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समाज

हमें नक्शे क्यों अच्छे लगते हैं

५ जुलाई २०१९

दैत्यों की तस्वीरों वाले पुराने समुद्री नक्शे हों या अब गूगल मैप्स. नक्शे सदियों से लोगों को आकर्षित करते आए हैं. इंग्लैंड के हू लुइस जोन्स ने एक किताब लिखी है जो नक्शों से लोगों के प्यार को शब्दों में बांधती है.

Weltkarte von Waldseemüller 1507
तस्वीर: picture-alliance/Heritage-Images

पांच साल का एक बच्चा, जो भालू के दड़बे से शेर के पिंजरे की ओर या रास्ते में कहीं जिराफ या फ्लेमिंगो के अड्डे की ओर आता जाता है. जू की भुलभुलैया में फंसा ये बच्चा इसलिए परेशान नहीं था कि उसके पास जू का कोई नक्शा नहीं था बल्कि इसलिए कि उसके पास एक नक्शा था. ये कहानी है इंग्लैंड के इतिहासकार हू लुइस जोन्स की, जो उन्होंने अपनी किताब 'नक्शों के पीछे पागल' में लिखी है. तीस साल पहले लंदन जू के माध्यम से दुनिया की खोज की कहानी. उनकी किताब में दुनिया भर के साहित्य से 167 ऐतिहासिक नक्शों का संग्रह है.

नक्शों की शुरुआत दुनिया की खोज और उसके साथ उसे समझने की इंसान की इच्छा और इस लालसा के साथ जुड़ी हुई है कि उसमें हम कहां हैं. लुइस जोन्स कहते हैं कि हर नक्शा एक खास समय का विवरण है जो सैकड़ों सालों के इतिहास, भूगोल और भाषा का चित्रण है. इतिहासकार लुइस जोन्स दुनिया की खोज की कोशिशों पर शोध करते हैं और कॉर्नवाल में समुद्र के किनारे ऐसे घर में रहते हैं जिसकी दीवारें नक्शों से पटी हैं. वह कहते हैं कि किताबों के बिना दुनिया की कल्पना असंभव है, "यही बात मुझे नक्शों से विहीन दुनिया के साथ भी लगती है."

तस्वीर: R. Böhm/Müller und Richert Gotha

लुइस जोन्स ने अपनी किताब में ऐतिहासिक नक्शों की व्याख्या की है. साल 1570 में 'थियेट्रुम ऑर्बिस टेरारुम' का पहला संस्करण छपा था. 'विश्व थियेटर' फ्लेमिश कार्टोग्राफर अब्राहम ऑर्टेलिउस की नक्शों की पहली किताब थी. उनकी इस किताब में दुनिया के पहले एटलस के कई नक्शे छपे हैं. उसमें 16वीं शताब्दी का एक विख्यात नक्शा भी है जिसमें पश्चिमोत्तर और पूर्वोत्तर के रास्ते और दक्षिण में एक विशाल महादेश है. यह सब सुनी सुनाई बातों के आधार पर बनाया गया था.  वह बताते हैं कि लोग अक्सर भूल जाते हैं कि पुराने नक्शे उस समय की सबसे नवीन सोच का बयान हुआ करते थे.

हर नक्शा अपने समय की जानकारी की ताकत और संभावना का नजरिया पेश करता था. 1536 के बाइबल वाले एक नक्शे के केंद्र में बाइबल की जन्मस्थली यानी गार्ड इडन था. लुइस जोन्स बताते हैं कि मध्ययुग के ईसाईयों का मानना था कि स्वर्ग धरती पर ही स्थित है, धरती से अलग है लेकिन उसका हिस्सा भी है.

नक्शे के साथ युवा उद्यमी सिमोन शुल्त्सतस्वीर: Awesome Maps

हर काल में लेखक अपनी कल्पना को शब्दों में ढालते रहे हैं और उसे गंभीरता प्रदान करने के लिए उसके साथ नक्शे भी देते रहे हैं. 'गुलिवर की यात्राएं' में लेखक जोनाथन स्विफ्ट ने एक काल्पनिक द्वीप को सचमुच के नक्शे पर चित्रित किया था. उसमें  लिलिपुट ऑस्ट्रेलिया के पश्चिम में था और लापुटा कहीं जापान के आसपास.

भूगोलविद् उन इलाकों को, जिनका उन्हें पता नहीं था, अपने नक्शों में किसी कोने में छुपा देते थे, यह बात प्लुटार्च ने पहली सदी में ही लिखी थी. लुइस जोन्स भी अपनी किताब में टेरा इनकॉग्निटा यानी अंजान देश की बात करते हैं जिसे कार्टोग्राफर अपने नक्शों की खाली जगहों पर छुपा देते हैं ताकि सैलानियों को अनजाने इलाकों के खतरों से बचाया जा सके. इसके अलावा यह छुपाने के लिए भी कि उन्हें कितना कम पता है. इन जगहों पर अक्सर दैत्यों और दानवों की तस्वीरें होती हैं. टेरा इनकॉग्निटा में भी आग उगलते ड्रेगन दिखते हैं. 1510 में छपे 'हंट लेनॉक्स ग्लोबुस' पर तो लैटिन के शब्द भी लिखे हैं, हिक संट ड्रेकोनेस यानी यहां ड्रेगन रहते हैं.

एमजे/एके (केएनए)

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