते. लेकिन 13 देशों के बयान के ठीक एक दिन बाद उन्होंने साफ साफ हंगरी का नाम लेते हुए अपनी चिंताएं व्यक्त की. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "जैसा कि हम अतीत में करते रहे हैं, हम आगे भी जरूरी कार्रवाई करेंगे." उन्होंने कहा कि आयोग "स्थिति का ब्यौरा ले रहा है."
इसके जवाब में हंगरी के न्याय मंत्रालय ने कहा है कि उसे इमरजेंसी कानून की जांच से कोई ऐतराज नहीं है लेकिन ऐसा कोरोना संकट के खत्म हो जाने के बाद ही किया जाना चाहिए. बयान में कहा गया है कि लोकतंत्र और मानवाधिकार के मुद्दों से लोगों को बांटने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए "खास कर ऐसे वक्त में जब यूरोपीय संघ को एकता और एकजुटता की बहुत ज्यादा जरूरत है."
क्या एक फुटबॉल मैच ने स्पेन को कोरोना के जाल में फंसाया?
जिन देशों में कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं, उनमें इटली के बाद स्पेन दूसरे नंबर पर है. लेकिन स्पेन कोरोना के जाल में कैसे फंसा, चलिए जानते हैं.
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31 जनवरी
स्पेन में कोरोना के पहले मामले की पुष्टि हुई. संक्रमण केनेरी द्वीप पर एक जर्मन टूरिस्ट में मिला, जो चीन का दौरा करने वाले लोगों के संपर्क में था.
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6 फरवरी
स्वास्थ्य मंत्रालय ने आधिकारिक टेस्ट प्रोटोकॉल निर्धारित किया. जिन लोगों को सांस संबंधी बीमारी और बुखार था और जिन्होंने बीते 15 दिन में चीन के हुबेई प्रांत का दौरा किया, उनका टेस्ट किया गया.
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19 फरवरी
स्पैनिश फुटबॉल क्लब वालेंसिया के 2,500 फैन्स एक फुटबॉल मैच देखने इटली के शहर मिलान गए. मैच वेलेंसिया और इटली के क्लब अटलांटा के बीच था. जिस शहर बेरगामो में अटलांटा क्लब स्थित है, उसके मेयर ने इस मैच को "एक जैविक बम" बताया. मैड्रिड में भी 18 फरवरी को चैंपियंस लीग का मैच हुआ.
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25 फरवरी
इटली से लौटे फुटबॉल फैंस से जुड़े कोरोना वायरस के मामले सामने आने लगे. वहीं केनेरी द्वीप के टेनेरीफ होटल में जब एक इतालवी टूरिस्ट पॉजिटिव पाया गया तो वहां ठहरे 700 लोगों को क्वांटरीन कर दिया गया. स्पेन की राजधानी मैड्रिड में पहला मामला सामने आया.
तस्वीर: picture-alliance/ZB/J. Kalaene
26 फरवरी
संक्रमण को रोकने की कोशिश में स्पेन ने अपने देश के लोगों को चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ईरान, सिंगापुर और उत्तरी इटली ना जाने की सलाह दी. इनमें ज्यादातर इलाके कोरोना संक्रमण से गंभीर रूप से ग्रस्त रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
27 फरवरी
ज्यादा मरीजों का टेस्ट शुरू किया गया. जिन लोगों में कोविड-19 के स्पष्ट लक्षण दिख रहे थे, उनके तो टेस्ट हो ही रहे थे, अब ऐसे लोग भी इसमें शामिल कर लिए गए जो उत्तरी इटली और कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों की यात्रा करते रहे थे.
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3 मार्च
लेकिन कोरोना ने स्पेन को अपने चंगुल में समेट लिया था. स्पेन में कोरोना वायरस से पहली मौत हुई. मरने वाला व्यक्ति वालेंसिया में रहता था और 13 फरवरी को नेपाल गया था.
तस्वीर: Reuters/S. Perez
5 मार्च
स्पेन के अधिकारियों ने आदेश दिया कि अगर कोई खिलाड़ी कोरोना वायरस से प्रभावित इलाके से आता है तो उसकी टीम के साथ होने वाला मैच बंद दरवाजों के पीछे खेला जाएगा.
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7 और 8 मार्च
धुर दक्षिणपंथी वोक्स पार्टी की मैड्रिड में सालाना रैली हुई. महिला अधिकार रैली हुई, देश भर में कई खेल आयोजन हुए. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से संबंधित प्रदर्शन भी हुए. 8 मार्च को स्पेन में कोरोना वायरस के 589 मामले सामने आए और 17 मौतें हुईं.
स्पेन ने इटली से आने वाली सीधी उड़ानों पर रोक लगा दी. संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में एक हजार से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई.
तस्वीर: REUTERS
12 मार्च
देश भर में स्कूलों को बंद कर दिया गया. कैटेलोनिया इलाके में इगुलाडा पहला ऐसा शहर बना जहां लॉकडाउन किया गया. वहां अब सिर्फ तीन हजार केस हैं और 84 लोगों की मौत हुई है.
स्पेन ने 15 दिन के आपातकाल की घोषणा की. सभी तरह की आवाजाही रोक दी गई. सिर्फ खाना और दवाएं खरीदने और काम पर जाने की छूट दी गई. बार, रेस्तरां और गैर जरूरी उत्पाद बेचने वाली दुकानों को बंद कर दिया गया.
तस्वीर: Reuters/J. Medina
25 मार्च
स्पेन ने कोरोना वायरस से हुई मौतों के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया और मौतों का आंकड़ा 3,434 हो गया. हालांकि मृतकों का आंकड़ा इटली से काफी कम था लेकिन उसमें तेजी से इजाफा हो रहा था.
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23 मार्च
कोरोना वायरस की वजह से लगातार तेजी से बढ़ते संक्रमण की वजह से अस्पतालों में मौजूदा बेड कम पड़ते गए. राजधानी मैड्रिड में आपात अस्पतालों को बनाने की शुरुआत हुई.
तस्वीर: Getty Images/Comunidad de Madrid
26 और 28 मार्च
लगातार गंभीर होते हालात के बीच स्पेन की सरकार ने आपातकाल को 12 अप्रैल तक बढ़ाने का फैसला किया. लॉकडाउन को सख्त कर दिया गया. अनिवार्य सेवाओं को छोड़कर बाकी सभी कर्मचारियों को घर पर रहने को कहा गया. (रिपोर्ट: एके/रॉयटर्स)
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/J. Sanz
30 मार्च
संकट की घड़ी में मेडिकल कर्मचारियों के कठिन काम को लोगों की सराहना मिल रही है. वे घरों की बालकनी से तालियां बजाकर उनका हौसला बढ़ा रहे हैं. यहां एक अस्पताल के कर्मी लोगों का समर्थन के लिए शुक्रिया अदा करते हुए.