हांग कांग: दंडित पत्रकार ने जीता पुरस्कार
६ मई २०२१![HongKong Justiz l Journalistin Choy Yuk-ling verurteilt](https://static.dw.com/image/57287575_800.webp)
हांग कांग के सरकारी मीडिया संगठन आरटीएचके के लिए काम करने वाली बाओ चॉय को पिछले महीने नंबर प्लेटों के मालिकों के रिकॉर्ड हासिल करने के लिए "जान-बूझ कर झूठा बयान देने" का दोषी पाया गया था. कई मीडिया समूहों ने इस फैसले को जनहित की पत्रकारिता पर एक हमला बताया था. अब चॉय और उनके पांच सहकर्मियों को सालाना मानवाधिकार प्रेस पुरस्कारों में चीनी भाषा डॉक्यूमेंटरी पुरस्कार से नवाजा गया है. ये पुरस्कार 25 सालों से एशिया में मानवाधिकारों पर पत्रकारिता को सम्मान दे रहे हैं.
चॉय की टीम की डॉक्यूमेंटरी का शीर्षक था "हू ओंस द ट्रूथ? (किसका सच?)" इसमें जुलाई 2019 को यूएन लॉन्ग जिले में लोकतंत्र के समर्थकों पर कुछ लोगों द्वारा डंडों से किए गए हमले और समय रहते कदम उठाने में पुलिस की असफलता की छानबीन की गई थी. जजों ने 23 मिनट की इस डॉक्यूमेंटरी की "छोटे से छोटे सुराग का पीछा करने और बिना डरे शक्तिशाली लोगों से सवाल पूछने" के लिए सराहना की. उन्होंने उसे "खोजी पत्रकारिता का एक उत्कृष्ट उदाहरण बताया."
जुलाई 2019 की उस घटना को उस साल लोकतंत्र के पक्ष में हुए विरोध प्रदर्शनों में एक निर्णायक मोड़ माना जाता है, जिसके बाद शहर की पुलिस और राजनीतिक नेतृत्व में जनता का विश्वास और गिर गया था. आरटीएचके ने गवाहों और सिक्योरिटी कैमरों से ली हुई वीडियो फुटेज का इस्तेमाल कर घटनाक्रम का ब्योरा तैयार किया था. टीम ने नंबर प्लेटों के मालिकों की भी जानकारी हासिल की थी और लोगों का साक्षात्कार भी किया था.
खोजी पत्रकारिता की मिसाल
रिपोर्ट में हमलावरों के बारे में नई जानकारी सामने आई. सामने आया कि उनमें से कुछ के राजनीतिक रूप से प्रभाव वाली उन ग्रामीण समितियों से संबंध हैं जो चीन का समर्थन करती हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि उस शाम हाथों में डंडे लिए लोग उस जिले में हमले से घंटों पहले विशेष गाड़ियों में आने शुरू हो गए थे लेकिन पुलिस ने समय रहते कोई कार्रवाही नहीं की.
पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया है और आला अफसरों ने उस मुठभेड़ को दो विपक्षी दलों के बीच हुए झगड़े के रूप में लोगों के सामने पेश करने की कोशिश की है. हांग कांग में नंबर प्लेटों की जानकारी काफी समय से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है और पत्रकार भी इसका इस्तेमाल करते आए हैं. ऐसा चीन का पक्ष लेने वाले मीडिया संगठन भी करते आए हैं. लेकिन बाद में नियम बदल दिए गए और पत्रकारों को नंबर प्लेटों की जानकारी ढूंढने से प्रतिबंधित कर दिया गया.
37 वर्ष की चॉय को यह करने के लिए छह महीने जेल की सजा मिल सकती थी लेकिन अंत में उन पर 6,000 हांग कांग डॉलर (770 अमेरिकी डॉलर) का जुर्माना लगाया गया. वो इस फैसले के खिलाफ अपील करना चाहती हैं. चीन ने हांग कांग की आलोचनात्मक मीडिया को काबू में करने की अपनी इच्छा को कभी छुपाया नहीं है और इस क्रम में आरटीएचके अक्सर सरकार का निशाना बन जाता है.
सरकार ने संगठन को पुनर्व्यवस्थित करने के आदेश दिए हैं और हाल ही में एक पुराने नौकरशाह को उसके नए मुखिया के रूप में नियुक्त भी किया गया है. तब से उन्होंने कई कार्यक्रमों को "एकतरफा नजरिए" और "गलतियों" के लिए हटा दिया है. नवंबर में चॉय की गिरफ्तारी के बाद चैनल ने उन्हें निलंबित कर दिया था और उनकी कानूनी लड़ाई में भी कोई योगदान नहीं दिया.
इसके अलावा चैनल ने घोषणा भी की कि उसने पत्रकारिता पुरस्कारों में भेजे गए सभी आवेदनों को वापस ले लिए है, लेकिन एचआरपीए जैसे कई पुरस्कार संगठनों ने इस वापसी को मानने से इनकार कर दिया था. इसी सप्ताह चैनल ने पत्रकार सम्मेलनों में अधिकारियों से आक्रामक सवाल पूछने के लिए मशहूर हो चुकी रिपोर्टर नबेला कौसर को नौकरी से निकाल दिया था.
जोशुआ वोंग की सजा बढ़ाई गई
जेल में सजा काट रहे लोकतंत्र के समर्थक जोशुआ वोंग की सजा को और 10 महीने बढ़ा दिया है. वोंग ने मान लिया था कि उन्होंने पिछले साल तियानमेन चौराहे की घटना की याद में आयोजित एक "गैर कानूनी" प्रदर्शन में हिस्सा लिया था.
सीके/एए (एएफपी)