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गठिया का इलाज

११ दिसम्बर २०१३

बच्चे खुद को ठीक से व्यक्त नहीं कर पाते, इसी वजह से कई बार उनकी बीमारी पकड़ पाना खासा मुश्किल होता है. ऐसे में जरुरत है संजीदगी की और अच्छे डॉक्टरों की. जर्मनी में एक अस्पताल बच्चों में गठिया की मदद कर रहा है.

Rheuma bei Kindern
तस्वीर: Kinderklinik Garmisch-Partenkirchen

गठिया या फिर जोड़ों की सूजन, अधिकतर देखा गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को इस तरह की बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है. बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों का दर्द भी बढ़ता है. लेकिन अब बच्चों में भी इसके कई मामले सामने आ रहे हैं. मुश्किल ये होती है कि बच्चों में ऐसी बीमारी हो तो डॉक्टर लंबे समय तक उसे पकड़ ही नहीं पाते. मर्ज जानने में जितनी देर होती है, उतना ही बुरा असर बच्चे की सेहत पर भी पड़ता है. ऐसे में मां बाप के लिए ये जरूरी हो जाता है कि वो बच्चे और उसकी परेशानी पर गंभीरता से ध्यान दें.

जल्दी पता भी नहीं चलता

मारिया मित्रेवा और उनकी मां बुल्गारिया से जर्मनी आए हैं. मारिया को गठिया है. शरीर के प्रतिरोधक तंत्र को कमजोर बना देने वाली यह बीमारी मारिया के शरीर के अलग अलग अंगों पर हमला करती है. बुल्गारिया में गठिया का इलाज नहीं, लिहाजा दोनों आखिरी उम्मीद लिए जर्मनी आए हैं.

विदेशों से कई परिवार डॉक्टर योहानेस पेटर हास से इलाज कराने उनके चाइल्ड रुमैटोलॉजी क्लीनिक आते है. जब तक आना की असली बीमारी पकड़ में नहीं आई तब तक उसका टीबी का इलाज चलता रहा. इसी बीच गठिया उसके घुटने के जोड़ को अकड़ता गया. हो सकता है कि बड़े होने पर उसके घुटने पर नकली जोड़ लगवाना पड़े.

रूस की आना भी इलाज की आखिरी उम्मीद के साथ यहां आई. बच्ची को गठिया है ये पता करने में ही मॉस्को के डॉक्टरों को तीन साल लग गए. चाइल्ड रुमैटोलॉजी क्लीनिक के निदेशक योहानेस पेटर हास कहते हैं, "ये लंबे समय से चल रहे इंफेक्शन का नतीजा है. इंफेक्शन के कारण हड्डियों को नुकसान पहुंचता है और फिर वे खराब होने लगती हैं, टूटने लगती हैं."

हास बताते हैं कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो तेजी से नहीं होती, इसका जल्दी पता भी नहीं चलता. बच्चों में समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो धीरे धीरे इसका असर दिखता है और जोड़ों में इंफेक्शन फैलने लगता है.

फिजियोथेरेपी के अलावा बच्चों के लिए कई तरह के खेल भी हैं.तस्वीर: Kinderklinik Garmisch-Partenkirchen

गठिया का 3डी एनेलिसिस

अस्पताल में बच्चों और परिवार वालों के लिए सारी सुविधाएं मौजूद हैं. यहां डॉक्टरों और फिजियोथेरेपिस्ट के अलावा बच्चों के लिए स्कूल भी है. इलाज अलग ढंग से होता है. कुछ ऐसे इंजेक्शन लगते हैं जो कई देशों में नहीं मिलते. मिसाल के तौर पर बुल्गारिया में मारिया को कोर्टिजोन दिया जाता था. गठिया के अधिकतर मामलों में कोर्टिजोन ही दिया जाता है, लेकिन यह बहुत कागरगर नहीं होता. दवा के कारण मारिया के शरीर में सूजन आ गई है.

फिजियोथेरेपिस्ट अस्पताल के साथ मिलकर काम करते हैं. हर बच्चे के लिए अलग ट्रेनिंग प्रोग्राम तैयार किया जाता है. खेल विज्ञानी मथियास हार्टमन कहते हैं, "मैं 3डी एनेलिसिस के बाद जान पाता हूं कि शरीर के अंदर क्या चल रहा है. मुझे पता चलेगा कि जोड़ों का विकास कैसा हो रहा है."

विश्लेषण से पता चलता है कि किन जगहों पर गठिया की ज्यादा मार पड़ी है. सात कैमरे अलग अलग एंगल से शरीर पर नजर रखते हैं. आंकड़ों से इलाज के असर का भी पता चलता है.

मारिया का इलाज सही दिशा में चल रहा है. पुरानी दवा का असर अब खत्म होता दिख रहा है. अस्पताल में वह तैरना भी सीख रही हैं. तैराकी इंसान के लिए एक अच्छा व्यायाम है. मारिया जब वह अपनी मां के साथ जर्मनी आई तो वह व्हीलचेयर पर थी. लेकिन अब मां को उम्मीद है कि उनकी बिटिया ऐसे ही पूरी जिंदगी अपने पैरों पर खड़ी रहेगी.

रिपोर्ट: क्लारा वाल्थर/ओएसजे

संपादन: ईशा भाटिया

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