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हापुड़ की महिलाओं की कहानी ऑस्कर में दर्ज

२५ फ़रवरी २०१९

भारत में मासिक धर्म से जुड़ी वर्जनाओं पर आधारित फिल्म 'पीरियड: एंड ऑफ सेंटेंस' ने 91वें अकादमी पुरस्कार समारोह में डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट सब्जेक्ट की श्रेणी में ऑस्कर पुरस्कार जीता.

Oscarverleihung 2019 | Team von Period. End of Sentence.
तस्वीर: AFP/Getty Images/K. Winter

फिल्म का निर्माण भारतीय फिल्मकार गुनीत मोंगा की सिखिया एंटरटेनमेंट कंपनी द्वारा किया गया है. फिल्म भारत में मासिक धर्म से जुड़ी वर्जनाओं के खिलाफ महिलाओं की लड़ाई और असल जिंदगी के 'पैडमैन' अरुणाचलम मुरुगनाथम के काम पर बात करती है.

ईरानी-अमेरिकी फिल्मकार रेका जेहताबची द्वारा निर्देशित फिल्म का निर्माण लॉस एंजेलिस के ओकवुड स्कूल के विद्यार्थियों के एक समूह और उनकी शिक्षिका मेलिसा बर्टन द्वारा स्थापित द पैड प्रोजेक्ट द्वारा किया गया है.

26 मिनट की फिल्म उत्तरी भारत के हापुड़ की लड़कियों और महिलाओं और उनके गांव में पैड मशीन की स्थापना के ईद-गिर्द घूमती है.

इस पुरस्कार के लिए 'पीरियड: एंड ऑफ सेंटेंस' का मुकाबला 'ब्लैक शीप', 'एंड गेम', 'लाइफबोट' और 'ए नाइट एट द गार्डन' के साथ था.

इस पुरस्कार को लेने के लिए रेका जेहताबची और बर्टन मंच पर पहुंचीं. रायका जेहताबची ने कहा, "मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि मासिक धर्म पर बनीं फिल्म को ऑस्कर मिला है."

इस जीत से उत्साहित मोंगा ने ट्वीट कर कहा, "हम जीत गए. हमने सिखिया को नक्शे पर उतार दिया है."

बर्टन ने यह पुरस्कार अपने स्कूल को समर्पित करते हुए कहा, "इस परियोजना का जन्म इसलिए हुआ क्योंकि लॉस एंजिलिस के मेरे विद्यार्थी और भारत के लोग बदलाव लाना चाहते हैं."

उन्होंने कहा, "मैं इस पुरस्कार को फेमिनिस्ट मेजोरिटी फाउंडेशन, पूरी टीम और कलाकारों के साथ साझा करती हूं. मैं इसे दुनिया भर के शिक्षकों और विद्यार्थियों के साथ साझा करती हूं."

(पीरियड्स पर "चुप्पी तोड़ो")

आईएएनएस

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