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हवाई हमलों का खौफ

२९ जनवरी २०१४

पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान में इन दिनों आसमान से होने वाले हमले का खौफ है. इनके डर से लोग अपने घर बार छोड़ने को मजबूर हैं. इसी महीने इस्लामी चरमपंथियों पर निशाना बनाते हुए पाकिस्तानी सैनिकों ने हमले किए थे

तस्वीर: dapd

सरकार के मुताबिक 21 जनवरी को हुए हवाई हमलों में मारे गए सभी लोग इस्लामी चरमपंथी थे. लेकिन अफगानिस्तान की सीमा से सटे इस अस्थिर क्षेत्र के लोगों का कहना है कि मरने वाले ज्यादातर आम नागरिक थे. फिलहाल पाकिस्तान की सेना ने आगे की कार्रवाई के कोई संकेत नहीं दिए हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर अपने ही प्रशासन के लोगों की तरफ से तालिबान पर सैन्य कार्रवाई करने का भारी दबाव है. तालिबान के साथ सरकार की बातचीत हाल के महीनों में लड़खड़ाई है. पिछले दिनों राजधानी इस्लामाबाद के पास एक आत्मघाती हमला हुआ था. इस हमले में 13 लोग मारे गए. बम धमाके के अगले दिन हवाई हमले किए गए थे. सेना द्वारा एक और हमले के खौफ में इलाके के लोग सुरक्षित इलाकों में पनाह ले रहे हैं. क्षेत्र के ज्यादातर लोग स्कूलों और घरों में शरण ले रहे हैं.

घर छोड़कर भागते लोग

पश्चिमोत्तर के शहर बन्नू में एक अधिकारी ने बताया कि 23 हजार शरणार्थी शहर की तरफ भाग गए हैं. बन्नू में 90 वर्षीय जन्नत बीबी ने बताया, "उत्तरी वजीरिस्तान में निर्दोष महिलाएं और बच्चे हवाई हमलों के शिकार हुए." तेज बुखार से पीड़ित जन्नत बीबी के मुताबिक, "हम रात के वक्त कई किलोमीटर तक पैदल चलने के बाद बन्नू पहुंचे." उत्तरी वजीरिस्तान पथरीले पहाड़ों और घाटियों से घिरा है. इस घाटी में अल कायदा से जुड़े कई संगठनों का गढ़ है. यहां रहने वाले दोहरे खौफ के साये में जीते हैं. कभी तालिबान के हमले का खतरा तो कभी फौज की कार्रवाई का. एक सरकारी राहत अधिकारी कहता है, "वे अपने परिवार को सैन्य कार्रवाई की आशंका में यहां से हटा रहे हैं."

लोगों में सैन्य कार्रवाई का डरतस्वीर: AP

नाम न बताने की शर्त पर उस अधिकारी ने बताया, "यहां कोई ऑपरेशन नहीं चल रहा है. सरकारी निकाय होने के नाते हमें इस बारे में कोई जानकारी भी नहीं है. लेकिन लगता है कि यहां के लोग डरे हुए हैं. संकट पैदा होने के पहले वे यहां से भागना चाहते हैं."

बन्नू में कई शरणार्थियों का कहना है कि सरकार ने उन्हें आसरा देने का कोई इंतजाम नहीं किया है. कट्टरपंथी संगठन जमात ए इस्लामी से जुड़ी एक दान देने वाली संस्था राशन और कंबल बांट रही है. संकट समय में इस तरह के दृश्य अक्सर नजर आते हैं. 26 वर्षीय नजीबुल्लाह ने परिवार के 25 सदस्यों के साथ बन्नू शहर में पनाह ली है. नजीबुल्लाह कहता है, "भारी हवाई हमलों के कारण हमें मजबूरन अपने घर छोड़ने पड़े. सुरक्षाकर्मियों ने हमें कई चेक पोस्ट पर परेशान किया गया. हम तब तक अपने घरों को नहीं लौटेंगे जब तक इस बात से संतुष्ट नहीं होंगे कि और हवाई हमले नहीं होंगे."

एए/एएम (रॉयटर्स)

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