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हिंदी फिल्में युवाओं को बिगाड़ रही हैं

४ नवम्बर २०१०

पाकिस्तान के सांसदों का कहना है कि देश में हिंदी फिल्मों की बाढ़ आ गई है और इन्हें देख कर युवाओं का दिमाग खराब हो रहा है. वैसे सरकार का मानना है कि अगर बॉलीवुड सिनेमा पर रोक लगा दी तो देश की सिनेमा संस्कृति मर जाएगी.

तस्वीर: Eros International

पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली में बुधवार को कुछ सांसदों ने हिंदी फिल्मों का मसला उठाया. इन सांसदों ने स्पीकर से कहा कि सरकार उनकी चिंता दूर करने के लिए कदम उठाए. मुख्य विपक्षी पार्टी पीएमएल(एन) की ताहिरा औरंगजेब ने आरोप लगाया,"बच्चे हिंदी फिल्में देख कर उनकी भाषा सीख रहे हैं और वही भाषा आम तौर पर बातचीत में इस्तेमाल की जा रही है." ताहिरा ने संस्कृति मामलों के मंत्री पीर आफताब हुसैन जिलानी से पूछा कि क्या भारत में भी पाकिस्तानी फिल्में इतने बड़े पैमाने पर दिखाई जाती हैं.

तस्वीर: AP

सांसदों ने पाकिस्तान में बड़ी संख्या में विदेशों से अवैध रूप से आ रही फिल्मों पर भी सवाल उठाया. सत्ताधारी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सांसद जिलानी ने माना है कि पाक फिल्मों को भारत में उतना पसंद नहीं किया जाता. जिलानी ने कहा,"ये बराबरी का सौदा नहीं है लेकिन अगर विदेशी, खासतौर से हिंदी फिल्मों पर पाबंदी लगाई गई तो देश की सिनेमा संस्कृति मर जाएगी." जिलानी का कहना है कि इन फिल्मों को चलाने की अनुमति इसलिए दी जा रही है कि पाकिस्तान में सिनेमा जिंदा रहे. उन्होंने कहा, "अगर ऐसा नहीं किया गया तो सिनेमा हॉल मैरेज हाउस और दूसरे कारोबारी इमारतों में तब्दील हो जाएंगे."

विदेशी फिल्मों के ज्यादा दिखाने से सिनेमा की दुनिया में एक प्रतियोगिता सामने आई है और स्थानीय प्रोड्यूसर भी अच्छी फिल्में बनाने के बारे में सोच रहे हैं. जिलानी ने कबूल किया,"अवैध रूप से फिल्में देश में आ रही हैं और उससे स्थानीय प्रोड्यूसर नुकसान उठा रहे हैं लेकिन इन पर रोक लगाने का काम सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का है."

एक सवाल के जवाब में जिलानी ने ये भी कहा कि उनका मंत्रालय पाकिस्तानी कलाकारों को विदेशी प्रोडक्शन हाउस के साथ काम करने में कोई मदद नहीं दे रहा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः उ भ

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