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हम यूरो कप घर लाना चाहते हैं: बीयरहोफ

२५ फ़रवरी २०१२

यूरोपीय फुटबॉल चैंपियनशिप शुरू होने के लगभग सौ दिन पहले जर्मन टीम के मैनेजर ओलिवर बीयरहोफ ने कहा है कि इस बार हम कप घर लाना चाहते हैं. फुटबॉल क्लबों के प्रतिनिधियों से उन्होंने कहा कि लक्ष्य मुश्किल नहीं है.

ओलिवर बीयरहोफतस्वीर: dapd

पोलैंड और यूक्रेन में होने जा रहे यूरोपीय चैंपियनशिप से पहले बीयरहोफ ने अपनी टीम पर दबाव और बढ़ा दिया है और इस बात में भी कोई संदेह नहीं रहने दिया है कि टीम का लक्ष्य इस बार कप जीतना है. जर्मन फुटबॉल संघ के गैरपेशेवर क्लबों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए बीयरहोफ ने कहा, "हम कप को फिर से जर्मनी लाना चाहते हैं."

सम्मेलन में भाग ले रहे 300 से ज्यादा प्रतिनिधियों से उन्होंने कहा, "आंद्रेयास कौएप्के और मैं अब और नहीं सुन सकते कि हम कप जीतने वाले अंतिम लोग हैं." बीयरहोफ और कौएप्के 1996 में उस जर्मन टीम में शामिल थे जिसने इंगलैंड में कप जीता था. चेक गणतंत्र के खिलाफ हुए फाइनल में स्ट्राइकर बीयरहोफ ने दोनों गोल किए थे.

जर्मनी का मुकाबला इस बार आरंभिक चरण में नीदरलैंड, पुर्तगाल और डेनमार्क से हैं. ये यूरोप की तगड़ी टीमें हैं. लेकिन बीयरहोफ इससे भयभीत नहीं हैं. वे कहते हैं, "मैं तो दरअसल इससे खुश हूं. अब सबको पता है कि शुरू से ही कड़ी मेहनत करनी है."

16 साल बाद पहला स्वर्णपदक जीतने के लिए जर्मन फुटबॉल संघ के मनोनीत अध्यक्ष वोल्फगांग नियर्सबाख वित्तीय बोझ उठाने को भी तैयार हैं. उन्होंने कहा, "मेरे लिए पहली जगह संतुलित चैंपियनशिप बजट से ज्यादा महत्वपूर्ण है." नियर्सबाख इस समय महासचिव हैं और शुक्रवार को उन्हें थियो स्वांसिगर की जगह पर जर्मन फुटबॉल संघ का नया अध्यक्ष चुना जाएगा.

अध्यक्ष के रूप में अपने लक्ष्यों और उम्मीदों के बारे में बोलने के बदले नियर्सबाख ने फुटबॉल क्लबों के किए जमीनी काम की सराहना की. उन्होंने कहा, "हमारे 25 राष्ट्रीय खिलाड़ियों को 65 अलग अलग क्लबों में प्रशिक्षण मिला है. इससे दिल खुश हो जाता है."

बीयरहोफ ने भी राष्ट्रीय टीम के लिए गैरपेशेवर क्लबों के महत्व पर जोर दिया और सारे देश से आए प्रतिनिधियों से कहा, "हमें भविष्य में भी बहुत से अच्छे और मजेदार खिलाड़ी देते रहिए." जर्मनी में फुटबॉल अत्यंत लोकप्रिय है. जर्मन फुटबॉल संघ के 67 लाख सदस्य पौने दो लाख टीमों और 25 हजार स्थानीय संगठनों में सक्रिय हैं.

रिपोर्टः डीपीए/महेश झा

संपादनः एन रंजन

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