कर्नाटक में 16 गौरक्षकों को पुलिस ने एक व्यक्ति की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है. हाल के दिनों में हिंदू धर्म में पवित्र माने जाने वाले जानवर गाय की रक्षा के नाम पर देश में कई जगहों से हिंसा के मामले सामने आए हैं.
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29 साल के प्रवीण पुजारी और उनके 22 वर्षीय मित्र अक्षय देवडीगा पर तब हमला हुआ, जब वे एक वैन में तीन गायों को लेकर जा रहे थे. कर्नाटक के उडीपी जिले में उन्हें रोक कर इतनी बुरी तरह पीटा गया कि अस्पताल पहुंच कर पुजारी की मौत हो गई जबकि दूसरा व्यक्ति गंभीर रूप से घायल है. पिटाई और हत्या के आरोप में एक स्थानीय दक्षिणपंथी संगठन 'हिंदू जागरण वेदिके' के 16 सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है.
माना जा रहा है कि इन हमलावरों को लगा कि वे दोनों गायों को कसाईखाने में ले जा रहे हैं. गायों को ट्रांसपोर्ट करना भारत भर में कहीं गैरकानूनी नहीं है. लेकिन गौवध पर भारत के ज्यादातर राज्यों में प्रतिबंध है.
गौहत्या पर हत्या कितनी जायज?
दादरी में गोमांस रखने की अफवाह के बाद भीड़ ने एक व्यक्ति का कत्ल कर डाला. इस घटना पर हमने लोगों से पूछी उनकी राय. जवाब परेशान करने वाले हैं.
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50 साल के मोहम्मद अखलाक की जान एक अफवाह के कारण गयी, जो वॉट्सऐप के जरिए फैली. वॉट्सऐप संदेशों में लिखा गया कि उसने गाय को काटा है. फेसबुक पर कई लोगों ने इस हत्या को जायज बताया है. हालांकि कुछ ऐसे समझदार भी मिले जो मिलजुलकर रहने का आग्रह कर रहे हैं.
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योगेंद्र पांडेय ने लिखा है, "दादरी मे जो कुछ हुआ, वह किसी भी सभ्य समाज मे स्वीकार्य नहीं है, पर क्या यह सच्चाई नहीं है कि इसी तरह ईशनिंदा की अफवाह उड़ाकर हर साल सैकड़ों निर्दोष पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अरब मुल्कों में मौत के घाट उतार दिए जाते हैं? क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती ही है."
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फरीद खान ने लिखा है, "इन कट्टरवादी ताकतों का मुकाबला मिलजुल कर और आपसी ऐतेमाद कायम करके ही किया जा सकता है. आजकल जिस तरह उकसावे की राजनीति करके मुसलमानों के साथ व्यवहार किया जा रहा है, वह ना तो किसी प्रकार उचित है, न ही इस देश की एकता व अखंडता के लिए शुभ संकेत है. कल को अगर यही मजलूम मुसलमान मजबूर होकर हथियार उठा ले, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?"
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कुलदीप कुमार मिश्र ने बीफ के निर्यात की ओर ध्यान दिलाते हुए सवाल किया है, "गोमांस के निर्यात में भारत ने विश्व रिकार्ड बना डाला! ब्राजील को पीछे छोड़ कर पहले स्थान पर कब्जा! (2015 का आंकड़ा दिया जा रहा है!) और देश में गाय का मांस खाने पर प्रतिबंध लगता है."
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अजय राज सिंह ठाकुर की टिप्पणी, "भीड़ ने जो किया, वह निश्चित ही बहुत गलत और असभ्य था. कुछ भी करने से पहले उस बात कि सच्चाई को जानना चाहिए था. गौ माता और नारियां, दोनों का समान रूप से सम्मान होना चाहिए. ऐसा व्यवहार बहुत ही खेदजनक और शर्मनाक है!!"
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कमलकिशोर गोस्वामी लिखते हैं, "हजारों बार देखा है मैंने भारतीय लोकतंत्र को तार तार होते. सत्तर बरस की आजादी लाखों बरस की सभ्यता और ऐसा जंगलीपन. सौ लोगों की भीड़ जो अब कई गांवों में तब्दील हो गई है. सोशल मिडिया पर लोग इतना गंद लिख रहे हैं एक दूसरे के खिलाफ पर कुछ नहीं हो रहा. क्या कहें ऐसे लोकतंत्र पर और क्या कहें उन महानुभवों को जिन्होंने हमें ऐसे लोकतंत्र का तोहफा दिया."
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हरिओम कुमार का कहना है, "जिन देशों की आबादी ज्यादा होती है उन देशो में लोकतंत्र काम नहीं करता. खासकर जिन देशों की एक बहुत बड़ी आबादी अनपढ़ हो." इसी तरह रली रली ने लिखा है, "लगाया था जो उसने पेड़ कभी, अब वह फल देने लगा; मुबारक हो हिन्दुस्तान में, अफवाहों पे कत्ल होने लगा." गोपाल पंचोली ने एक अहम बात कही, "गाय और सूअर, फिर आ गई अंग्रेजों वाली राजनीति!"
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पुजारी एक दुकानदार था और खुद भी हिंदू था. इसके अलावा वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की स्थानीय ईकाई का सदस्य भी था. अब तक तथाकथित गौरक्षकों के हमलों का शिकार बने ज्यादातर लोग मुसलमान या दलित समुदाय के थे.
कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने इस घटना को गौरक्षकों का हमला ना कह कर "पशु व्यापार से संबंधित विवाद" बताया. उन्होंने राज्य में बीफ और पशु व्यापार को लेकर लगातार सामने आ रही हिंसक घटनाओं पर चिंता जताई. एक हफ्ते पहले ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम जन पर हमला करने वाले तथाकथित "गौ रक्षकों" के खिलाफ कड़ा संदेश दिया था. उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश में गौरक्षकों के आतंक के कारण दलितों और मुसलमानों पर अत्याचार के कई मामले सामने आने के बाद केंद्र की बीजेपी सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर उंगलियां उठ रही थीं.