हवा खराब हुई तो बिल्डिंग में उगा डाला जंगल
९ जनवरी २०१८स्मॉग और खराब हवा की समस्या से छुटकारा पाने के लिए क्या किया जाए? दिल्ली में रहने वाले हर व्यक्ति के दिमाग में कभी न कभी यह सवाल आता होगा. जवाब में कुछ अपने नेताओं और एजेंसियों के कहे पर भरोसा करते हैं, तो कुछ कमल मित्तल की तरह शहरों के बीचोंबीच बनी बिल्डिंग में जंगल उगा देते हैं. कमल मित्तल ने अपने आसपास के लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लेते हुए एक ऐसे ही आइडिया पर अमल किया. नतीजा यह हुआ कि अब माइक्रोसॉफ्ट, सैमसंग और एमेजॉन जैसी कंपनियां उनकी किरायेदार हैं.
क्या है आइडिया
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से स्नातक और अल गोर क्लाइमेट रियलिटी प्रोजेक्ट में ट्रस्टी मित्तल ने दिल्ली में एक ऐसा ऑफिस बनाया जहां उनका दावा है कि हवा की गुणवत्ता स्विट्जरलैंड के आल्प्स पर्वतों पर मिलने वाली हवा जैसी है. बाहर से यह ऑफिस किसी आम मॉडर्न ऑफिस ब्लॉक की तरह नजर आता है. लेकिन इस दफ्तर के भीतर एक वर्चुअल जंगल है. ऑफिस के कमरों और गलियारों में तकरीबन 7,000 पौधे हैं और अगल-बगल झूलती लताएं अलग.
इतना ही नहीं ग्रीनहाउस टैरेस, कृत्रिम घास और हरी दीवारों समेत ऑफिस में हवा की धुलाई का सिस्टम भी लगा है. यह सिस्टम बाहर से आने वाली प्रदूषित हवाओं को फिल्टर कर अंदर आने देता है. इसके बाद हवा ग्रीनहाउस की परत में जाती है, जहां पौधे हवा में मौजूद बैक्टीरिया, फंगस, कार्बन डाय ऑक्साइड और अन्य जहरीले पदार्थों को हटा देते हैं. इसके बाद हवा एयर कंडीशनिंग पंप के जरिए फ्लोर पर पहुंचती है. मित्तल कहते हैं कि बिल्डिंग में बैठकर आपको गुलमर्ग की वादियों और स्विट्जरलैंड की हवाओं का अहसास होता है.
कैसे आया ख्याल
मित्तल को यह क्लीन ऑफिस प्रोजेक्ट बनाने का ख्याल सालों पहले आया था. वह बताते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के चलते डॉक्टरों ने उनकी तबियत को देखते हुए उन्हें शहर से बाहर जाने को कहा था. लेकिन उन्होंने डॉक्टरों की बात नहीं मानी और अपने लिए समाधान ढूंढने पर काम करने लगे. वह कहते हैं, "मैं दिल्ली नहीं छोड़ना चाहता था, इसलिए मुझे अपने लिए कोई रास्ता निकालना था."
मित्तल की यह बिल्डिंग आज दिल्ली में स्वच्छ हवा का केंद्र बन चुकी है. एमेजॉन, सैमसंग और माइक्रोसॉफ्ट इनके किरायेदार हैं. सरकार ने इस बिल्डिंग को शहर की सबसे सेहतमंद बिल्डिंग माना है. मित्तल के मुताबिक जो लोग यहां काम करते हैं, उनके खून में ऑक्सीजन की मात्रा सही होती है. साथ ही मस्तिष्क में ताजगी और दमा जैसी बीमारियों से भी राहत बनी रहती है.
राजधानी दिल्ली ने बीती कुछ सर्दियां स्मॉग और जहरीली हवाओं के प्रभावों के बीच बिताई है. शहर में औद्योगिक गतिविधियों समेत निर्माण कार्य और गाड़ियों के बढ़ते इस्तेमाल ने इस पूरे मसले को और भी गंभीर बना दिया है. लेकिन अन्य सालों की तुलना में स्मॉग का प्रभाव इस सीजन में सबसे ज्यादा नजर आया.
फौरी तौर पर कारखाने बंद कर दिए गए, गाड़ियों के इस्तेमाल को लेकर नियम कायदे अपनाए गए, लेकिन इससे बहुत अधिक फायदा नहीं हुआ. ऐसी स्थिति में मित्तल का यह आइडिया सेहतमंद भविष्य की उम्मीद तो देता ही है. अब मित्तल की ही तरह राजधानी दिल्ली में कई लोग इस समस्या से निपटने के लिए नए तरीके अपना रहे हैं.
एए/आईबी (एएफपी)