पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग पर आंदोलन के साथ हार्दिक पटेल का गुजरात की राजनीति में उदय हुआ. अब चुनावों में उनका संगठन भाजपा का विरोध कर रहा है और कांग्रेस पार्टी को समर्थन दे रहा है.
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नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर पिछले सालों में गुजरात की राजनीति को हिला देने वाले पाटीदार युवाओं के बीच उनके नेता हार्दिक पटेल के नाम पर इस विधानसभा चुनाव में मत-विभाजन देखने को मिल रहा है. जहां ग्रामीण इलाकों में हार्दिक को युवाओं का जोरदार समर्थन मिल रहा है, वहीं शहरी क्षेत्र के युवा उनको लेकर उतने उत्साही नहीं हैं.
मेहसाना, अमरेली, वडोदरा और सूरत जैसे पाटीदार बहुल इलाकों में आईएएनएस संवाददाता को 24 वर्षीय पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को लेकर समुदाय में मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली. ग्रामीण इलाकों के युवा जहां हार्दिक के प्रबल समर्थक हैं, वहीं शहरी क्षेत्र के युवा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और हार्दिक की अगुआई में राज्य में समृद्ध व जमींदार रहे पटेलों के लिए आरक्षण की मांग करने वाली पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) के बीच बंटे हुए हैं.
प्रधानमंत्री का गृह जिला
पाटीदार समुदाय और भाजपा, दोनों के गढ़ रहे मेहसाना में मेडिकल की दुकान चलाने वाले दीपक पटेल का कहना है कि समुदाय के गरीब परिवारों को आरक्षण की जरूरत है. यह बताने पर कि आरक्षण के लिए संविधान में ऊपरी सीमा 50 फीसदी तय है, ऐसे में कोई सरकार कैसे पाटीदारों को आरक्षण दे सकती है? इस सवाल पर वह कहते हैं कि कुछ न कुछ रास्ता तो निकलेगा. अगर वे कुछ रास्ता नहीं निकालेंगे तो आगे आने वाले चुनावों में वे इसका परिणाम भुगतेंगे.
मेहसाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह जिला है और गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल विधानसभा में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. नितिन को इस बार यहां कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व सांसद जीवा भाई पटेल से कड़ी चुनौती मिल रही है. सूरत में पाटीदार समुदाय के युवक अमित पटेल ने कहा, "अनामत मिले ना मिले, भाई तो भाई का ही फेवर करेगा."
हालांकि परवेज पटेल और चिराग पटेल जैसे युवा भी हैं, जिनको आरक्षण की कोई परवाह नहीं है. वडोदरा के चार्टर्ड अकाउंटेंट परवेज पटेल ने कहा, "यहां पाटीदार लोग समृद्ध हैं. समुदाय के अधिकांश लोगों का अपना व्यवसाय है और वे शिक्षा को तवज्जो नहीं देते हैं. वे व्यवसाय को प्राथमिकता देते हैं. ऐसे में उनके लिए आरक्षण का सवाल कहां है?"
कारोबारियों के लिए सुरक्षा
सूरत के व्यवसायी चिराग पटेल कहते हैं, "हम सुरक्षा चाहते हैं और भाजपा हमें सुरक्षा दे रही है. जीएसटी को लेकर हमें काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा, लेकिन उसमें भी संशोधन के उपाय किये जा रहे हैं. इससे हमें और देश को भी लंबी अवधि में फायदा होगा."
भाजपा को लेकर रोष व नाराजगी के बावजूद परवेज और चिराग जैसे बहुत सारे लोग हैं, जिन्हें खौफ है कि हाथ से सत्ता फिसलने पर बौखलाहट में यह पार्टी खून-खराबे पर न उतर आये. उन्होंने कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए भाजपा को वोट देने का संकल्प लिया है, क्योंकि उनको लगता है कि भाजपा के हारने पर वे खुद को असुरक्षित महसूस करेंगे.
भाजपा और पाटीदारों में मुकाबला
मेहसाना, सूरत और अमरेली के कई विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा और पाटीदारों के बीच जबरदस्त मुकाबला देखा जा रहा है. पाटीदारों में विभिन्न उपजातियां भी हैं, जिनमें लेउवा और कदवा का वर्चस्व है. ये दोनों खुद को भगवान राम के पुत्र लव और कुश के वंशज मानते हैं. चूंकि हार्दिक पटेल कदवा पटेल हैं, इसलिए वह उनको संगठित करने में कामयाब रहे हैं. उन्होंने कई गांवों में पाटीदार युवाओं की कमेटियां बनाई हैं.
सौराष्ट्र में उत्तर से दक्षिण तक कई सीटों पर पाटीदारों का प्रभाव है और पिछले चुनाव में यहां भाजपा को जबरदस्त बहुमत मिला था, लेकिन इस बार समुदाय के कई प्रमुख लोग हार्दिक के साथ खड़े हैं, जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है. दूसरे चरण का मतदान 14 दिसंबर को है. नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे. गुजरात चुनाव के कारण ही हिमाचल प्रदेश में मतगणना एक माह से रुकी हुई है, जो इसी दिन होगी.
आईएएनएस
कितने राज्यों में है बीजेपी और एनडीए की सरकार
केंद्र में 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद देश में भारतीय जनता पार्टी का दायरा लगातार बढ़ा है. डालते हैं एक नजर अभी कहां कहां बीजेपी और उसके सहयोगी सत्ता में हैं.
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उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में फरवरी-मार्च 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया और 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 325 सीटें जीतीं. इसके बाद फायरब्रांड हिंदू नेता योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की गद्दी मिली.
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त्रिपुरा
2018 में त्रिपुरा में लेफ्ट का 25 साल पुराना किला ढहाते हुए बीजेपी गठबंधन को 43 सीटें मिली. वहीं कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्कसिस्ट) ने 16 सीटें जीतीं. 20 साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद मणिक सरकार की सत्ता से विदाई हुई और बिप्लव कुमार देब ने राज्य की कमान संभाली.
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मध्य प्रदेश
शिवराज सिंह चौहान को प्रशासन का लंबा अनुभव है. उन्हीं के हाथ में अभी मध्य प्रदेश की कमान है. इससे पहले वह 2005 से 2018 तक राज्य के मख्यमंत्री रहे. लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस सत्ता में आई. लेकिन दो साल के भीतर राजनीतिक दावपेंचों के दम पर शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता में वापसी की.
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उत्तराखंड
उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी बीजेपी का झंडा लहर रहा है. 2017 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य की सत्ता में पांच साल बाद वापसी की. त्रिवेंद्र रावत को बतौर मुख्यमंत्री राज्य की कमान मिली. लेकिन आपसी खींचतान के बीच उन्हें 09 मार्च 2021 को इस्तीफा देना पड़ा.
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बिहार
बिहार में नीतीश कुमार एनडीए सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. हालिया चुनाव में उन्होंने बीजेपी के साथ मिल कर चुनाव लड़ा. इससे पिछले चुनाव में वह आरजेडी के साथ थे. 2020 के चुनाव में आरजेडी 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी. लेकिन 74 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही बीजेपी ने नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ मिलकर सरकार बनाई, जिसे 43 सीटें मिलीं.
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गोवा
गोवा में प्रमोद सावंत बीजेपी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने मनोहर पर्रिकर (फोटो में) के निधन के बाद 2019 में यह पद संभाला. 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद पर्रिकर ने केंद्र में रक्षा मंत्री का पद छोड़ मुख्यमंत्री पद संभाला था.
पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में 2017 में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी है जिसका नेतृत्व पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी एन बीरेन सिंह कर रहे हैं. वह राज्य के 12वें मुख्यमंत्री हैं. इस राज्य में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार नहीं बना पाई.
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हिमाचल प्रदेश
नवंबर 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज कर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में वापसी की. हालांकि पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी घोषित किए गए प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए. इसके बाद जयराम ठाकुर राज्य सरकार का नेतृत्व संभाला.
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कर्नाटक
2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कर्नाटक में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी. 2018 में वो बहुमत साबित नहीं कर पाए. 2019 में कांग्रेस-जेडीएस के 15 विधायकों के इस्तीफे होने के कारण बीेजेपी बहुमत के आंकड़े तक पहुंच गई. येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं.
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हरियाणा
बीजेपी के मनोहर लाल खट्टर हरियाणा में मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने 2014 के चुनावों में पार्टी को मिले स्पष्ट बहुमत के बाद सरकार बनाई थी. 2019 में बीजेपी को हरियाणा में बहुमत नहीं मिला लेकिन जेजेपी के साथ गठबंधन कर उन्होंने सरकार बनाई. संघ से जुड़े रहे खट्टर प्रधानमंत्री मोदी के करीबी समझे जाते हैं.
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गुजरात
गुजरात में 1998 से लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. प्रधानमंत्री पद संभालने से पहले नरेंद्र मोदी 12 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. फिलहाल राज्य सरकार की कमान बीजेपी के विजय रुपाणी के हाथों में है.
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असम
असम में बीजेपी के सर्बानंद सोनोवाल मुख्यमंत्री हैं. 2016 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 86 सीटें जीतकर राज्य में एक दशक से चले आ रहे कांग्रेस के शासन का अंत किया. अब राज्य में फिर विधानसभा चुनाव की तैयारी हो रही है.
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अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू मुख्यमंत्री हैं जो दिसंबर 2016 में भाजपा में शामिल हुए. सियासी उठापटक के बीच पहले पेमा खांडू कांग्रेस छोड़ पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश में शामिल हुए और फिर बीजेपी में चले गए.
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नागालैंड
नागालैंड में फरवरी 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में एनडीए की कामयाबी के बाद नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेता नेफियू रियो ने मुख्यमंत्री पद संभाला. इससे पहले भी वह 2008 से 2014 तक और 2003 से 2008 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं.
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मेघालय
2018 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद सरकार बनाने से चूक गई. एनपीपी नेता कॉनराड संगमा ने बीजेपी और अन्य दलों के साथ मिल कर सरकार का गठन किया. कॉनराड संगमा पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के बेटे हैं.
तस्वीर: IANS
सिक्किम
सिक्किम की विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी का एक भी विधायक नहीं है. लेकिन राज्य में सत्ताधारी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा है. इस तरह सिक्किम भी उन राज्यों की सूची में आ जाता है जहां बीजेपी और उसके सहयोगियों की सरकारें हैं.
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मिजोरम
मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है. वहां जोरामथंगा मुख्यमंत्री हैं. बीजेपी की वहां एक सीट है लेकिन वो जोरामथंगा की सरकार का समर्थन करती है.
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2019 की टक्कर
इस तरह भारत के कुल 28 राज्यों में से 16 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी या उसके सहयोगियों की सरकारें हैं. हाल के सालों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्य उसके हाथ से फिसले हैं. फिर भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के आगे कोई नहीं टिकता.