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हार्मोन इंजेक्शन से महिलाओं को ट्यूमर का खतरा

७ नवम्बर २०११

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के दौरान महिलाओं के अंडाशय में हार्मोन का इंजेक्शन देने से ओवेरियन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है. आईवीएफ कृत्रिम गर्भाधान का एक तरीका है, जिसे टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक के नाम से भी जानते हैं.

टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीकतस्वीर: picture alliance / dpa

नीदरलैंड्स कैंसर संस्थान के नए शोध में बताया गया है कि आईवीएफ ट्रीटमेंट के कारण बॉर्डरलाइन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है. यूरोपीय सोसाइटी ह्यूमन रिप्रोडक्शन एंड एम्ब्रियोलॉजी की मासिक शोध पत्रिका ह्यूमन रिप्रोडक्शन में छपे इस शोध में यह जानकारी दी गई है.

बॉर्डरलाइन ट्यूमर ओवेरियन कैंसर से जुड़े हैं. समस्या यह है कि इन्हें निश्चित तौर पर कैंसरकारक ट्यूमर की श्रेणी में निश्चित तौर पर नहीं रखा जा सकता. समस्या यह है कि इस तरह के ट्यूमर का पता लगने के बाद निश्चिंत भी नहीं रहा जा सकता.

हैम्बर्ग में रिप्रोडक्टिव मेडिसिन के जानकार मिषाएल लुडविग कहते हैं,"बॉर्डरलाइन ट्यूमर अक्सर दोनों तरफ होते हैं और इनका ऑपरेशन जरूरी होता है जिसमें अंडाशय भी हटाना पड़ता है."

अतिरिक्त हार्मोन्स से ट्यूमर का खतरातस्वीर: AP Graphics

हालांकि मिषाएल लुडविग यह भी कहते हैं इन ट्यूमर्स के कैंसर में तब्दील होने की आशंका नहीं के बराबर होती है. आईवीएफ उन दंपत्तियों के लिए आखिरी उपाय होता है जो संतानहीन हैं. इस प्रक्रिया में महिलाओं के अंडाशय में हार्मोन डाले जाते हैं ताकि ज्यादा अंडे बन सकें.

नीदरलैंड्स के शोधकर्ताओं ने इस शोध के लिए 25 हजार 152 महिलाओं की जांच की जिनमें से 19 हजार 146 महिलाओं को 1983 से 1995 के बीच आईवीएफ के दौरान हार्मोन का इंजेक्शन दिया गया था.

शोधकर्ताओं ने पाया कि आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने वाली महिलाओं में ट्यूमर होने की संख्या ज्यादा थी. आईवीएफ के 77 मामलों में से 61 को ओवेरियन ट्यूमर हुआ. बाकी 31 मामले बॉर्डरलाइन ओवेरियन ट्यूमर के थे जिनके कैंसर में बदलने की आशंका होती है. इस तरह के ट्यूमर जानलेवा साबित हो सकते हैं और इनके लिए ऑपरेशन जरूरी होता है.

शोधकर्ताओं ने महिलाओं की उम्र, उनके बच्चे हैं या नहीं और कुछ अन्य तथ्यों पर नजर डालने के बाद पाया कि आईवीएफ ग्रुप में ओवेरियन ट्यूमर का खतरा दोगुना हो गया.

रिपोर्टः डीपीए, एएफपी/आभा मोंढे

संपादनः ए कुमार

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