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हत्यारे रोबोट पर प्रतिबंध लगे

२५ अप्रैल २०१३

कुछ देश ऐसे रोबोट बनाने की तैयारी में हैं जो युद्ध में इंसानी दखल के बिना अपने लक्ष्य पर हमला करेंगे. नोबेल शांति पुरस्कार विजेता रह चुके जोडी विलियम्स समेत कई बड़ी हस्तियां मांग कर रही हैं कि ऐसे रोबोटों पर पाबंदी लगे.

तस्वीर: Reuters

किलर रोबोट, रोबोट की शक्ल में एक ऐसा हथियार होगा जिसे भविष्य की लड़ाइयों में भेजा जाएगा. युद्ध में उतरते ही रोबोट विपक्षी खेमे को तबाह करना शुरू कर देगा. इस दौरान उसे किसी इंसानी इशारे की जरूरत नहीं पड़ेगी. वह लड़ाई में अपने हिसाब से फैसले करेगा. माना जा रहा है कि आने वाले 20 साल में ऐसा किलर रोबोट तैयार हो जाएगा.

किलर रोबोट अभी आया तो नहीं लेकिन इसका विरोध शुरू हो गया है. 1997 में नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले जोडी विलियम्स ने 'स्टॉप किलर रोबोट्स' नाम का अभियान छेड़ा है. बारूदी सुंरग के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मुहिम छेड़ने वाले विलियम्स मानते हैं कि ऐसी मशीनों के जरिए नैतिकता और आचार संबंधी सीमाओं को तोड़ा जा सकता है. वह कहते हैं, "अगर लड़ाई ऐसी हो जाए कि उसमें इंसान के नियंत्रण के बिना ही हथियार हमला करने लगें तो ऐसे युद्ध का खामियाजा आम लोगों को ही भुगतना होगा."

Roboter Fußballतस्वीर: AP

इंसान बनाम मशीन

वक्त बीतने के साथ हथियार उद्योग नई नई मशीने पेश कर रहा है. बीते कुछ सालों में रिमोट से चलने वाले ड्रोन विमानों का खूब इस्तेमाल किया जाने लगा है. ब्रिटेन की शेफील्ड यूनिवर्सिटी के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स विभाग के प्रोफेसर नोएल शार्की कहते हैं, "हम वाकई में स्वतंत्रता जैसी स्थिति में पहुंच चुके हैं. अगर आप मुझसे आज एक ऑटोनॉमस किलर रोबोट बनाने को कहें तो मैं ऐसा कर सकता हूं. मैं यहीं अगले कुछ दिनों में आपको ऐसा रोबोट दे सकता हूं."

मारने वाला रोबोट तो बन जाएगा लेकिन उसके पास इंसान जैसा विवेक कहां से आएगा. तकनीक अभी तक ऐसी जगह नहीं पहुंची है कि मशीनें आम नागरिक और सैनिक में फर्क पता कर सकें. डर की बात यही है. किलर रोबोट जैसी मशीनों के बारे में बात करते हुए शार्की कहते हैं, "यह विचार कि रोबोट इंसानी निर्णय क्षमता की तरह व्यवहार करे, मेरे लिहाज से यह बहुत ही बुरा है. मेरे विचार से लड़ाई के मैदान पर रोबोटों को उतारने का आइडिया रोबोट विज्ञान की जवाबदेही पर आघात है."

सरकार का इनकार

ब्रिटेन सरकार लगातार कहती आई है कि ऐसी तकनीक विकसित करने का उसका इरादा नहीं है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "कुशल सैनिकों की जगह पूरी तरह ऑटोमैटिक सिस्टम उतारने की कोई योजना नहीं है."

हालांकि सरकार ने माना है कि ब्रिटेन की नौसेना के पास इससे मिलता जुलता सिस्टम है. रक्षा मंत्रालय ने कहा, "रॉयल नेवी के पास फालांक्स जैसा ऐसा रक्षा तंत्र है, जिसे ऑटोमैटिक मोड में डालकर सैनिकों और जहाजों की रक्षा के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है." दुश्मनों से होने वाला खतरा चाहे मिसाइल का हो, इंसानी हो या फिर दूसरी तरह का, फालांक्स इंसान के मैदान में उतरे बिना ऐसी स्थितियों से निपट सकता है.

तस्वीर: Reuters

स्टॉप किलर रोबोट्स का आरोप है कि सरकार के बयान में पूरी ईमानदारी और वचनबद्धता नहीं दिख रही है. गैर सरकारी संगठन आर्टिकल 36 के निदेशक थोमस नाश कहते हैं, "हम इसलिए चिंतित हैं क्योंकि युद्ध के मैदान पर स्वतंत्रता की ओर झुकाव थोड़ा सा ज्यादा है. जब तक हम इस मसले पर साफ लकीर नहीं खींच देते तब तक यह संभावना बनी रहेगी कि भविष्य में हमें पूरी तरह स्वतंत्र हथियार स्वीकार करने पड़ेंगे."

मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक, तकनीक के जबरदस्त विकास ने अमेरिका, चीन, रूस, इस्राएल और जर्मनी जैसे देशों को इतना सक्षम बना दिया है कि वे पूरी तरह इंसान रहित मशीनी युद्ध की तैयारी कर सकते हैं. ऐसे भयावह भविष्य की चेतावनी देते हुए ह्मूमन राइट्स वॉच के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर स्टीव गूस कहते हैं, "हमें लगता है कि इस तरह के हथियार अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का पालन नहीं कर पाएंगे."

ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स)

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