शनिवार को तुर्की की राजधानी अंकारा में हुए आत्मघाती बम धमाके में 97 व्यक्तियों की मौत हो गयी और 246 घायल हुए. आतंकवाद पर चर्चा करने के लिए जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल रविवार को तुर्की पहुंचेंगी.
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मैर्केल के इस दौरे में तुर्की में आतंकवाद, सीरिया का मुद्दा और शरणार्थियों के लिए नई नीतियां अहम हैं. मैर्केल अपने दौरे पर राष्ट्रपति रेचेप तय्यप एरदोवान और प्रधानमंत्री अहमत दावुतोग्लु से मुलाकात करेंगी. उन्होंने प्रधानमंत्री को फोन कर हमले पर शोक व्यक्त किया है और इसे "एक कायरतापूर्ण कदम" बताया है.
तुर्की की राजधानी के मुख्य रेलवे स्टेशन के बाहर ये धमाके तब हुए जब वहां एक शांति रैली निकाली जा रही थी. प्रधानमंत्री अहमत दावुतोग्लु ने कहा है कि सुरक्षा एजेंसियों ने अंकारा में विस्फोट करने वाले दो आत्मघाती हमलावरों में से एक की शिनाख्त कर ली है. हमले में मुख्य संदेह इस्लामिक स्टेट पर है.
इस दौरान कुर्द समर्थक पार्टी एचडीपी के नेता सेलाहतीन देमीरतास ने लोगों से अपील की कि वे धमाकों के लिए अपना गुस्सा राष्ट्रपति रेचेप तय्यप एरदोवान सरकार के खिलाफ वोट देकर जाहिर करें. सेलाहतीन ने कहा कि धमाकों में उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया. उन्होंने बम धमाके के लिए तुर्की के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है.
दावुतोग्लु ने तुर्की के न्यूज चैनल एनटीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि शनिवार का विस्फोट एक नवंबर को होने वाले संसदीय चुनावों को प्रभावित करने के लिए किया गया. उन्होंने कहा कि अगर जांच के बाद पाया गया कि विस्फोट सुरक्षा में चूक के कारण हुआ है, तो सुरक्षा पुख्ता करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. हमलावर वहां कैसे पहुंचे इसकी भी जांच की जा रही है. प्रधानमंत्री ने देश में तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है.
शांति रैली के दौरान हुए बम धमाकों में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए अगले दिन प्रदर्शन आयोजित किया गया जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया.
तुर्की ने कहा है कि सरकार इस तरह के हमलों से डरेगी नहीं और चुनाव तय समय पर ही होंगे.
दूसरी ओर तुर्की की सेना ने कुर्द अलगाववादी संगठन पीकेके के ठिकानों को निशाना बनाकर हवाई हमले किए हैं जिसमें 49 लोगों की मौत हो गई है, जबकि उसने एक दिन पहले ही एकतरफा संघर्ष विराम का ऐलान किया था.
तुर्की की 10 दिलचस्प बातें
रिपब्लिक ऑफ तुर्की, जी हां, 1923 से तुर्की का यही असली नाम है और इसकी राजधानी विश्वप्रसिद्ध इस्तांबुल नहीं, बल्कि अंकारा है. समुद्री किनारों और चहल पहल भरे बाजारों के अलावा समृद्ध इतिहास वाले तुर्की के कुछ मजेदार तथ्य.
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कल्पना का घोड़ा: ट्रोजन हॉर्स
ट्रॉय के पुरातात्विक स्थल के प्रवेश द्वार पर रखी लकड़ी के घोड़े की एक शानदार प्रतिकृति. तुर्की के कुछ पुरातत्व विज्ञानियों ने दावा किया था कि उन्हें ऐतिहासिक ट्रॉय शहर में खुदाई के दौरान बड़ी लकड़ी की संरचना मिली जो ट्रोजन हॉर्स हो सकता है. कई इतिहासकार इसे केवल एक मिथक का हिस्सा मानते हैं.
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दो विश्व अजूबे
दुनिया के 7 प्राचीन अजूबों में शामिल इफेसस और हेलिकार्नासुस तुर्की में ही हैं. माना जाता है कि इफेसस के दक्षिण में स्थित एक घर में खुद वर्जिन मेरी रही थीं. प्राचीन शहर हेलिकार्नासुस में राजा मुसोलस का मकबरा विश्व अजूबा माना गया.
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असली सांता क्लॉज
दुनिया भर में सांता क्लॉज के नाम से मशहूर संत का असली नाम सेंट निकोलस था. उनका जन्म तुर्की के पटारा में हुआ माना जाता है. बाद में वे तुर्की में भूमध्यसागर के तट पर बसे शहर डेमरी के बिशप बने.
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दो महाद्वीपों की कड़ी
दुनिया भर में केवल इस्तांबुल ही एक ऐसा शहर है जो दो महाद्वीपों में बसा है. वैसे तुर्की का केवल 3 प्रतिशत हिस्सा ही यूरोप में और बाकी एशिया में है. 2010 में यूरोपीय संघ ने इस्तांबुल को यूरोपियन कैपिटल ऑफ कल्चर घोषित किया था.
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नीदरलैंड्स के नहीं थे ट्यूलिप
इतिहासकारों ने पाया है कि 16वीं सदी में तुर्की के व्यापारियों ने ही सबसे पहले डच लोगों को ट्यूलिप के फूलों से परिचित करवाया. आधुनिक समय में ट्यूलिप का पर्याय बन चुके नीदरलैंड्स के मशहूर कोएकेनहोफ बागीचे में ईरान, तुर्की, बुल्गारिया के ट्यूलिप पहली बार 1954 में बोए गए.
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कॉफी का यूरोप से परिचय
15वीं सदी में तुर्की के रास्ते ही यूरोप में कॉफी आई. तुर्की के तत्कालीन ओटोमन साम्राज्य ने सबसे पहले कॉफी के बीजों से इतावली लोगों को परिचित कराया. फिर इटली से इसकी लोकप्रियता दूसरे यूरोपीय देशों में फैली.
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हेजलनट का दबदबा
आज तमाम चॉकलेट, केक और मिठाइयों में इस्तेमाल होने वाले मेवे हेजलनट का करीब 80 फीसदी केवल तुर्की से ही निर्यात होता है. मेवों से बनने वाली बकलावा जैसी कई तुर्क मिठाइयां आज विश्व भर में पसंद की जाती हैं.
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नाम के अनुरूप- ग्रैंड
इस मशहूर बाजार में 64 गलियां, करीब 4,000 दुकाने और 25,000 से भी ज्यादा लोग काम करते हैं. ग्रैंड बाजार दुनिया के सबसे विशाल और सबसे पुराने ढके हुए बाजारों में एक है. हर साल दुनिया भर से लाखों पर्यटक इन बाजारों का रूख करते हैं.
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धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक
तुर्की मुस्लिम बहुल होकर भी लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर चलता है. 1923 में आजादी की लड़ाई के बाद से यह रिपब्लिक ऑफ तुर्की बना और साथ ही देश में इन सेकुलर और डेमोक्रेटिक प्रक्रियाएं लागू हुईं.
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महिला अधिकारों में अव्वल
जून 2015 में 25वें आम चुनावों में अपना वोट देती तुर्क महिला. 1750 ईसा पूर्व से 1190 के बीच तुर्की में प्रभावशाली हितितीज ने शासन किया, जो महिला और पुरुष अधिकारों में समानता के पक्षधर थे. आधुनिक काल में भी, अमेरिका या किसी भी यूरोपीय देश से पहले तुर्की में ही महिलाओं को मत का अधिकार मिला था.