1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
इतिहास

हर मुश्किल से निकला भारत का आखिरी महल

८ अगस्त २०१७

भारत में आखिरी बार कोई महल जोधपुर में बना. उसके बाद तो देश में रजवाड़ों की जैसे शामत ही आ गई. वक्त के साथ ज्यादातर उजड़ गए, लेकिन आखिरी महल की चमक आज भी बरकरार है.

Indien Umaid Bhawan-Palast, Jodhpur
तस्वीर: Imago/Indiapicture

1944 में गर्मियों की एक शाम, जोधपुर में रजवाड़ों का जलसा चल रहा था. मशहूर उम्मेद भवन पैलेस का उद्धाटन हो रहा था. अलग अलग राजघरानों के सैकड़ों लोग वहां जुटे थे. यह आखिरी मौका था जब रजवाड़ों ने कोई बड़ा जश्न मनाया और भारत में आखिरी महल बना. तीन साल बाद 15 अगस्त 1947 को भारत ब्रिटिश हूकूमत से आजाद हो गया. आजादी के साथ ही 500 से ज्यादा राजघरानों को भविष्य अधर में लटक गया. करीबन सभी रियासतें धीरे धीरे भारतीय राज्य में विलीन हो गईं. कभी राज काज चलाने वाले खुद नई दिल्ली का आदेश मानने पर मजबूर हो गए.

रजवाड़ों के लिए वो बड़ी मुश्किल घड़ी थी. 1947 के बाद जैसे जैसे भारतीय गणतंत्र मजबूत हुआ, वैसे वैसे रजवाड़ों के हाथ से सब रेत की तरह फिसल गया. करीब ढाई दशक तक भारत सरकार ने रजवाड़ों की पदवी मानी और उन्हें विलय के बदले वित्तीय मदद भी दी. लेकिन 1971 के संवैधानिक संशोधन के बाद रजवाड़ों की हालत खस्ता हो गई. भारत के हर नागरिक के समान अधिकारों का हवाला देते हुए रजवाड़ों को मिलने वाली सरकारी मदद भी बंद कर दी गई.

रात में ऐसा दिखता है उम्मेद भवन पैलेसतस्वीर: Imago/Indiapicture

इसके बाद ज्यादातर राजपरिवार उजड़ने लगे, उनमें संपत्ति को झगड़े शुरू हो गए. एक राजपरिवार से संबंध रखने वाले कर्णी सिंह जासोल कहते हैं, "विरासत में मिली प्रॉपर्टी वाकई में सफेद हाथी की तरह थी. राजपरिवारों के पास संपत्ति बहुत थी, लेकिन नकदी नहीं थी. उनके बैंक में इतना पैसा नहीं था कि वे पारिवारिक संपत्ति से कुछ बड़ा कर पाते या भविष्य में उसे बचाए रखते."

इक्का दुक्का राजपरिवारों ने अपने महलों के एक हिस्से को होटल में तब्दील करने का फैसला किया. वहीं ज्यादातर रजवाड़ों को ऐसा करना नागवार गुजरा. लेकिन धीरे धीरे आर्थिक तंगी ने उनकी मूंछों का ताव खत्म कर दिया.​​​​​​​

महल के बाग में बना तख्ततस्वीर: Imago/Indiapicture

जो वक्त के साथ बदले वो सफल रहे. ऐसी ही सफलता जोधपुर के उम्मेद भवन पैलेस की भी है. कुल 347 कमरे के उम्मेद भवन पैलेस को दुनिया के सबसे विलासिता भरे आवासों में गिना जाता है. पैलेस को मारवाड़-राठौड़ वंश के आखिरी महाराज उम्मेद सिंह का नाम दिया गया. उम्मेद भवन पैलेस होटल के जीएम मेहरनवाज अवारी इसे एक खास अनुभव बताते हैं, "आप दुनिया में ऐसी कितनी जगहें जानते हैं, जहां आप महाराजा के बगल वाले कमरे में रह सकते हैं? हम मेहमानों के साथ ऐसे पेश आते हैं जैसे वो राजा और रानी हों."

जोधपुर की पहचानतस्वीर: Imago/J. Kruse

2005 से होटल में बने 64 कमरों को ताज ग्रुप मैनेज करता है. इस पैलेस में एक रात का किराया 500 डॉलर से लेकर 12,000 डॉलर तक है. मेहमानों के लिये यहां पूरा राजस्थान मौजूद है, वो भी यूरोपीय विलासिता के साथ. हॉलीवुड की तमाम ऐतिहासिक फिल्में यहां शूट होती हैं. 2007 में भारतीय कारोबारी अरुण नायर ने यहीं ब्रिटिश अभिनेत्री लिज हर्ले से शादी की.

राजपरिवार के गज सिंह इस पैलेस के सर्वोच्च अधिकारी हैं. जोधपुर के लोग आज भी उन्हें महाराज मानते हैं, ऐसे महाराज जो दुश्वार माहौल के बीच भी अपनी विरासत को बचा सके.

ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स)

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें