लखनऊ की फल मंडी मलीहाबादी आम के लिए मशहूर तो है ही, इलाहाबाद के अमरूद के लिए भी जानी जाती है. इलाहाबादी अमरूद अंदर से लाल निकलता है. यह अमरूद अपने खास स्वाद और अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. सीजन आता है तो हर तरफ यही अमरूद बिकता दिखता है. लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि सर्दी की आमद पर लखनऊ में सड़क किनारे इलाहाबादी अमरूद की जगह कश्मीर का सेब बिकता दिख रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह सेब अमरूद के भाव बिक रहा है.
लखनऊ के बाजार हिमाचल के सेब के आदी हैं. इस बार कश्मीर से सेब इसलिए आ रहा है क्योंकि वहां पर पिछले कई महीनों से कर्फ्यू चल रहा है और यह वह सेब है जो विदेशों में निर्यात किया जाता है. कर्फ्यू के चलते वहां का सेब एक्सपोर्ट नहीं हो पा रहा है तो आस पास के बाजारों में उतार दिया गया है.
फल आढ़ती दीपू कहते हैं, "आजकल लखनऊ में रोजाना दस बारह ट्रक माल आ रहा है. कानपुर में करीब 25 ट्रक आ रहा है, इसी तरह मेरठ में 15-20, वाराणसी में करीब 8-10 ट्रक सेब के आ रहे हैं. कुल मिलाकर औसतन पूरे उत्तर प्रदेश में रोजाना इस सेब के 150 ट्रक आ रहे हैं." एक ट्रक में औसतन 15 किलो वाली 150 पेटियां होती हैं. दीपू बताते हैं कि यह कच्चे माल का धंधा है इसलिए इसकी लिखा पढ़ी बहुत ज्यादा नहीं की जाती है. अधिकतर काम मौखिक होते हैं.
एक अन्य आढ़ती राजू ने बताया कि इस बार जो सेब दिल्ली से लेकर लखनऊ तक सड़कों पर 40 रुपए से 70 रुपए किलो बिक रहा है वह सामान्य सीजन में 200 रुपए प्रतिकिलो से ऊपर बिका करता था. अमरूद भी करीब 40 रुपए से शुरू होकर 60 रुपए प्रति किलो तक जाता था. उनके मुताबिक इतनी उम्दा क्वॉलिटी का सेब सड़कों पर ठेले पर बिकेगा, उन्होंने सोचा भी नहीं था.
उन्होंने बताया कि दिल्ली की आजादपुर मंडी से यह सेब दक्षिण दिल्ली के पॉश इलाकों में ही सप्लाई होता था. कश्मीर के बिगड़े हालात के कारण दिल्ली के व्यापारियों ने यह माल दिल्ली सहित उत्तर भारत में उतारा है. उनके अनुसार यह सेब क्वॉलिटी के हिसाब से काफी अच्छा और स्वादिष्ट होता है.
चाहे सलाद हो, फल या फिर पिज्जा और पास्ता, काली मिर्च हर चीज का स्वाद बढ़ाती है. और यह सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होती है. जानिए काली मिर्च के 10 फायदे..
तस्वीर: Fotolia/Topnatकाली मिर्च इतना फायदा पहुंचाती है कि खांसी जुकाम से राहत दिलाने वाले कफ सिरप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. रात को सोने से पहले एक चम्मच शहद और अदरक के रस के साथ चुटकी भर काली मिर्च लेने से कफ कम होता है. चाय में मिला कर पीने से भी फायदा मिलता है.
तस्वीर: picture alliance/Bodo Marksयूनिवर्सिटी ऑफ मिशीगन द्वारा की गयी एक स्टडी के अनुसार काली मिर्च में पिपेरीन नाम का रसायन होता है, जो कैंसर से लड़ने में मददगार होता है. रिपोर्ट के अनुसार अगर काली मिर्च को हल्दी के साथ लिया जाए, तो इसका असर और भी ज्यादा होता है. खास कर महिलाओं में यह ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम के लिए अच्छा है.
तस्वीर: Fotolia/photocrewकाली मिर्च में मौजूद पिपेरीन के कारण रक्तसंचार बढ़ता है. इससे मांसपेशियों के दर्द से निजात मिलता है. तेल को हल्का गर्म कर के उसमें काली मिर्च मिलाएं और पीठ और कंधों की इससे मालिश करें. गठिया रोग में भी काली मिर्च काफी फायदेमंद साबित होती है.
तस्वीर: Lars Zahner/colourboxकाली मिर्च के कारण पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड ज्यादा पैदा होता है, जो हाजमे में मददगार होता है. इससे पेट में दर्द, पेट के फूलने और कब्ज में भी राहत मिलती है. अगर आपको एसिडिटी और गैस की समस्या है, तो लाल मिर्च को छोड़ दें और काली मिर्च का इस्तेमाल शुरू करें.
तस्वीर: Colourbox/Artem Furmanमोटी पिसी काली मिर्च को चीनी और तेल के साथ मिला कर, इसे चेहरा पर मलें. इससे ना केवल चेहरे की गंदगी हटेगी, बल्कि काली मिर्च के कारण रक्तसंचार भी तेज होता है और चेहरे पर निखार आता है.
तस्वीर: Colourbox/Serghei Starus2010 में हुए एक शोध के मुताबिक काली मिर्च शरीर की वसा को कम करने का भी काम करती है. इससे पाचन प्रक्रिया तेज होती है और कम समय में अधिक कैलोरी खर्च होती है. साथ ही यह शरीर से टॉक्सिन्स को निकाल बाहर करने में भी कारगर है.
तस्वीर: Colourbox/Erwin Wodickaअगर आपको रूसी की समस्या है, तो दही में काली मिर्च मिला कर इससे सिर की मालिश करें. आधे घंटे बाद पानी से इसे धो लें. तुरंत शैंपू का इस्तेमाल ना करें. इससे रूसी भी कम होगी और बाल भी चमकेंगे. ध्यान रखें कि बहुत ज्यादा काली मिर्च ना डालें, नहीं तो जलन होने लगेगी.
तस्वीर: Colourbox/Lars Zahnerमसूड़ों में सूजन और सांस में बदबू की समस्या हो, तो एक चुटकी नमक और एक चुटकी काली मिर्च को पानी में मिला कर इसे मसूड़ों पर मलें. पानी की जगह अगर लौंग का तेल इस्तेमाल करें तो असर और भी जल्द होगा. यानि काली मिर्च का इस्तेमाल करें और मुस्कराहट बरकरार रखें.
तस्वीर: Fotolia/Ridoकाली मिर्च के इस्तेमाल से शरीर में सेरोटोनिन हार्मोन बनता है, जो अच्छे मूड के लिए जिम्मेदार होता है. सेरोटोनिन की मात्रा बढ़ने से डिप्रेशन में भी फायदा मिलता है. इसलिए अपने रोजमर्रा के खाने में काली मिर्च का इस्तेमाल करें और खुशमिजाज रहें.
तस्वीर: hikrcn/Fotoliaहर फीकी चीज में स्वाद डाल देने का जादू काली मिर्च कर सकती है. पश्चिमी देशों में अक्सर काफी फीका खाना खाया जाता है. ऐसे में अगर काली मिर्च मिल जाए, तो मसालों की कमी नहीं खलती.
तस्वीर: Fotolia/Jiri Hera अपने दशहरी आमों के लिए मशहूर लखनऊ की आम पट्टी मलीहाबाद के आढ़ती मोहम्मद रिजवान का कहना है कि इस सर्दी के आगमन पर जो अमरूद आना चाहिए था वह इसीलिए नहीं आ पा रहा है क्योंकि दिहाड़ी पर लगने वाले ठेलों ने अमरूद की जगह लगभग उसी दाम में मिल रहे कश्मीर के सेब को बेचना शुरू कर दिया है.
इलाहाबादी अमरूद और मलीहाबाद के अमरूद को मिलाकर पूरे उत्तर प्रदेश और दिल्ली को मिलाकर करीब डेढ़ सौ क्विटंल अमरूद की प्रति सप्ताह खपत होती रही है. लेकिन इस बार अभी तक 40 क्विंटल भी नहीं हो पाया है. उनके मुताबिक जो लोग अमरूद खाते थे उन्हें लगभग उन्हीं दामों पर सेब मिल रहा है तो अमरूद का बाजार तो खराब होगा ही. रिजवान कहते हैं कि कश्मीर के सेब पर प्रतिकिलो करीब 10 रुपए की बचत हो रही है जिसमें फुटकर वालों को पहली बार पांच रुपए प्रतिकिलो का फायदा हो रहा है.
फल और सब्जियां सेहत के लिए अच्छी होती हैं लेकिन अगर इन्हें लापरवाही से खाया या पकाया जाए तो शरीर को भारी नुकसान पहुंच सकता है. जानें, खाने की ऐसी चीजों को.
तस्वीर: Colourbox/J. Sapicएक सेब रोज, यह सलाह हर कोई देता है. लेकिन इसके बीज नहीं खाने चाहिए. सेब के बीज में एमिगडलिन होता है. पाचक रसों से मिलने पर यह हाइड्रोजन साइनाइड बना सकता है. इसीलिए बेहतर है कि सेब खाएं और उसके बीज नहीं.
तस्वीर: Fotolia/Mara Zemgalieteबहुत ही लंबे समय तक रखे गए आलू को खाने से बचें. आलू के अंकुर में विषैला ग्लाइकोएल्केलायड होता है. कच्चे और हरे आलू को भी न खाएं. उसमें सोलैनिन होता है जो सेहत के लिए अच्छा नहीं होता.
तस्वीर: International Potato Centerजापान में फुगु मछली को लजीज माना जाता है. लेकिन इसे पकाने में बेहद सावधानी बरतनी पड़ती है. इस मछली के लिवर में टेट्रोडोटॉक्सिन होता है. यह साइनाइड से 1,200 गुना ज्यादा जहरीला होता है.
तस्वीर: picture alliance/Arco Imagesहरे टमाटर नहीं खाने चाहिए. इनमें भी सोलैनिन होता है. इसका सेवन करने से सिरदर्द और उल्टी की शिकायत हो सकती है.
तस्वीर: fotoliaइसकी चुटकी भर मात्रा नुकसान नहीं पहुंचाती. लेकिन अगर एक बार में चार ग्राम से ज्यादा जायफल खाया जाए तो नाक बहने और सिरदर्द होने की समस्या हो सकती है. असल में जायफल में एलेमिसिन, मिरिस्टिसिन और सैफरोल तत्व होते हैं जो नशीले भी होते हैं.
तस्वीर: Colourboxबहुत ज्यादा मात्रा में जंगली बादाम खाने से बचना चाहिए. ज्यादा सेवन से शरीर पर विषैला असर होता है. बादाम अगर कड़वा हो, तो ना खाएं.
तस्वीर: Fotoliaइसके कई फायदे हैं. लेकिन छोंक लगाने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. 180 डिग्री से ज्यादा गर्म होने पर ओलिव ऑयल के तत्व विषैले कपाउंड में बदलने लगते हैं.
तस्वीर: Fotolia/SunnySब्रेड कई प्रकार की होती है. इन्हें आटे या मैदे से बनाया जाता है. लेकिन गूंथे हुए मैदे पर खमीर चढ़ने के दौरान पोटेशियम ब्रोमेट बनता है. हालांकि ब्रेड बनाने के दौरान यह ब्रोमेट ब्रोमाइड में बदल जाता है. लेकिन अगर ब्रेड बनाने में सावधानी न बरती जाए तो ब्रोमेट बरकरार रहता है और ट्यूमर जैसी घातक बीमारी दे सकता है.
तस्वीर: Fotolia/rockpix सेब के कारोबार का एक फायदा यह भी है कि वह अमरुद के मुकाबले देर तक खराब नहीं होता. लखनऊ के सिविल अस्पताल के पास सेब का ठेला लगाने वाले रघु के मुताबिक इस सेब को बेचने में अमरूद से अधिक फायदा है क्योंकि यह हफ्ते भर से भी ज्यादा चल जाता है और अमरूद तो तीन चार दिन में गलने लगता है. इसलिए सेब को बेचने में फायदा ही फायदा है. लखनऊ के डॉक्टर समरजीत कहते हैं कि कश्मीरी सेब सस्ते मिलने से मरीजों को खास तौर से फायदा हो रहा है. पहले जो सेब बाजार में बिकता था उसकी क्वॉलिटी इतनी अच्छी नहीं होती थी. यह सेब काफी अच्छा है.