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हार्दिक के नाम पर बंटे हैं ग्रामीण व शहरी पाटीदार

११ दिसम्बर २०१७

पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग पर आंदोलन के साथ हार्दिक पटेल का गुजरात की राजनीति में उदय हुआ. अब चुनावों में उनका संगठन भाजपा का विरोध कर रहा है और कांग्रेस पार्टी को समर्थन दे रहा है.

Indien Protestmarsch Hardik Patel
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Panthaky

नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर पिछले सालों में गुजरात की राजनीति को हिला देने वाले पाटीदार युवाओं के बीच उनके नेता हार्दिक पटेल के नाम पर इस विधानसभा चुनाव में मत-विभाजन देखने को मिल रहा है. जहां ग्रामीण इलाकों में हार्दिक को युवाओं का जोरदार समर्थन मिल रहा है, वहीं शहरी क्षेत्र के युवा उनको लेकर उतने उत्साही नहीं हैं.

मेहसाना, अमरेली, वडोदरा और सूरत जैसे पाटीदार बहुल इलाकों में आईएएनएस संवाददाता को 24 वर्षीय पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को लेकर समुदाय में मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली. ग्रामीण इलाकों के युवा जहां हार्दिक के प्रबल समर्थक हैं, वहीं शहरी क्षेत्र के युवा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और हार्दिक की अगुआई में राज्य में समृद्ध व जमींदार रहे पटेलों के लिए आरक्षण की मांग करने वाली पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) के बीच बंटे हुए हैं.

प्रधानमंत्री का गृह जिला

पाटीदार समुदाय और भाजपा, दोनों के गढ़ रहे मेहसाना में मेडिकल की दुकान चलाने वाले दीपक पटेल का कहना है कि समुदाय के गरीब परिवारों को आरक्षण की जरूरत है. यह बताने पर कि आरक्षण के लिए संविधान में ऊपरी सीमा 50 फीसदी तय है, ऐसे में कोई सरकार कैसे पाटीदारों को आरक्षण दे सकती है? इस सवाल पर वह कहते हैं कि कुछ न कुछ रास्ता तो निकलेगा. अगर वे कुछ रास्ता नहीं निकालेंगे तो आगे आने वाले चुनावों में वे इसका परिणाम भुगतेंगे.

तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Solanki

मेहसाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह जिला है और गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल विधानसभा में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. नितिन को इस बार यहां कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व सांसद जीवा भाई पटेल से कड़ी चुनौती मिल रही है. सूरत में पाटीदार समुदाय के युवक अमित पटेल ने कहा, "अनामत मिले ना मिले, भाई तो भाई का ही फेवर करेगा."

हालांकि परवेज पटेल और चिराग पटेल जैसे युवा भी हैं, जिनको आरक्षण की कोई परवाह नहीं है. वडोदरा के चार्टर्ड अकाउंटेंट परवेज पटेल ने कहा, "यहां पाटीदार लोग समृद्ध हैं. समुदाय के अधिकांश लोगों का अपना व्यवसाय है और वे शिक्षा को तवज्जो नहीं देते हैं. वे व्यवसाय को प्राथमिकता देते हैं. ऐसे में उनके लिए आरक्षण का सवाल कहां है?"

कारोबारियों के लिए सुरक्षा

सूरत के व्यवसायी चिराग पटेल कहते हैं, "हम सुरक्षा चाहते हैं और भाजपा हमें सुरक्षा दे रही है. जीएसटी को लेकर हमें काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा, लेकिन उसमें भी संशोधन के उपाय किये जा रहे हैं. इससे हमें और देश को भी लंबी अवधि में फायदा होगा."

तस्वीर: DW/B. Singh

भाजपा को लेकर रोष व नाराजगी के बावजूद परवेज और चिराग जैसे बहुत सारे लोग हैं, जिन्हें खौफ है कि हाथ से सत्ता फिसलने पर बौखलाहट में यह पार्टी खून-खराबे पर न उतर आये. उन्होंने कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए भाजपा को वोट देने का संकल्प लिया है, क्योंकि उनको लगता है कि भाजपा के हारने पर वे खुद को असुरक्षित महसूस करेंगे.

भाजपा और पाटीदारों में मुकाबला

मेहसाना, सूरत और अमरेली के कई विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा और पाटीदारों के बीच जबरदस्त मुकाबला देखा जा रहा है. पाटीदारों में विभिन्न उपजातियां भी हैं, जिनमें लेउवा और कदवा का वर्चस्व है. ये दोनों खुद को भगवान राम के पुत्र लव और कुश के वंशज मानते हैं. चूंकि हार्दिक पटेल कदवा पटेल हैं, इसलिए वह उनको संगठित करने में कामयाब रहे हैं. उन्होंने कई गांवों में पाटीदार युवाओं की कमेटियां बनाई हैं.

सौराष्ट्र में उत्तर से दक्षिण तक कई सीटों पर पाटीदारों का प्रभाव है और पिछले चुनाव में यहां भाजपा को जबरदस्त बहुमत मिला था, लेकिन इस बार समुदाय के कई प्रमुख लोग हार्दिक के साथ खड़े हैं, जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है. दूसरे चरण का मतदान 14 दिसंबर को है. नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे. गुजरात चुनाव के कारण ही हिमाचल प्रदेश में मतगणना एक माह से रुकी हुई है, जो इसी दिन होगी.

आईएएनएस

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