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हंसी मजाक के बीच फाइनल

२५ मई २०१३

इंग्लैंड में चैंपियंस लीग का फाइनल मैच खेला जाना है और देश के लोगों को अपनी किसी टीम के हारने का गम नहीं सता रहा है. पहली बार दोनों जर्मन टीमें आमने सामने हैं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

अखबार और मीडिया वाले भी इस बात का जम कर मजा उठा रहे हैं. कई जगहों पर रिपोर्ट छपी है कि "इंग्लैंड के लिए बिलकुल सही माहौल है. एक जर्मन टीम हारने वाली है." जर्मनी और इंग्लैंड के बीच जबरदस्त फुटबॉल प्रतिद्वंद्विता वैसी ही है, जैसी भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट में रहती है.

सिर्फ इंग्लैंड ही क्यों, स्पेन और इटली की मशहूर टीमें भी इस बार किनारे बैठ कर मैच देखने वाली हैं. खिताबी मुकाबला लाल जर्सी वाली बायर्न म्यूनिख और पीली जर्सी वाली बोरुसिया डॉर्टमुंड के बीच होना है.

हालांकि ब्रिटिश फुटबॉल टीमें इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं कि जर्मन फुटबॉल लीग बुंडेसलीगा उनके प्रीमियर टूर्नामेंट की जगह लेने वाली हैं. आर्सेनल के मैनेजर आरसेन वेंगर का कहना है, "यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि अगर मामूली ढंग से भी रेफरी ने सही फैसले किए होते, तो डॉर्टमुंड मलागा के खिलाफ ही बाहर निकल चुका होता. आप किसी एक मामले को नजीर बना कर सामान्य थ्योरी नहीं दे सकते हैं."

दो जर्मन टीमें फाइनल मेंतस्वीर: picture-alliance/dpa

"जहां तक बायर्न का सवाल है, वह एक बेहतरीन टीम है और हम इस बात को लंबे वक्त से जानते आ रहे हैं. वह जर्मनी में अकेली मिसाल है. वे पिछले साल भी फाइनल खेले थे और पिछले चार साल में तीन बार खेल चुके हैं. वे जर्मनी में जबरदस्त वित्तीय ताकत हैं. बाकियों के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है. अगले सत्र में इंग्लैंड की टीम फिर से उभरेंगी."

द टेलीग्राफ ने भी लिखा है कि बायर्न की टीम शानदार रही है लेकिन साथ ही यह भी टिप्पणी की है कि लंबे वक्त से जर्मन टीमें फुटबॉल की दुनिया में इस जगह की हकदार थीं, "अब भी पैसा ही बोलता है लेकिन स्पेन और इंग्लैंड ने हाल में देखा है कि अब जर्मनी का भी बोलबाला होने लगा है."

इसका कहना है कि जर्मन लीग में बहुत ज्यादा दर्शक आते हैं और टिकटें बहुत सस्ती होती हैं, माहौल अच्छा होता है और युवा प्रतिभाशाली खिलाड़ी उभर रहे हैं, "इंग्लैंड की टीम कभी भी इनियेस्ता या खावी जैसे खिलाड़ी नहीं दे सकती है या बार्सिलोना जैसी टीम नहीं दे सकती है लेकिन जाहिर बात है कि बुंडेसलीगा से बहुत कुछ सीखा जा सकता है."

स्पेन में बहुत सारे लोगों ने कल्पना की होगी कि रियाल मैड्रिड और बार्सिलोना के बीच फाइनल खेला जाएगा लेकिन बार्सिलोना को बायर्न की टीम ने दोनों सेमीफाइनल में मिला कर सात गोलों से रौंद दिया. मेसी की टीम जर्मन क्लब के खिलाफ एक गोल भी नहीं कर पाई.

लंदन पहुंचे डॉर्टमुंड के प्रशंसकतस्वीर: picture-alliance/dpa

स्पेन अभी भी इस बात का प्रचार कर रहा है कि उनका फुटबॉल लीग ला लीगा अभी भी दुनिया का सबसे अच्छा लीग है. हालांकि स्पेन के पूर्व कोच अनतोनियो कमाचो का कहना है, "शायद वक्त आ गया है कि हम इस बात पर सवाल करें कि क्या हम वाकई में सबसे अच्छे लीग हैं. जर्मन लीग अपनी छाप छोड़ रहा है."

इटली ने तो बहुत पहले ही अपने लीग सेरिया आ को सबसे अच्छा कहना बंद कर दिया है. कोई 10 साल पहले तक वहां के लीग की अच्छी खासी पहचान हुआ करती थी.

2003 में पहली बार इटली की दो टीमें चैंपियंस लीग के फाइनल में पहुंची थीं और एसी मिलान ने युवेंटेस को हरा कर खिताब जीता था.

युवेंटेस को इस साल क्वार्टर फाइनल में बायर्न म्यूनिख के हाथों हार का सामना करना पड़ा. कोच गिउसेप्पे मारोटा का कहना है कि जर्मन टीमों के पास अच्छे खिलाड़ियों को खरीदने की बहुत ज्यादा ताकत है, "उन्होंने खावी मार्टिनेज को 4 करोड़ यूरो में खरीदा है. इटली में यह हमारे लिए सपने जैसा है. हमें ताज्जुब नहीं करना चाहिए कि यूएफा रैंकिंग में हम नीचे चले गए हैं."

एजेए/एमजे (डीपीए)

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