सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी की मौत से पहले उनके आखिरी पलों की रिकॉर्डिंग सामने आई है. इसके मुताबिक उनके आखिरी शब्द थे, "मुझे सांस नहीं आ रही है." जानिए इस रिकॉर्डिंग में और क्या क्या दर्ज है.
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इस्तांबुल में सऊदी कंसुलेट में खशोगी की हत्या की गई. अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन ने एक सूत्र के हवाले से लिखा है कि खशोगी ने मरने से पहले कहा था, "मुझे सांस नहीं आ रही है." सीएनएन के मुताबिक इस सूत्र ने ऑडियो रिकॉर्डिंग की ट्रांसक्रिप्ट पढ़ी थी.
सूत्र ने सीएनएन को बताया कि अनुवाद की गई ट्रांसक्रिप्ट तुर्की के खुफिया अधिकारियों ने उसे दी थी. सूत्र के मुताबिक अक्टूबर महीने की शुरुआत में खशोगी की हत्या एक 'सोची समझी योजना' के तहत की गई.
इस हत्या को लेकर सऊदी अरब पर चौतरफा अंतरराष्ट्रीय दबाव है. सऊदी अरब का कहना है कि अमेरिकी अखबार 'द वाशिंगटन पोस्ट' के लिए लिखने वाले खशोगी की मौत एक झड़प में 'दुर्घटनावश' हो गई थी. लेकिन तुर्की के अधिकारियों का कहना है कि 15 लोगों का एक दस्ता खास तौर से खशोगी की हत्या करने के लिए बुलाया गया था.
कितना बदल गया सऊदी अरब
एक साल में कितना बदल गया सऊदी अरब
सऊदी अरब में 2017 बड़े बदलावों का साल रहा. एक तरफ जहां सऊदी समाज में कई बदलावों की आहट सुनाई दी, वहीं राजनीतिक और रणनीतिक रूप से भी कई उलटफेर हुए. डालते हैं इन्हीं पर एक नजर.
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युवा क्राउन प्रिंस
21 जून 2017 को सऊदी शाह सलमान ने अपने 31 वर्षीय बेटे मोहम्मद बिन सलमान को क्राउन प्रिंस बनाया. उन्होंने अपने भतीजे 57 वर्षीय मोहम्मद बिन नायेफ से क्राउन प्रिंस का ताज छीन कर अपने बेटे को शाही गद्दी का वारिस बनाया.
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बड़ी गिरफ्तारियां
अक्टूबर महीने में सऊदी अरब में कई ताकतवर राजकुमारों, सैन्य अधिकारियों, प्रभावशाली कारोबारियों और मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है. आलोचकों ने इसे क्राउन प्रिंस की सत्ता पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश बताया.
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सऊदी विजन 2030
सऊदी क्राउन प्रिंस तेल पर देश की निर्भरता को कम करना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने अर्थव्यवस्था में विविधता लाने के लिए विजन 2030 योजना पेश की. इसका एलान 2016 में हुआ लेकिन इससे जुड़े कई अहम फैसले 2017 में देखने को मिले.
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मुस्लिम नाटो
सऊदी अरब की देखरेख में 2017 में दुनिया के 40 साल से ज्यादा देशों ने आतंकवाद विरोधी एक सैन्य गठबंधन बनाया. मुस्लिम नाटो कहे जा रहे इस गठबंधन को आलोचकों ने शियाओं और खास कर ईरान के खिलाफ गठजोड़ बताया क्योंकि इसमें शामिल सभी देश सुन्नी हैं.
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कतर संकट
सऊदी अरब और उसके कई खाड़ी सहयोगियों ने 2017 में कतर से अपने रिश्ते तोड़ लिए जिससे मध्य पूर्व में एक नया संकट खड़ा हो गया. कतर पर आतंकवाद को बढ़ावा देने समेत कई आरोप लगे जिनसे वह इनकार करता है.
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इस्राएल से नजदीकी
इस साल उस वक्त मध्य पूर्व में बदलते समीकरणों का संकेत भी मिला, जब सऊदी अरब और इस्राएल के बीच नजदीकियां बढ़ने की खबरें आईं. हालांकि इस बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया. जो भी संकेत मिले हैं, वे छन छन कर आई जानकारी पर आधारित हैं. दोनों ही देश ईरान को खतरा मानते हैं.
ड्राइविंग का हक
महिलाओं को ड्राइविंग का हक न देने के लिए सऊदी अरब की लंबे समय से आलोचना होती रही है. लेकिन 26 सितंबर 2017 को सऊदी शाह ने आदेश जारी किया कि 24 जून 2018 से सऊदी अरब में महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जाएंगे.
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मेगासिटी नियोम
सऊदी अरब ने 2017 में 500 अरब डॉलर की लागत से एक इंवेस्टमेंट मेगासिटी बनाने की योजना पेश की. नियोम के नाम से बसने वाला यह शहर एक निवेश और कारोबारी हब होगा. 26,500 वर्ग किलोमीटर में फैले नियोम की सीमाएं जॉर्डन और मिस्र को छूएंगी.
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सऊदी अरब में सिनेमा
वर्ष 2017 में ही सऊदी अरब ने अपने यहां 35 साल से सिनेमाघरों पर लगी पाबंदी को हटाने का फैसला किया. सऊदी अरब के संस्कृति और सूचना मंत्रालय का कहना है कि मार्च 2018 में सऊदी अरब में सिनेमा खुल सकते हैं.
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सऊदी अरब में संगीत
कट्टरपंथी वहाबी विचारधारा को मानने वाले सऊदी अरब में संगीत सुनने-सुनाने का चलन नहीं है. लेकिन फरवरी 2017 में जेद्दाह में आठ हजार लोग संगीत की धुनों पर झूमते नजर आए. जेद्दाह में सात साल में पहली बार कोई बड़ा संगीत कंसर्ट हुआ.
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टूरिस्ट वीजा
सामाजिक और आर्थिक बदलाव के दौर से गुजर रहे सऊदी अरब ने 2017 में ही दुनिया भर के सैलानियों को टूरिस्ट वीजा देने का फैसला किया. 2018 की पहली तिमाही से यह काम शुरू हो जाएगा. अभी सऊदी अरब चुनिंदा देशों के लोगों को पर्यटन वीजा देता है.
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शतरंज प्रतियोगिता
सऊदी अरब ने 2017 में पहली बार अपने यहां शतरंज टूर्नामेंट आयोजित कराने का फैसला किया. दो साल पहले सऊदी अरब से सबसे बड़े मौलवी ने शतरंज को समय की बर्बादी कहते हुए इसे इस्लाम में इसकी मनाही बताई.
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ट्रांसक्रिप्ट में संकेत मिलता है कि हत्या से पहले हाथापाई हुई थी, क्योंकि एक पूर्व राजनयिक ने खशोगी से कहा था कि "तुम वापस सऊदी अरब आ रहे हो". माना जाता है कि इस पूर्व राजयनिक का नाम मेहर अब्दुल अजीज मुतरेब था, जो सऊदी क्राउन प्रिंस के बेहद करीबी हैं.
सीएनएन के सूत्र के मुताबिक खशोगी ने तीन बार कहा था कि उन्हें सांस नहीं आ रही है. रिकॉर्डिंग में लगातार शोर सुनाई दे रहा है, जिसमें आरी और काटे जाने की आवाजें भी हैं. रिकॉर्डिंग में शामिल आवाजों में से एक को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि काम को कैसे निपटाना है. माना जाता है कि यह आवाज सऊदी अरब के गृह मंत्रालय में फॉरेंसिक मेडिसिन के प्रमुख सालाह मोहम्मद अल तुबैकी की है जो कहती है, "कानों पर ईअरफोन लगा लो, या फिर मेरी तरह संगीत सुनो."
बदलाव को कितना तैयार सऊदी अरब
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ट्रांसक्रिप्ट में रियाद में किसी को बार बार फोन किए जाने की आवाजें भी हैं, जिसे स्थिति का पूरा अपेडट दिया जा रहा है. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह टेलीफोन कॉल्स शायद क्राउन प्रिंस के पूर्व करीबी सऊद अल काहतानी को की गई थीं. तुर्की के अधिकारियों ने यह नहीं बताया है कि उन्हें सऊदी कंसुलेट के भीतर से यह रिकॉर्डिंग कैसे मिली.
खशोगी की हत्या को लेकर सामने आ रही ताजा जानकारी से सऊदी क्राउन प्रिंस और दबाव बढ़ सकता है. अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और तुर्की के खुफिया अधिकारी इस हत्या के लिए उन्हीं को जिम्मेदार मानते हैं.
वैसे तमाम खुफिया जानकारियों के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अपने अहम मध्य पूर्व सहयोगी सऊदी अरब का बचाव ही कर रहे हैं. हालांकि अमेरिकी कांग्रेस खशोगी की हत्या के साथ साथ यमन में जारी लड़ाई को लेकर सऊदी अरब के खिलाफ कदम उठाने का दबाव बना रही है.
इस बीच, सऊदी विदेश मंत्री ने कहा है कि उनका देश दो पूर्व सऊदी अधिकारियों को प्रत्यर्पित नहीं करेगा जैसा कि तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोवान ने मांग की है. अदेल अल जुबैर ने कहा, "हम अपने नागरिकों को प्रत्यर्पित नहीं करेंगे." हाल में सऊदी अरब ने कहा था कि खशोगी की हत्या के मामले में 11 में पांच आरोपियों के लिए वह मौत की सजा चाहता है.
एके/आरपी (एएफपी, डीपीए)
सऊदी अरब में महिलाओं के योग स्टूडियो
महिलाओं के लिए सऊदी अरब पिछले एक साल में तेजी से बदला है. अब देश की महिलाएं खुद को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए योग को अपना रहीं हैं. आज से कुछ साल पहले तक सऊदी में योग को गैर-इस्लामिक माना जाता था.
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योग अब खेल है
लंबे वक्त तक सऊदी अरब में योग को हिंदू धार्मिक परंपराओं का हिस्सा माना जाता रहा. इसे करना गैर इस्लामिक माना जाता था, लेकिन सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने योग को एक खेल के रूप मान्यता दी है. जिसके बाद से देश के बड़े शहरों में योग लोकप्रिय हो रहा है.
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योग के लिए नफरत!
कई सौ लोगों को प्रशिक्षित कर चुकी 38 साल की नौफ मारवाई, देश में अरब योगा फाउंडेशन के नाम से एक संस्था चलाती हैं. वह योग के प्रचार-प्रसार के लिए कई सालों से काम कर रहीं हैं. उन्होंने बताया, "मुझे बहुत परेशान किया जाता था, नफरत और घृणा भरे संदेश भेजे जाते थे. पांच साल पहले तक यहां योग के बारे में सोचना भी असंभव था."
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उद्योग बन रहा है योग
महिलाएं मानती हैं कि रोजाना योग करने से उनकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आए हैं. मारवाई बताती हैं, "योग को मान्यता मिलने के कुछ महीने के भीतर ही मक्का, मदीना सहित देश के कई शहरों में योगा स्टूडियो और योग प्रशिक्षकों का एक नया उद्योग खड़ा हो गया है."
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मौलवियों की आपत्ति
मारवाई ने बताया कि मौलवियों को सबसे बड़ी आपत्ति "सूर्य नमस्कार" से थी. इस आसन में मंत्रों के साथ सूर्य का अभिवादन किया जाता है. एक मौलवी का तर्क था कि मुस्लिम प्रार्थनाओं में जिस तरह की शारीरिक क्रियाएं होती हैं वह शरीर के लिए पर्याप्त हैं.
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योग करने वाले हिंदू हैं?
मारवाई से योग सीखने वाले कई छात्र कहते हैं कि उन पर मजहब को धोखा देने का आरोप लगता है. कई लोगों से सोशल मीडिया पर पूछा जाता है कि क्या वे हिंदू हैं? या क्या वे हिंदू हो गए हैं? लेकिन इसे सीखने वाले मानते हैं कि योग एक खेल है, और इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है.
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बदलता सऊदी अरब
योग के साथ-साथ पिछले एक साल में सऊदी महिलाओं को कई अधिकार मिले हैं. अब वे अपनी मर्जी के कपड़े पहन सकती हैं, गाड़ी ड्राइव कर सकती हैं, फ्लाइंग स्कूल, सिनेमाघरों के अलावा महिलाओं के लिए जिम के दरवाजे भी खुल गए हैं.