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हामिद करजई के भाई वली की हत्या

१२ जुलाई २०११

अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई के सौतेले भाई और दक्षिणी अफगानिस्तान के महत्वपूर्ण नेता वली करजई की गोली मार कर हत्या कर दी गई. अधिकारियों का कहना है कि उनके बॉडीगार्ड ने उन पर गोली चलाई.

In this Feb. 12, 2011 picture, Kandahar provincial council chairman Ahmed Wali Karzai speaks during a meeting at his office in Kandahar, Afghanistan. Many in this impoverished city still feel insecure even after 10 years of NATO presence in the capital of the province that was the birthplace of the Taliban. (AP Photo/Anja Niedringhaus)
तस्वीर: AP

वली करजई विवादित शख्सियत थे और उन पर कई तरह के आरोप थे. लेकिन उनकी हत्या से कंधार में स्थिरता को बड़ा झटका लग सकता है क्योंकि वह बेहद प्रभावशाली माने जाते थे. कंधार को तालिबान का गढ़ समझा जाता है. अमेरिका ने हाल में अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है.

फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सारकोजी भी अफगानिस्तान की यात्रा पर हैं. उनके साथ एक प्रेस कांफ्रेंस की शुरुआत में राष्ट्रपति करजई ने कहा, "मेरा छोटा भाई आज अपने घर में शहीद हो गया. सारे अफगान लोगों की ऐसी ही जिन्दगी है. मुझे उम्मीद है कि सारे अफगान जिस तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं, एक दिन वह खत्म होगा."

ताकतवर थे वली करजईतस्वीर: AP

अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय का कहना है कि उनकी हत्या गोली मार कर की गई. मंत्रालय के आतंकवाद विरोधी शाखा के प्रमुख गफ्फार सय्यदजादा का कहना है कि ऐसा शक है कि उनके किसी करीबी ने उनकी हत्या की है. सय्यदजादा ने कहा, "ऐसा लगता है कि वली करजई के किसी बॉडीगार्ड ने ही उनकी हत्या की है क्योंकि इस मामले में बाहर के किसी आदमी का हाथ नहीं बताया जा रहा है."

प्रांतीय काउंसिल के प्रमुख 50 साल के वली करजई पर हाल के दिनों में दो बार पहले भी जानलेवा हमले हुए हैं. उन्होंने मई 2009 में कहा था कि काबुल के रास्ते में तालिबान ने उनकी गाड़ी को उड़ाने का प्रयास किया. उस हमले में उनके एक बॉडी गार्ड की मौत हो गई. इसी तरह नवंबर 2008 में भी एक सरकारी दफ्तर में उन पर हमला हुआ. उसमें वह साफ बच गए लेकिन छह लोग मारे गए.

पावर ब्रोकर वली

राष्ट्रपति करजई के सौतेले भाई वली करजई को दक्षिणी अफगानिस्तान में बेहद अहम माना जाता रहा है. उनकी वजह से राष्ट्रपति की स्थिति इस इलाके में काफी मजबूत थी. अफगानिस्तान से तालिबान के सफाए के बाद वली करजई अमेरिका से लौटे थे. वह अमेरिका के शिकागो शहर में एक अफगान रेस्त्रां चलाते थे. समझा जाता है कि वह कंधार के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन कर उभरे.

उनकी शक्ति सिर्फ प्रांतीय काउंसिल के प्रमुख के नाते नहीं थी, बल्कि कबायली क्षेत्रों में उनके कनेक्शन की वजह से थी. उन पर भ्रष्टाचार के भी आरोप थे और यह भी कहा जाता था कि वह अफीम के सौदागरों से बड़े डील करते थे, जिसका पैसा आखिर में तालिबान तक ही पहुंचता है. हालांकि खुद वली करजई इस बात से इनकार करते आए हैं.

विदेश मंत्रालय का मानना रहा है कि वली करजई जनता की नब्ज पहचानते थे और सरकार के साथ उनके अच्छे रिश्तों के लिए मजबूत कड़ी थे. हालांकि उनकी ताकत को लेकर कई जगहों पर विवाद बना रहता था. बताया जाता है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के साथ उनके बेहद अच्छे रिश्ते रहे हैं और उन्होंने अमेरिकी अफसरों के लिए कई ठिकाने तैयार किए हैं. हालांकि राष्ट्रपति करजई हमेशा अपने सौतेले भाई का बचाव करते आए हैं.

खुफिया जानकारी लीक करने वाली वेबसाइट विकीलीक्स का दावा है कि वली करजई एक भ्रष्ट नेता थे, जो ड्रग तस्करी के काम में लगे थे.

सरकार को झटका

वली करजई की हत्या से करजई सरकार को बड़ा झटका लग सकता है क्योंकि कंधार को तालिबान का गढ़ माना जाता है और संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में जितने लोग मारे जा रहे हैं, उनमें से आधे यहीं कंधार में मारे गए हैं. हत्या के बाद तालिबान ने फौरन इसकी जिम्मेदारी ले ली है लेकिन खुद अफगान सरकार का कहना है कि उन्हें उनके जानने वाले ने मारा है.

फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सारकोजी अफगानिस्तान की यात्रा परतस्वीर: AP

अफगानिस्तान के खुफिया विभाग के एक अफसर का कहना है कि वली करजई का एक पुराना दोस्त उनसे मिलने उनके घर पहुंचा और उसकी तलाशी नहीं ली गई क्योंकि वह पुराना दोस्त था. हत्यारे का नाम सरदार मोहम्मद बताया है. हमलावर को 30 और 40 साल के बीच का बताते हुए अफसर ने कहा, "वह वली से मिलने उनके घर पहुंचा. वे दोनों एक कमरे में बात कर रहे थे. तभी उसने अपना पिस्तौल निकाल कर वली पर गोलियां चला दीं. इसके बाद वली करजई के दूसरे बॉडी गार्ड वहां पहुंचे और उन्होंने सरदार को मार गिराया."

अफगानिस्तान को दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में गिना जाता है. समझा जाता है कि वहां की जनता सरकार के साथ नहीं है, जो पश्चिमी देशों के सहारे चल रही है. ऐसे भी आरोप हैं कि अफगान जनता तालिबान की मदद करती है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः आभा एम

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