दैत्यों की तस्वीरों वाले पुराने समुद्री नक्शे हों या अब गूगल मैप्स. नक्शे सदियों से लोगों को आकर्षित करते आए हैं. इंग्लैंड के हू लुइस जोन्स ने एक किताब लिखी है जो नक्शों से लोगों के प्यार को शब्दों में बांधती है.
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पांच साल का एक बच्चा, जो भालू के दड़बे से शेर के पिंजरे की ओर या रास्ते में कहीं जिराफ या फ्लेमिंगो के अड्डे की ओर आता जाता है. जू की भुलभुलैया में फंसा ये बच्चा इसलिए परेशान नहीं था कि उसके पास जू का कोई नक्शा नहीं था बल्कि इसलिए कि उसके पास एक नक्शा था. ये कहानी है इंग्लैंड के इतिहासकार हू लुइस जोन्स की, जो उन्होंने अपनी किताब 'नक्शों के पीछे पागल' में लिखी है. तीस साल पहले लंदन जू के माध्यम से दुनिया की खोज की कहानी. उनकी किताब में दुनिया भर के साहित्य से 167 ऐतिहासिक नक्शों का संग्रह है.
नक्शों की शुरुआत दुनिया की खोज और उसके साथ उसे समझने की इंसान की इच्छा और इस लालसा के साथ जुड़ी हुई है कि उसमें हम कहां हैं. लुइस जोन्स कहते हैं कि हर नक्शा एक खास समय का विवरण है जो सैकड़ों सालों के इतिहास, भूगोल और भाषा का चित्रण है. इतिहासकार लुइस जोन्स दुनिया की खोज की कोशिशों पर शोध करते हैं और कॉर्नवाल में समुद्र के किनारे ऐसे घर में रहते हैं जिसकी दीवारें नक्शों से पटी हैं. वह कहते हैं कि किताबों के बिना दुनिया की कल्पना असंभव है, "यही बात मुझे नक्शों से विहीन दुनिया के साथ भी लगती है."
लुइस जोन्स ने अपनी किताब में ऐतिहासिक नक्शों की व्याख्या की है. साल 1570 में 'थियेट्रुम ऑर्बिस टेरारुम' का पहला संस्करण छपा था. 'विश्व थियेटर' फ्लेमिश कार्टोग्राफर अब्राहम ऑर्टेलिउस की नक्शों की पहली किताब थी. उनकी इस किताब में दुनिया के पहले एटलस के कई नक्शे छपे हैं. उसमें 16वीं शताब्दी का एक विख्यात नक्शा भी है जिसमें पश्चिमोत्तर और पूर्वोत्तर के रास्ते और दक्षिण में एक विशाल महादेश है. यह सब सुनी सुनाई बातों के आधार पर बनाया गया था. वह बताते हैं कि लोग अक्सर भूल जाते हैं कि पुराने नक्शे उस समय की सबसे नवीन सोच का बयान हुआ करते थे.
हर नक्शा अपने समय की जानकारी की ताकत और संभावना का नजरिया पेश करता था. 1536 के बाइबल वाले एक नक्शे के केंद्र में बाइबल की जन्मस्थली यानी गार्ड इडन था. लुइस जोन्स बताते हैं कि मध्ययुग के ईसाईयों का मानना था कि स्वर्ग धरती पर ही स्थित है, धरती से अलग है लेकिन उसका हिस्सा भी है.
हर काल में लेखक अपनी कल्पना को शब्दों में ढालते रहे हैं और उसे गंभीरता प्रदान करने के लिए उसके साथ नक्शे भी देते रहे हैं. 'गुलिवर की यात्राएं' में लेखक जोनाथन स्विफ्ट ने एक काल्पनिक द्वीप को सचमुच के नक्शे पर चित्रित किया था. उसमें लिलिपुट ऑस्ट्रेलिया के पश्चिम में था और लापुटा कहीं जापान के आसपास.
भूगोलविद् उन इलाकों को, जिनका उन्हें पता नहीं था, अपने नक्शों में किसी कोने में छुपा देते थे, यह बात प्लुटार्च ने पहली सदी में ही लिखी थी. लुइस जोन्स भी अपनी किताब में टेरा इनकॉग्निटा यानी अंजान देश की बात करते हैं जिसे कार्टोग्राफर अपने नक्शों की खाली जगहों पर छुपा देते हैं ताकि सैलानियों को अनजाने इलाकों के खतरों से बचाया जा सके. इसके अलावा यह छुपाने के लिए भी कि उन्हें कितना कम पता है. इन जगहों पर अक्सर दैत्यों और दानवों की तस्वीरें होती हैं. टेरा इनकॉग्निटा में भी आग उगलते ड्रेगन दिखते हैं. 1510 में छपे 'हंट लेनॉक्स ग्लोबुस' पर तो लैटिन के शब्द भी लिखे हैं, हिक संट ड्रेकोनेस यानी यहां ड्रेगन रहते हैं.
कार, ट्रेन या प्लेन के बिना आप एक साल में कितनी दूरी तय कर सकते हैं? इन जीवों की यात्रा देखकर आपको लगेगा कि इंसान अपने दम पर सफर करने में बहुत फिसड्डी है.
तस्वीर: Imago/StockTrek Images
10. सालमन मछली (3,800 किलोमीटर)
नारंगी मांस वाली सालमन मछली अपने जीवन के शुरुआती 2-3 साल नदी के ठंडे पानी में बिताती है. नदी में अंडे देने के बाद सालमन समंदर के खारे पानी की यात्रा पर निकल पड़ती है. 3-4 साल खारे पानी में बिताने के बाद यह मछली अपने आखिरी दिन बिताने के लिए नदी के ठंडे पानी में लौटती है.
तस्वीर: Imago/ZUMA Press/J. Mather
09. मोनार्क तितली (4,800 किलोमीटर)
कनाडा और उत्तरी अमेरिका में पाई जाने वाली यह तितली सर्दियों से पहले हजारों किलोमीटर की उड़ान भर मेक्सिको जाती है. सिर्फ दो-तीन महीने जीने वाली ये तितलियां अपना ज्यादातर वक्त इधर से उधर जाने में ही खपा देती हैं. यात्रा के दौरान नेविगेशन के लिए वे पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का सहारा लेती हैं.
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08. रेंडियर (5,000 किलोमीटर)
रेंडियर या कारीबो कहलाने वाला ये वन्य जीव यूरोप, एशिया और उत्तर अमेरिका में पाया जाता है. बर्फ पिघलने के बाद सामने आने वाली हरी घास चरने के लिए इनका झुंड एक दिन में 70 किलोमीटर का फासला तय करता है.
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07. सेमीपालमैटेड सैंडपाइपर (5,300 किलोमीटर)
समंदर किनारे रहने वाली यह चिड़िया सर्दियों से ठीक पहले कनाडा छोड़ देती है और लंबी उड़ान भर अमेरिका के दक्षिणी इलाकों में पहुंचती है. बड़े झुंड में उड़ने वाले ये परिंदे बिना रुके अटलांटिक महासागर पार करने की क्षमता रखते हैं.
ड्रैगनफ्लाई कहे जाने वाले कीटों की कुछ प्रजातियां चार पीढ़ियों तक लगातार सफर पर होती हैं. पुरानी पीढ़ी मरती जाती है और लगातार पैदा होती नई पीढ़ी आगे बढ़ती जाती है. सर्दियों में वह दक्षिण एशिया के लिए उड़ान भरती है. हवा और मैग्नेटिक फील्ड की मदद से उन्हें अपने रास्ते का पता चलता है.
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05. लेदरबैक कछुआ (20,000 किलोमीटर)
समंदर में रहने वाला यह कछुआ अटलांटिक और प्रशांत महासागर को पार करता है. खाने की खोज में यह अटलांटिक महासागर से कैलिफोर्निया के पास मौजूद प्रशांत महासागर के दूसरे छोर तक जाता है. वहां यह जेलीफिश का शिकार करता है.
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04. नॉदर्न एलिफेंट सील (21,000 किलोमीटर)
सील की यह प्रजाति कैलिफोर्निया के तट से अपनी यात्रा शुरू करती है और अंत में बिल्कुल उसी जगह पर लौटती है. यह हर साल 21,000 किलोमीटर का फासला पूरा करती है. इस दौरान यह समुद्र की असीम गहराई में काफी वक्त बिताती है.
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03. हंपबैक व्हेल (23,000 किलोमीटर)
इस स्तनधारी जीव के नाम सबसे लंबी यात्रा का रिकॉर्ड है. हंपबैक व्हेल दुनिया के पांचों महासागरों को छूती है. जून जुलाई में यह यूरोप और अमेरिका की तरफ जाती है. सर्दियों में विषुवत रेखा के पास और नवंबर दिसंबर में दक्षिणी गोलार्ध के इर्द गिर्द.
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02. सूटी शियरवॉटर (65,000 किलोमीटर)
बत्तख जैसा दिखने वाला यह परिंदा मूल रूप से न्यूजीलैंड के आस पास रहता है. लेकिन सर्दियों में ठंड से बचने और खाने की तलाश में यह प्रशांत महासागर के गुनगुने इलाकों का रुख करता है. शियरवॉटर हर दिन 900 से 1,000 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं. यात्रा पूरी करने में इन्हें 200 दिन लगते हैं.
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01. आर्कटिक टेर्न (71,000 किलोमीटर)
113 ग्राम वजन वाली यह चिड़िया दुनिया में सबसे लंबी यात्रा करती है. हर साल यह उत्तरी ध्रुव के आर्कटिक सर्कल से दक्षिणी ध्रुव के अंटार्कटिक इलाके तक जाती है. जिस ध्रुव में ज्यादा सूरज चमकता है, यह चिड़िया वहां पहुंच जाती है.