अपने सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण कर रहे भारत ने हथियारों के आयात पर भारी खर्च किया है. अमेरिकी कांग्रेस की एक नई रिपोर्ट दिखाती है कि हथियारों पर खर्च में विश्व में सऊदी अरब के बाद भारत का दूसरा स्थान है.
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साल 2008 से 2015 के बीच भारत ने रक्षा हथियारों की खरीद पर करीब 34 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किए. इसी अवधि में इस मद में सऊदी अरब ने 93.5 अरब अमेरिकी डॉलर खर्चे. कॉन्ग्रेशनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) ने ‘कन्वेंशनल आर्म्स ट्रांसफर टू डेवलपिंग नेशंस 2008-2015' नाम की रिपोर्ट में ये आंकड़े पेश किए हैं.
इन सात सालों में केवल हथियारों के आयात पर खर्च के लिहाज से सभी विकासशील देशों में भारत का दूसरा स्थान है. रिपोर्ट जारी करने वाली सीआरएस अमेरिकी कांग्रेस की एक स्वतंत्र रिसर्च विंग है. यह तमाम महत्वपूर्ण मुद्दों पर रिसर्च कर अमेरिकी सांसदों को सही फैसले लेने में मदद करती है. इसकी रिपोर्टों को अमेरिकी कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं माना जाता है.
रिपोर्ट में लिखा है कि भारत अपनी सेना के आधुनिकीकरण के कदम उठा रहा है. इसी के अंतर्गत उसने हथियारों के आयात पर इतना खर्च किया. इसके अलावा जिस महत्वपूर्ण पहलू पर रिपोर्ट में ध्यान खींचा गया है वह है डायवर्सिफिकेशन. यानि भारत ने हाल के समय में हथियारों के आयात के लिए अलग अलग देशों को चुना है, जिसके कारण अमेरिका को काफी फायदा हुआ है.
ऑस्ट्रेलिया ने खरीदी सबसे घातक पनडुब्बी
ऑस्ट्रेलिया 36 अरब डॉलर में फ्रांस से 12 नई पनडुब्बियां खरीद रहा है. पनडुब्बी कंपनी का दावा है कि यह अब तक की सबसे घातक पनडुब्बियां हैं.
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छोटे फिन वाली किलर
बीते दो दशकों से ऑस्ट्रेलिया अपनी समुद्री सीमा की हिफाजत के लिए छह डीजल पनडुब्बियों का इस्तेमाल कर रहा है. लेकिन भविष्य में इन घरेलू पनडुब्बियों की छुट्टी कर दी जाएगी. उनकी जगह लेटेस्ट तकनीक वाली फ्रांस की ब्लैकफिन बाराकुडा पनडुब्बियां लेंगी.
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पानी में खामोश
डीसीएनएस कंपनी के मुताबिक बाराकुडा इंसान द्वारा बनाई गई अब तक की सबसे ताकतवर पारंपरिक पनडुब्बी है. यह मशीन वॉटर जेट की मदद से चलती है. समुद्री दानव कही जाने वाली बाराकुडा बहुत ही खामोशी से पानी में आगे बढ़ती है. युद्ध की स्थिति में इसके हाइड्रोजेट इंजन इसे बेहद चपल शिकारी बना देते हैं.
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युद्ध की तकनीक
बाराकुडा में सबसे एडवांस नेवीगेशन टेक्नोलॉजी लगी है. तकनीकी कुशलता के चलते ही ऑस्ट्रेलिया ने बाराकुडा को चुना.
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मशीन एक, काम अनेक
डीसीएनएस के मुताबिक बाराकुडा में एक टॉरपीडो लॉन्चर सिस्टम भी है जो पानी के भीतर से 1,000 की दूरी पर क्रूज मिसाइलें फायर कर सकता है. पनडुब्बी का इस्तेमाल दूसरी पनडुब्बियों और युद्धपोतों के खिलाफ भी किया जा सकता है. खुफिया जानकारी जुटाने और स्पेशल ऑपरेशन में भी इसे लगाया जा सकता है.
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डीजल फ्यूल
फिलहाल फ्रेंच नौसेना बाराकुडा पनडुब्बियां इस्तेमाल करती है. वह इन्हें परमाणु ईंधन से चलती है. लेकिन ऑस्ट्रेलिया इन्हें पारंपरिक डीजल फ्यूल से चलना चाहता है. पनडुब्बियों में अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन 1.5 अरब डॉलर का हथियार सिस्टम लगाएगी.
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एडिलेड का शिपयार्ड
समझौते के मुताबिक डीसीएनएस अगले 30 साल में 12 बाराकुडा पनडुब्बियां बनाएगा. पनडुब्बियां एडिलेड के शिपयार्ड में बनाई जाएंगी. इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और सॉफ्टवेयर अमेरिका से आएगा.
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जटिल इंजीनियरिंग
बाहर से एक पीस लगने वाली बाराकुडा 3,50,000 पुर्जों और पार्ट्स से मिलकर बनेगी. इसकी क्राफ्टिंग दुनिया के सबसे बड़ी विमान ए380 से भी मुश्किल है. ए380 में 1,00,000 पुर्जे और पार्ट्स होते हैं.
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रिपोर्ट में उल्लेख है, "भारत मुख्य रूप से रूसी हथियारों का ग्राहक रहा है, लेकिन हाल के सालों में अपने हथियार आपूर्तिकर्ताओं में विविधता लाते हुए, भारत ने 2004 में इस्राएल से फाल्कन अर्ली वॉर्निंग डिफेंस सिस्टम और 2005 में फ्रांस से बहुत सारी चीजें खरीदीं. साल 2008 में भारत ने अमेरिका से छह C130J कार्गो विमान भी खरीदे." 2010 में ब्रिटेन से भारत ने करीब एक अरब डॉलर में 57 हॉक जेट ट्रेनर लिए थे. इसी साल इटली ने भी भारत को 12 AW101 हेलिकॉप्टर बेचे.
फ्रांस ने 2011 में भारत के साथ 2.4 अरब डॉलर के हथियार सौदे पर हस्ताक्षर किए. भारत अपने 51 मिराज-2000 युद्धक विमानों को अपडेट करना चाहता था. इसके अलावा अमेरिका ने भी 4.1 अरब डॉलर में भारत को दस C-17 ग्लोबमास्टर III विमान बेचने की डील की. 2011 में तो भारत ने एक तरह की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में रूस की जगह फ्रांस के लड़ाकू विमान खरीदे. सीआरएस ने लिखा है, "भारत के हथियारों की खरीद का यह पैटर्न दिखाता है कि भारत को हथियारों की आपूर्ति करने से पहले रूस को दूसरे हथियार विक्रेताओं से कड़ा मुकाबला झेलना होगा."
सबसे ज्यादा हथियार बेचने वाली कंपनियां
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट, सिप्री ने एक रिपोर्ट में बताया कि 2015 में 370.7 अरब डॉलर के हथियार बेचे. टॉप 10 कंपनियों ने ही आधे से ज्यादा हथियार बेचे. कौन हैं ये टॉप 10 कंपनियां, जानें...
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लॉकहीड मार्टिन, अमेरिका (36.4 अरब डॉलर)
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बोइंग, अमेरिका (28 अरब डॉलर)
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बीएसी सिस्टम्स, ब्रिटेन (25.5 अरब डॉलर)
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