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हवाई यात्रा करने पर शर्मिंदा हो रहे हैं स्वीडन के लोग

११ अप्रैल २०१९

स्वीडन में सर्दियों की रातें अंधेरी और स्याह होती हैं. इससे बचने के लिए स्वीडन के लोग सूरज की रोशनी वाले देशों में जाते रहे हैं. लेकिन हवाई यात्रा से पर्यावरण को होने वाला नुकसान अब उन्हें शर्मिंदा कर रहा है.

Schweden Stockholm Arlanda Airport
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/A. Widak

स्वीडन में इन दिनों एक शब्द बहुत लोकप्रिय हो चला है, फ्लिग्सकैम यानि फ्लाइट शेम. यह उस अहसास को अभिव्यक्त करता है जो हवाई यात्रा कर रहे लोगों के मन में पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर होता है. जैसे शायद परीक्षा के पहले खेलते हुए नहीं पढ़ पाने की ग्लानि या फिर उससे भी ज्यादा कुछ. इस सामूहिक ग्लानि का नतीजा ये हुआ है कि स्वीडन में अब ज्यादा से ज्यादा लोग, खासकर युवा लोग यात्रा के लिए प्लेन पकड़ने के बदले रेलगाड़ी ले रहे हैं ताकि अंतरात्मा को चोट न लगे.

प्लेन के बदले रेलगाड़ी को प्रोत्साहन देने की मुहिम स्वीडन की 16 वर्षीया पर्यावरण योद्धा ग्रेटा थुनबर्ग भी चला रही है, जिसने शुक्रवार को पर्यावरण के लिए स्कूल से हड़ताल कर दुनिया भर के युवाओं को झकझोर दिया है और अब दुनिया के कई देशों में किशोर किशोरी पर्यावरण के लिए स्कूल छोड़कर प्रदर्शन कर रहे हैं. पिछले दिनों ग्रेटा थूनबर्ग चाहे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के लिए दावोस गई हो या जलवायु सम्मेलन के लिए पोलैंड के काटोवित्से, उसने रेलगाड़ी से ही सफर किया.

ग्रेटा से प्रेरणा लेकर सार्वजनिक जीवन के बहुत से अहम लोग  #stayontheground का समर्थन कर रहे हैं. स्वीडन के स्पोर्ट कमेंटेटर ब्योर्न फेरी ने कहा है कि वे प्रतिस्पर्धाओं में ट्रेन से ही जाएंगे तो स्वीडिश फिल्म उद्योग के 250 लोगों ने फिल्म निर्माताओं से अपील की है कि वे विदेशों में होने वाली शूटिंग पर लगाम लगाएं. इंस्टाग्राम पर एक बेनामी अकाउंट उन सेलेब्रिटीज की आलोचना कर रहा है जो दूरदराज के इलाकों में यात्रा को प्रोमोट करते हैं. इसके 60,000 फॉलोवर हैं.

तस्वीर: picture-alliance/robertharding

स्कैंडेनेविया में स्थित स्वीडन पृथ्वी के उत्तरी हिस्से में स्थित है. इसका सबसे उत्तर में स्थित शहर किरुना फ्रांस के कोट जे आजुर से 4,000 किलोमीटर दूर है. देश की अच्छी आर्थिक स्थिति और लोगों के उच्च रहन सहन की वजह से चार्टर टूरिज्म बढ़ा है और किफायती एयरलाइंस उद्योग का प्रसार हुआ है और स्वीडन के लोग हवाई यात्रा करने वाले प्रमुख यात्रियों में उभरे हैं.

गोथेनबर्ग के रिसर्चरों में पिछले साल पाया कि उड़ान से स्वीडन के लोगों का प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन 1990 से 2017 के बीच विश्व औसत का पांच गुना था. स्वीडन के लोगों की चिंता ठोस आंकड़ों पर आधारित है. स्टडी के अनुसार 1990 से स्वीडन के हवाई यात्रा उत्सर्जन में 61 फीसदी का इजाफा हुआ है. स्वीडन के मौसम विभाग के अनुसार देश में औसत तापमान विश्व औसत से दोगुना तेजी से बढ़ रहा है. हवाई यात्रा में प्रति किलोमीटर 285 ग्राम, कार में 158 ग्राम और ट्रेन में 14 ग्राम का उत्सर्जन होता है.

ग्रेटा थुनबर्गतस्वीर: picture-alliance/dpa/D. Bockwoldt

स्वीडन के लोग इन आंकड़ों से चिंतित हैं, मार्च में वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फाउंडेशन के एक सर्वे में कहा गया है कि पर्यावरण पर हवाई यात्राओं के असर को कम करने के लिए हर पांचवां स्वीडनवासी प्लेन के बदले ट्रेन से सफर कर रहा है. इनमें महिलाओं और युवाओं की तादाद ज्यादा है. पिछले दिनों देश की प्रमुख टूरिज्म पत्रिका में प्रकाशित सर्वे के अनुसार पिछले साल विदेशी यात्राओं में कमी करने वाले लोगों के 64 फीसदी ने ऐसा पर्यावरण चिंताओं के कारण किया.

इस ट्रेंड पर स्वीडन की रेल कंपनी भी प्रतिक्रिया दिखा रही है. राष्ट्रीय रेल कंपनी एसजे ने सर्दियों में यात्रियों में 21 फीसदी की बढ़त की रिपोर्ट दी है. सरकार ने भी स्वीडन के शहरों और प्रमुख यूरोपीय शहरों के बीच फिर से नाइट ट्रेन चलाने की योजना का ऐलान किया है. इस साल हवाई यात्राओं में 3.2 प्रतिशत की कमी होने का अनुमान लगाया जा रहा है. हालांकि फ्लाइट शेम का स्वीडन जैसा असर अब तक पड़ोसी देशों में नहीं देखा जा रहा है लेकिन कम से कम फिनलैंड ने अपना खुद का शब्द गढ़ लिया है. वे इसे लैंटोहेपिया कह रहे हैं. दुनिया के दूसरे हिस्सों के लोग #flyingless या #stopflying से काम चला रहे हैं.

एमजे/एके (एएफपी)

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