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हाथियों को पानी पिलाती सरकार

२३ अक्टूबर २०१२

जिम्बाब्वे के विशाल ह्वांगे गेम रिजर्व में हाथियों की बढ़ती तादाद ने सरकार को मुश्किल में डाल रखा है. जंगल की क्षमता से दुगुने हो चुके हाथियों की प्यास बुझाने के लिए सरकार जेनरेटर चला कर उन्हें पानी पिला रही है.

तस्वीर: Getty Images

हाथियों के सुरक्षित सैरगाह में अधिकारियों ने 45 जेनरेटर लगाए हैं. एक जेनरेटर हफ्ते भर में 200 लीटर डीजल पी जाता है. जून से नवंबर के महीने में पानी की कमी होती है और इस दौरान हाथियों को पानी पिलाने के लिए यह कवायद करनी पड़ती है. सरकार की इस कोशिश का असर भी दिख रहा है. पिछले साल इस मौसम में 77 हाथियों की मौत हुई थी लेकिन इस बार यह संख्या घट कर 17 पर आ गई है.

जिम्बाब्वे के नेशनल पार्क एंड वाइल्डलाइफ अथॉरिटी से जुड़े पर्यावरण विज्ञानी एडविन माकुवे ने बताया, "यहां पंप से छोड़े गए पानी का 90 फीसदी हिस्सा हाथी पी जाते हैं. मुझे लगता है कि हाथियों को भी अब पता चल गया है कि मशीन चलने वाली जगह के पास पानी है." यह पानी हाथियों की जान तो बचा रहा है लेकिन यह प्रकृति की धारा के खिलाफ भी हो सकता है.

करीब 14,600 वर्ग किलोमीटर में फैले सुरक्षित जंल में 35-40 हजार हाथी रहते हैं जो इसकी क्षमता से दोगुनी है. हाथियों की संख्या बढ़ने के कारण पानी की मांग भी बढ़ गई है. हालांकि इस जंगल में कम से कम 100 दूसरे तरह के जानवर रहते हैं. इनमें से पांच बड़े जानवरों में हाथी, शेर, तेंदुआ, भैंस और गैंडा शामिल हैं. मुकावे का कहना है कि इस नेशनल पार्क में हाथियों की संख्या बढ़ने से पर्यावरण को नुकसान हो सकता है. मुकावे के मुताबिक, "हाथियो की अत्यधिक चहलकदमी के कारण जंगल में पेड़ पौधों का विकास रुक गया है. पेड़ उतनी तेजी से नहीं बढ़ पाते जितनी तेजी से उन्हें बढ़ना चाहिए. पेड़ों के बीज उतने नहीं पैदा हो रहे हैं. लंबे दौर में ह्वांगे के पूरे आवास पर खतरा होगा."

तस्वीर: Tiergarten Schönbrunn/Daniel Zupanc

हाथियों की वजह से न सिर्फ पेड़ पौधों की संख्या घट रही है बल्कि उनकी गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है. हाथी पेड़ों को तोड़ते हैं और भोजन की तलाश में उनकी जड़ें भी खोद डालते हैं. मुकावे को डर है कि पेड़ो पर पलने वाले छोटे छोटे जीव जंतुओं के लुप्त होने का खतरा है. उन्होंने कहा, "अगर पेड़ खत्म हो गए तो केवल घास बचेगी और तब जीव भी नहीं होंगे." अधिकारी अभी तक इसका कोई उपाय ढूंढने में नाकाम रहे हैं.

कुछ लोगों की दलील है कि प्रकृति खुद ही सब ठीक करेगी लेकिन मुकावे का मानना है कि कोई न कोई तरीका अपनाना होगा जिससे कि लोगों को हाथियों की संख्या कम करने पर रजामंद किया जा सके. यहां सैलानियों का आना बंद हो गया था लेकिन अब वो वापस लौटने लगे हैं. इस बीच विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडबल्यूएफ) का कहना है कि पानी की कमी से हाथी परेशान हो रहे है, उनका ध्यान रखा जाना चाहिए.

एनआर/एमजी(एएफपी)

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