शादी-ब्याह के इस सीजन में आभूषण व्यापारियों की हड़ताल से आम लोगों को भारी परेशानी हो रही है. भारत में सोने के आभूषणों का दैनिक कारोबार औसतन छह सौ करोड़ रुपए है. दूसरी ओर, बजट में सोने पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने के प्रावधान के बाद सोने की तस्करी में भी तेजी आई है. लेकिन न तो सरकार पीछे हटने को तैयार है न ही व्यापारी. सर्राफा व्यापारियों ने अपनी मांगों के समर्थन में इस सप्ताह दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल रैली भी निकाली. लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ कर दिया है कि एक फीसदी अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी खत्म नहीं की जाएगी.
आल इंडिया सर्राफा एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सुरिंदर कुमार जैन कहते हैं, "सरकार के फैसला वापस नहीं लेने तक हड़ताल जारी रहेगी." वित्त मंत्रालय ने सफाई दी है कि सालाना 12 करोड़ से ज्यादा टर्नओवर वाले व्यापारियों को ही एक फीसदी अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी का भुगतान करना होगा. लेकिन व्यापारी इससे संतुष्ट नहीं हैं. सरकार ने दो लाख से ज्यादा कीमत के आभूषणों की खरीद की स्थिति में ग्राहक का पैन कार्ड देना अनिवार्य कर दिया है. आल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी ट्रेड फेडरेशन का कहना है कि सरकार के इस फैसले से आभूषणों के कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा क्योंकि अब भी देश में ज्यादातर लोगों के पास पैन कार्ड नहीं है. फेडरेशन के निदेशक अशोक मीनावाल कहते हैं, "हमारी जानकारी के मुताबिक देश की 80 फीसदी से ज्यादा आबादी के पास पैन कार्ड नहीं है. ऐसी हालत में ऐसा कोई कानून बनाने से क्या फायदा?"
आम लोग परेशान
सरकार ने यह नियम बीते साल दिसंबर में बनाया था. लेकिन इसे लागू किया गया है इस साल पहली जनवरी से. इसका मकसद काले धन पर अंकुश लगाना है. आमतौर पर आभूषणों की खरीद में काले धन या अघोषित रकम का ही इस्तेमाल होता है. लेकिन मीनावाला की दलील है कि इससे भ्रष्टाचार और बढ़ेगा. आम तौर पर मध्यवर्ग और खेतिहर लोग ही शादियों और त्योहारों के सीजन में सोना खरीदते हैं. उनका सवाल है कि आखिर मध्यवर्ग के लोग काले धन को छिपाने के लिए आभूषण क्यों खरीदेंगे? मीनावाला का कहना है कि पहले आभूषणों के मामले में पांच लाख रुपए की खरीद पर ही पैन कार्ड देना होता था. लेकिन अब इसे दो लाख कर दिया गया है जो व्यावहारिक नहीं है.
ब्रिटिश शाही परिवार ने विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरे को लंदन टावर में सार्वजनिक प्रदर्शनी में रखवाया है.
तस्वीर: picture alliance/dpa105-कैरट का यह हीरा ब्रिटेन के लंदन टावर में दूसरे शाही आभूषणों के साथ प्रदर्शित किया गया है. 1850 में भारत से ब्रिटेन ले जाए गए कोहिनूर हीरे को वापस पाने की भारत की तमाम कोशिशें बेकार साबित हुई हैं. इसे ब्रिटिश राज में महारानी विक्टोरिया को पेश किया गया था जिसे अब ब्रिटिश शाही परिवार ने लंदन टावर में सार्वजनिक प्रदर्शनी में रखवा दिया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaशाब्दिक अर्थ है - प्रकाश का पहाड़. एक जमाने में कोहिनूर दुनिया का सबसे बड़ा 'कट डायमंड' हुआ करता था. यह बेशकीमती हीरा अलग अलग काल में भारत में शासन करने वाले कई वंशों के हाथों में रहा. पंजाब में ब्रितानी शासन स्थापित होने के बाद सन् 1849 में ब्रिटिश गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी ने इसे ब्रिटिश महारानी को तोहफे में दिए जाने का प्रबंध किया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/O. Bergमाना जाता है कि कोहिनूर हीरे को करीब 800 साल पहले दक्षिण भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में स्थित कोल्लूर खान से निकाला गया था. सबसे पहले यह उस समय शासन कर रहे काकातिया वंश के पास था जिसे उसने एक मंदिर में एक देवी की मूर्ति में आंख की जगह जड़वाया था. फिर तमाम आक्रमणकारियों और शासकों के हाथों से होता हुआ वह सिख शासकों तक पहुंचा.
सन् 1850 में मात्र 13 साल की उम्र में अंतिम सिख शासक दलीप सिंह को पेंशन देकर ब्रिटेन भेजने की व्यवस्था हुई थी और उन्होंने अपने हाथों से महारानी विक्टोरिया को कोहिनूर भेंट किया था.
ब्रिटेन ने कोहिनूर हीरा लौटाने की भारत की मांग को यह कह कर हर बार खारिज किया है कि स्थानीय कानून उसे ऐसा करने से रोकते हैं. ब्रिटेन में 1963 में बने ब्रिटिश म्यूजियम एक्ट के तहत राष्ट्रीय संग्रहालयों से वस्तुओं को हटाने की मनाही है. इस कानून में बदलाव किए बिना कोहिनूर लौटाने का रास्ता नहीं खुलेगा.
तस्वीर: Imagoब्रिटिश लॉ फर्म ने कोहिनूर को ब्रिटेन से वापस लेने की कानूनी कोशिश करने जा रहे इस समूह का नाम माउंटेन ऑफ लाइट ग्रुप बताया है. उनकी याचिका का आधार वह ब्रिटिश कानून है जिसमें संस्थानों को चुराई या लूटी गई कला को लौटाने का अधिकार मिला है.
तस्वीर: The Rosalinde and Arthur Gilbert Collection on loan to the Victoria and Albert Museumकोहिनूर को लौटाने का अभियान चलाने वाले इस समूह के सदस्यों में कई उद्योगपति, अभिनेता और भूमिका चावला जैसी अभिनेत्री शामिल है. इसके अलावा ब्रिटेन में भारतीय मूल के लेबर पार्टी के सांसद कीथ वाज ने भी प्रमुखता से इस मांग का समर्थन किया था. हाल ही में भारतीय सांसद शशि थरूर के इस मांग को फिर से उठाने के बाद से कोहिनूर फिर चर्चा में है.
तस्वीर: AP
आभूषण व्यापारियों की हड़ताल से शादियों के सीजन में आम लोगों को भारी दिक्कत हो रही है. अब कई लोग शादी की तारीख आगे बढ़ा रहे हैं तो कुछ लोग कृत्रिम आभूषणों से ही काम चला रहे हैं. दीपा गांगुली की बहन की बेटे की शादी अभी 12 मार्च को होनी थी. लेकिन हड़ताल की वजह से उनको पहले आर्डर किए आभूषणों की डिलीवरी नहीं मिल सकी. नतीजतन शादी टालनी पड़ी. दीपा का सवाल है कि हमें मंगलसूत्र तक नहीं मिल सका. इसके बिना शादी कैसे होगी? उनकी तरह रमेश भुवालका की बेटी की शादी भी अगले महीने है. लेकिन उनको चिंता है कि तब तक हड़ताल कहीं जारी तो नहीं रहेगी. वैसा हुआ तो कृत्रिम आभूषणों से ही काम चलाना होगा. उन्होंने आभूषणों के लिए आधे से ज्यादा रकम का अग्रिम भुगतान भी कर दिया है.
तस्करी तेज
एक्साइड ड्यूटी बढ़ने के बाद सोने की तस्करी में अचानक तेजी आई है. विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों ने अकेले कोलकाता में बीते एक सप्ताह के दौरान तस्करी से आने वाला कम से कम 27 किलो सोना जब्त किया है. आभूषण व्यापारियों का कहना है कि तस्करी से आने वाला सोना सस्ता होने की वजह से आने वाले दिनों में यह और बढ़ेगी. इसी महीने की नौ तारीख को राजस्व खुफिया निदेशालय ने कोलकाता में 26 किलो सोना जब्त किया. इसे म्यांमार से गुवाहाटी व सिलीगुड़ी होकर कोलकाता लाया जा रहा था. कस्टम विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि कीमतों में अंतर बढ़ते ही सोने की तस्करी तेज हो जाती है.
ड्यूटी बढ़ने के बाद 10 ग्राम सोने की कीमतों में कम से कम 3300 रुपए का अंतर हो गया है. शादी के सीजन के अलावा बांग्ला नववर्ष पोयला बैशाख और अक्षय तृतीया करीब होने की वजह से सोने की मांग लगातार बढ़ रही है. नतीजतन तस्करी के सोने की आवक तेज हुई है. स्वर्ण शिल्प बचाओ कमिटी के अध्यक्ष बाबलू दे उम्मीद जताते हैं कि केंद्र सरकार शीघ्र इस समस्या का कोई हल निकालेगी. उन्होंने सरकार की ओर से फैसला वापस नहीं लेने की स्थिति में आंदोलन तेज करने की भी धमकी दी है.
फोर्ब्स ने दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सालाना रैंकिग जारी की है. माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन और फेसबुक के मालिक के साथ ही अमीरों की इस लिस्ट में मुकेश अंबानी सहित कई नए पुराने चेहरे शामिल हैं.
तस्वीर: Getty Imagesफोर्ब्स की इस सूची के शीर्ष पर हैं विलियम हेनरी बिल गेट्स. उनके पास 75 अरब डॉलर के करीब संपत्ति है. हर कोई जानता है कि उन्होंने दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट की शुरूआत की थी. लेकिन क्या आपको यह भी मालूम है कि उनकी अपनी हर संतान को अपनी पूरी संपत्ति में से केवल एक करोड़ डॉलर ही देने की योजना है. उनका कहना है कि बच्चों को बेतहाशा पैसा देना उनके हित में नहीं है.
तस्वीर: Reuters79 साल के हो चुके स्पेन के अमेंसिओ ऑर्टेगा ने फैशन रिटेलर 'जारा' की स्थापना की. उनकी संपदा 67 अरब डॉलर की है. गहरी सुरक्षा व्यवस्था से घिरे रहने वाले ओर्टेगा ने अब तक पत्रकारों को महज तीन साक्षात्कार दिए हैं. वे घुड़सवारी के शौकीन हैं और अक्सर एक से कपड़ों में दिखाई देते हैं. नीला ब्लेजर, सफेद शर्ट और धूसर रंग की पतलून. लेकिन इनमें से कोई भी 'जारा' का उत्पाद नहीं है.
तस्वीर: picture-alliance/abacaबफेट 11 साल की उम्र से ही स्टॉक मार्केट में दांव खेलते रहे हैं. आज उनके दाव लगाने से बाजार का रुख बदल जाता है. 85 साल के हो चले इस इंवेस्टिंग गुरू के पास तकरीबन 60.8 अरब डॉलर होने का अनुमान है. अपनी युवावस्था में बफेट ने अखबार बांटने, पुरानी गोल्फ की गेंद बेचने और कारों की सफाई करने जैसे कई काम किए हैं. हावर्ड बिजनेस स्कूल में प्रवेश के लिए भेजे उनके आवेदन पत्र को खारिज कर दिया गया था.
तस्वीर: APदुनिया के 5वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं जेफ बेजोस. उनकी संपदा 45.2 अरब की है. अमेजन कंपनी के निर्माता और सीईओ बेजोस ग्राहकों की संतुष्टि को सबसे अहम मानते हैं. वे अक्सर ग्राहकों के ईमेल का खुद ही जवाब देते हैं. अगर उन्हें लगता है कि किसी बात पर खास ध्यान दिए जाने की जरूरत है तो वे अमेजन के संबंधित विभाग को सिर्फ एक छोटी सी टिप्पणी ''?'' जोड़कर मेल बढ़ा देते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaइस सूचि में छठवें नंबर पर हैं मार्क जकरबर्ग. वे टेक क्षेत्र में दूसरे नंबर के सबसे अमीर आदमी हैं और 40 से कम उम्र वाले दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति. उनके पास 44.6 अरब डॉलर की संपत्ति है. अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा वे दान कर चुके हैं. अधिकतर उन्हें एक ग्रे रंग की टीशर्ट में ही पाया जाता है. जकरबर्ग का कहना है कि वे वही टीशर्ट बार बार नहीं पहनते, बल्कि उनके सब कपड़े एक से दिखते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Nietfeldओरेकल के संस्थापक और पूर्व सीईओ लैरी एलिसन ने सीआईए के लिए डाटाबेस तैयार करने का काम भी किया है. इलिनोइस और शिकागो यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई अधूरी ही छोड़ने के बाद उन्होंने डाटाबेस उपलब्ध कराने वाली कंपनी ओरेकल की शुरूआत की. उनके पास अभी तकरीबन 43.6 अरब डॉलर की संपत्ति है. वे दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूचि में 7वें नंबर पर हैं और टेकनोलॉजी के क्षेत्र के अमीरों में दूसरे नंबर पर.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/E. Risbergगूगल के साझे संस्थापक लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन दोनों के पास क्रमश: 35.2 और 34.4 अरब की संपत्ति है. अमीरों में इनका 12वां और 13वां स्थान है. अपने सर्च इंजन गूगल की शुरूआत इन्होंने स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में एक रिसर्च प्रोजेक्ट के बतौर की थी. इसमें इन्होंने वेब पेजों और वेबसाइटों के बैकलिंक्स को दूसरे पेजों से जोड़ने का रास्ता तलाशा. यहीं से गूगल सर्च इंजन की शुरूआत हुई.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Margotलॉरियल के संस्थापक यूजेन शूलेर की बेटी लिलिआने बेटेनकोर्ट ने 1957 में सौन्दर्य प्रसाधनों की अपने परिवार की विरासत को संभालना शुरू किया. आज 36.1 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ वे दुनिया की सबसे अमीर महिला हैं. लॉरियल ग्रुप की मालकिन के अलावा उनकी भागीदारी स्विट्जरलैंड की खाद्यपदार्थ बनाने वाली मशहूर कंपनी नेस्ले में भी है. 2010 में बेटेनकोर्ट एक कर चोरी मामले में भी फंसीं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaइस साल की सबसे युवा अरबपति हैं 19 वर्षीय माहिर घुड़सवार एलेक्जेंड्रा एंडर्सन (दाएं) हैं. लेकिन उन्होंने अपनी 1.2 अरब की संपत्ति अपने घोड़ों से नहीं कमाई है बल्कि ये उन्हें उनके पिता योहान एंडर्सन ने दी है. एंडर्सन ने अपने पारिवारिक कारोबार के 42 फीसद हिस्से को अपनी बेटियों को बांट दिया था. इसमें एलेक्जेंड्रा की 20 साल की बहन कैथरीना भी शामिल हैं.
तस्वीर: Screenshot Instagram/alexandraandresenअपनी मौत से पहले 99 साल के जॉन आर सिंप्लट अपनी 3.2 अरब की संपत्ति के साथ दुनिया के सबसे बूढ़े अरबपति थे. उन्होंने अपना भाग्य आलू से बनाया. छंटाई और प्रोसेसिंग के कारोबार में आने से पहले वे किसान थे और आलू बोया करते थे. उन्होंने दुनिया का सबसे बड़ा आलू निर्जलीकरण संयत्र बनाया और दूसरे विश्वयुद्ध के समय अमरीकी सेना के जवानों का पेट उनके सूखे आलुओं ने ही भरा.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Cilleyऊपर चित्र में दिख रहे 'मॉम एंड पॉप स्टोर' की स्थापना जर्मनी में एसेन के करीब 1913 में हुई थी. यह नाजी हुकूमत के पतन के बाद जर्मनी के सबसे बड़े डिस्काउंट सुपरमार्केट चेन आलडी के बतौर विकसित हुआ. आलडी के मालिक की संतानें, बिआटे हाइस्टर और कार्ल अल्ब्रेष्ट जूनियर साझे तौर पर 25.9 अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक हैं और उनके चचेरे भाई थियो अल्ब्रेष्ट जूनियर के पास 20.3 अरब डॉलर की संपत्ति है.
तस्वीर: ALDI Einkauf GmbH & Co. oHG via Getty Imagesआलडी की बिआटे हाइस्टर के बाद सुसाने क्लाटेन जर्मनी की दूसरी सबसे अमीर महिला हैं. अपने भाई श्टेफान क्वांट के साथ वे जर्मनी की कारनिर्माता कंपनी बीएमडब्लू के 50 फीसद की मालकिन हैं. अल्टाना को एक मशहूर दवानिर्माता कंपनी में बदलने में उनका बड़ा हाथ माना जाता है. फोर्ब्स के मुताबिक क्लाटेन की संपत्ति तकरीबन 18.05 अरब डॉलर की है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa