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हाल के सालों की प्रमुख रेल दुर्घटनाएं

१९ जुलाई २०१०

यूं तो भारत की रेल व्यवस्था दुर्घटनाओं के मामलों में बदनाम रही है, लेकिन 2007-08 में स्थिति कुछ बेहतर रहने के बाद 2009 से एक बार फिर दुर्घटनाओं का तांता लग गया है.

तस्वीर: AP

इस वर्ष यह छठी बड़ी रेल दुर्घटना है. इससे पहले दो जनवरी को गहरे कुहासे के चलते उत्तर प्रदेश में तीन दुर्घटनाएं हुई थीं, जिनमें पांच गाड़ियां शामिल थीं और 15 लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा 16 जनवरी को कुहासे के कारण व उत्तर प्रदेश में ही हुई एक दुर्घटना में कालिंदी एक्सप्रेस व श्रमशक्ति एक्सप्रेस गाड़ियां टकरा गई थीं, जिसमें तीन लोग मारे गए थे.

लेकिन वर्ष की अब तक की सबसे बड़ी दुर्घटना पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर ज़िले में 28 मई को हुई, जिसमें हावड़ा कुरला ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस पटरी से उतर जाने के कारण 148 लोगों की मौत हो गई थी. इस दुर्घटना के लिए माओवादियों को ज़िम्मेदार ठहराया गया था. रविवार रात हुई दुर्घटना के लिए भी रेलमंत्री ममता बनर्जी ने तोड़फ़ोड़ की आशंका जताई है.

2009 में पहली बड़ी दुर्घटना 21 अक्टूबर को हुई, जब मथुरा के पास बनजाना में गोआ एक्सप्रेस मेवाड़ एक्सप्रेस से टकरा गई. इसमें 22 लोगों की मौत हुई थी और 26 लोग घायल हुए. 14 नवंबर को जयपुर के पास मंदोर एक्सप्रेस पटरी से उतर जाने के कारण सात लोगों की मौत हुई और 60 लोग घायल हो गए थे.

2007-08 में कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई, लेकिन 2006 में तीन दुर्घटनाएं हुई थीं. 18 अगस्त को सिकंदराबाद के नज़दीक चेन्नई-हैदराबाद एक्सप्रेस की दो बोगियों में आग लग गई थी. 9 नवंबर को पश्चिम बंगाल में हुई दुर्घटना में 40 लोगों की मौत हो गई थी व 15 घायल हो गए थे. 1 दिसंबर को बिहार के भागलपुर के पास एक चलती गाड़ी के ऊपर ब्रिज का मलबा गिरने से हुई दुर्घटना में 35 लोग मारे गए थे और 17 लोग घायल हो गए थे.

दुर्घटनाओं की दृष्टि से 2002 सबसे दुर्भाग्यजनक था, जब 6 दुर्घटनाएं हुई थीं. एक भीषण दुर्घटना में बिहार के औरंगाबाद ज़िले में राजधानी एक्सप्रेस की बोगी नदी में गिर जाने से सौ यात्रियों की मौत हो गई थी.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: एस गौड़

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