सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं को आठ राज्यों में अल्पसंख्यक का दर्जा दिये जाने से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि वे इस मामले में केंद्र सरकार को दिशानिर्देश दे.
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सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस रंजन गगोई की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि अल्पसंख्यकों से जुड़े मसले को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा तय किया जाना चाहिये. साथ ही याचिकाकर्ता को आयोग का रुख करना चाहिये. इस जनहित याचिका में आठ राज्यों, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, लक्ष्द्वीप, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में हिंदुओं को "अल्पसंख्यक" दर्जा देने का अनुरोध किया गया था. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, इस याचिका को वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल किया था और कहा था कि इन राज्यों में हिंदुओं की संख्या बेहद ही कम है. लेकिन राज्य स्तर पर इनकी पहचान न होने के कारण, साथ ही अधिसूचना में नाम न होने के चलते इन्हें अल्पसंख्यक होने का लाभ नहीं मिल रहा है. याचिकाकर्ता के मुताबिक, "केंद्र सरकार हर साल जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय के तकरीबन 20 हजार छात्रों को तकनीकी शिक्षा हासिल करने के लिए स्कॉलरशिप देती है. जम्मू कश्मीर में तकरीबन 68.03 फीसदी मुसलमान हैं और सरकार यहां 753 स्कॉलरशिप में से 717 स्कॉलरशिप मुस्लिम छात्रों को देती है. इसमें हिंदू छात्रों को कुछ नहीं दिया जाता."
साल 1993 की केंद्रीय अधिसूचना के मुताबिक, देश में मुस्लिम, ईसाई, सिक्ख, बौद्ध और पारसी अल्पसंख्यक हैं. लेकिन साल 2014 में जारी की गयी नयी अधिसूचना में जैन समुदाय को भी अल्पसंख्यक दर्जा दिया गया.
सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश बनेगा भारत
साल 2050 तक भारत दुनिया में सबसे ज्यादा मुसलमान आबादी वाली देश होगा. अमेरिकी थिंक-टैंक पिऊ (PEW) के एक शोध के मुताबिक भारत में साल 2050 तक मुसलमानों की कुल जनसंख्या बढ़कर 31.1 करोड़ तक हो जायेगी.
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होगी दुनिया में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी
वर्तमान में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी इंडोनेशिया में है. लेकिन पिऊ शोध के मुताबिक 2050 तक भारत इस मामले में सबसे ऊपर होगा और दुनिया के 11 फीसदी मुसलमान भारत में होंगे जबकि उनकी आबादी 31.1 करोड़ हो सकती है. वहीं 2050 तक भारत में हिंदुओं की आबादी बढ़ कर 1.3 अरब होने का अनुमान है.
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जनसंख्या बढ़ने के कारण
शोध ने भारत में बढ़ती आबादी के लिये युवाओं की माध्यमिक आयु और उच्च जन्म दर को मुख्य वजह बताया गया है. मुस्लिमों के लिए माध्यमिक आयु 22 वर्ष है जो हिंदुओं के लिए 26 साल और ईसाइयों के लिए 28 वर्ष है.
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औसत बच्चे
भारत में मुसलमान महिलाओं के औसतन 3.2 बच्चे हैं वहीं हिंदू महिलाओं में यह औसत 2.5 बच्चों का है. ईसाइयों में प्रति महिला 2.3 बच्चों का औसत है.
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आबादी में हिस्सेदारी
भारत की मुस्लिम आबादी में तेजी से वृद्धि हुई है. साल 2010 में कुल जनसंख्या में 14.4 फीसदी हिस्सेदारी मुसलमानों की थी जो साल 2050 तक बढ़कर 18.4 फीसदी तक पहुंच जायेगी. लेकिन इसके बाद भी हर चार में तीन व्यक्ति हिंदू ही होंगे.
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घटेंगे ईसाई
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2050 तक भारत में ईसाइयों की जनसंख्या घट सकती है. फिलहाल भारत में ईसाई आबादी 2.5 फीसदी है जो साल 2050 तक घटकर 2.3 फीसदी तक हो सकती है.
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हिंदू की संख्या
2050 तक भारत की कुल हिंदू आबादी तुलनात्मक रूप से भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, नाइजीरिया और बांग्लादेश की कुल मुस्लिम आबादी से भी अधिक रहेगी.
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तेजी से वृद्धि
पिऊ रिसर्च सेंटर ने साफ किया है कि मुसलमान दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला धार्मिक समूह है. शोध के मुताबिक मुस्लिम आबादी, पूरी दुनिया की कुल आबादी की तुलना में अधिक तेजी से वृद्धि करेगी.