हर मेल में घुस सकता है अमेरिका
६ सितम्बर २०१३अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स और ब्रिटिश अखबार गार्डियन के अनुसार एनएसए इंटरनेट में सुरक्षित लेन देन के लिए लागू इनक्रिप्शन के चालू सिस्टमों को तोड़ सकता है. इनमें ईमेल और बैंक लेन देन के लिए इस्तेमाल होने वाले सिस्टम शामिल हैं. उन्होंने यह खबर अमेरिका के पूर्व एजेंट एडवर्ड श्नोडन से मिले दस्तावेजों के हवाले से दी है. इसके अनुसार पूरी गोपनीयता में तैयार बुलरन नाम के जासूसी प्रोग्राम पर सालाना 25 करोड़ डॉलर खर्च होगा.
अमेरिका के एनएसए और ब्रिटेन के जीसीएचक्यू ने रिपोर्ट के अनुसार एसएसएल तकनीक को निशाना बनाया है. सिक्योर सॉकेट लेयर सिस्टम के जरिए लाखों ऐसे वेबसाइटों की सुरक्षा की जाती है, जिनका पता एचटीटीपीएस से शुरू होता है, या जिनका इस्तेमाल उद्योग जगत प्राइवेट नेटवर्क के लिए करता है. डाटा सुरक्षा करने वालों ने गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों को एसएसएल की सुविधा सभी ग्राहकों को देने के लिए मना लिया था. लेकिन नए खुलासे के बाद साफ हो गया है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी से इन्हें भी नहीं बचाया जा सकता. रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी खुफिया एजेंसी सूचना पाने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल कर रही है. एक तो एनएसए के एजेंट सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर पर पिछले दरवाजे से हमला करते हैं, सुपर कंप्यूटर का प्रयोग करते हैं, गोपनीय अदालती फैसलों का सहारा लेते हैं और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के मानक तैयार करने में हस्तक्षेप करते हैं. सॉफ्टवेयरों में पिछले दरवाजे से होने वाले हमलों का पता आम तौर पर यूजर को नहीं चल पाता है.
न्यू यॉर्क टाइम्स और प्रो पब्लिका ने कहा है कि उनसे खुफिया एजेंसी के एजेंटों ने इस जानकारी को नहीं छापने के लिए कहा था. अधिकारियों का कहना है कि संदिग्ध लोग ऐसी हालत में इनक्रिप्शन की दूसरी तकनीकों का सहारा ले सकते हैं. न्यू यॉर्क टाइम्स ने कहा है कि कुछ जानकारियों का रोक लिया गया है. लेख में यह नहीं कहा गया है कि किन किन तकनीकों का तोड़ निकाला गया है. यह भी साफ नहीं है कि कितनी बार तकनीकी कंपनियों ने खुद ही पिछले दरवाजे का रास्ता खोला है और कितनी बार एनएसए ने अदालत का सहारा लेकर उनपर इसके लिए दवाब डाला है.
जर्मनी के बैंकों के सूत्रों का कहना है कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि बैंकों के सिस्टम के साथ छेड़ छाड़ की गई है. बैंक प्रतिनिधियों का कहना है, "यह संदेह करने की कोई वजह नहीं है कि जर्मनी में ऑनलाइन बैंकिंग सुरक्षित नहीं है." रूस में हो रहे जी-20 सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को ब्राजील और अर्जेंटीना के राष्ट्रपतियों की आपत्तियां सुननी पड़ी. व्हाइट हाउस के अनुसार ओबामा और डिल्मा रूसेफ ने इन आरोपों पर चर्चा की कि एनएसए ने रूसेफ के पत्राचार पर निगरानी रखी. आरोप है कि अर्जेंटीना के राष्ट्रपति एनरिके पेना नीटो पर भी निगरानी रखी जा रही थी. पेना नीटो ने कहा है कि ओबामा ने उन्हें मामले की पूरी जांच का आश्वासन दिया है.
एमजे/एनआर (रॉयटर्स)