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हवा की मेहरबानी ने टल सकता है परमाणु खतरा

१४ मार्च २०११

जापान में भूकंप से प्रभावित न्यूकलियर रिएक्टरों से अब नुकसान होने का खतरा बहुत कम है. संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का कहना है कि रिएक्टरों से अगर विकिरण निकलते हैं तो हवा उन्हें प्रशांत महासागर की ओर ले जाएगी.

फुकुशिमा धमाकातस्वीर: AP

जापान फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के तीन रिएक्टरों को पिघलने से बचाने में लगा हुआ है. शुक्रवार को भूकंप और फिर सूनामी ने इन रिएक्टरों को खासा नुकसान पहुंचाया है. 1986 के चेरनोबिल परमाणु हादसे के बाद से यह सबसे बड़ा परमाणु खतरा बन गया है. ओनागावा परमाणु संयंत्र में भी विकिरण का स्तर काफी ऊंचा है.

बड़ा खतरा टला

लेकिन संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि ये रिएक्टर अब इंसानी सेहत के लिए बड़ा खतरा नहीं हैं. संयुक्त राष्ट्र की साइंटिफिक कमेटी ऑन एटोमिक रेडिएशन के सचिव मैलकोम क्रिक ने कहा, "फिलहाल यह कोई गंभीर खतरा नही है. वहां चेरनोबिल जैसा कुछ नहीं होगा. जब रिएक्टर में विस्फोट हुआ तब वह पूरी पावर पर काम कर रहा था और काबू में नहीं रहा."

तस्वीर: picture alliance/dpa

क्रिक का कहना है कि फुकुशिमा के रिएक्टर से ज्यादा खतरनाक तो 1979 में थ्री माइल आइलैंड का परमाणु हादसा था. अमेरिका यह परमाणु रिएक्टर भी पिघल गया था लेकिन उससे बहुत कम विकिरण निकले थे. उन्होंने कहा, "बहुत से लोगों को लगा कि वे विकिरण के असर में आ गए हैं. बेशक, विकिरण का स्तर इतना था कि उसका पता लगाया जा सके, लेकिन वह सेहत के लिए बिल्कुल खतरनाक नहीं था."

फिर भी सावधानी के तौर पर फुकुशिमा के आसपास से लगभग एक लाख 40 हजार लोगों को हटाया गया है.

हवा की मेहरबानी

जापान के मौसम विभाग का कहना है कि रविवार रात से इलाके में हवा की दिशा फुकुशिमा से प्रशांत महासागर की ओर होगी. स्वीडन की न्यूकलियर पावर प्लांट सेफ्टी एजेंसी के निदेशक लेनार्ट कार्लसन ने कहा, "हवा की दिशा जापान के लोगों के लिए बिल्कुल सही है. यह प्रशांत महासागर की ओर जा रही है. बाकी देशों को भी कोई खतरा नहीं है."

अमेरिका के परमाणु नियामक आयोग ने कहा है कि खतरनाक विकिरणों के अमेरिका के तट तक पहुंचने की कोई आशंका नहीं है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः आभा एम

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