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हिचकोले से उबरा मंगलयान

१२ नवम्बर २०१३

एक हिचकोले से वैज्ञानिकों और करोड़ों भारतीयों को चिंता में डालने के बाद मंगलयान अब बढ़िया ढंग से अंतरिक्ष की यात्रा पर आगे बढ़ रहा है. मंगलवार को मंगलयान बेहद तेज रफ्तार हासिल कर धरती से 1,18,000 किलोमीटर दूर पहुंच गया.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने सोमवार की नाकामी को पीछे छोड़ते हुए मंगलवार को कहा, "मंगल की कक्षा में जाने वाले अंतरिक्ष यान की कक्षा बढ़ाने की चौथी कोशिश पांच बजकर तीन मिनट पर शुरू हुई और 303.8 सकेंड के बर्न टाइम के भीतर सफलता से पूरी हो गई. यान 78,276 किलोमीटर की दूरी से आगे बढ़कर 1,18,642 किलोमीटर दूर पहुंच गया है."

सोमवार को मंगलयान की कक्षा बढ़ाने की चौथी कोशिश हुई थी, जो नाकाम रही. 24 घंटे बाद हुई दूसरी कोशिश के दौरान सब कुछ वैज्ञानिकों के अनुमान के मुताबिक हुआ. यान 124.9 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से आगे तरफ बढ़ा. सुबह पांच बजकर दस मिनट पर कार्रवाई पूरी हो गई.

मंगलयान अब 16 नवंबर तक इसी दूरी पर पृथ्वी का चक्कर काटेगा और अपनी रफ्तार बढ़ाता रहेगा. 16 नवंबर को यान को इसे और दूर भेजने की पांचवीं कोशिश की जाएगी. अगर सब कुछ ठीक रहा तो यान धरती से 1,92,000 किलोमीटर दूर पहुंच जाएगा.

ब्रह्मांड की यात्रा पर मंगलयानतस्वीर: NASA Ames/JPL-Caltech

सोमवार को हुई कोशिश के दौरान यान का 440 न्यूटन लिक्विड इंजिन बद हो गया. इसके चलते यान को पृथ्वी के गुरुत्व बल को तोड़ते हुए बहुत आगे जाने के लिए पर्याप्त ताकत नहीं मिली. यान एक लाख किलोमीटर के बजाए सिर्फ 78,276 किलोमीटर आगे जा सका. इसके बाद भारत के मंगल अभियान को लेकर आशंकाएं उठने लगी थी. मंगल तक गए अब तक सारे अभियान पहली बार नाकाम रहे हैं. अब तक सिर्फ एक तिहाई मौके ही ऐसे रहे हैं जब किसी भी देश का मंगल अभियान सफल रहा हो. ऐसी आशंकाओं को खारिज करते हुए मंगलवार को इसरो ने कहा कि मंगलयान "सामान्य और 100 फीसदी सुरक्षित है."

इसरो की अहम परीक्षा पहली दिसंबर को होगी. उस दिन यान धरती की अंतिम बाहरी कक्षा से पूरी तरह बाहर निकलता हुआ मंगल की ओर बढ़ेगा. यानी इसके बाद यान धरती का चक्कर नहीं काटेगा.

भारत ने पांच नवंबर 2013 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से मंगलयान को रवाना किया. मंगलयान को भारत पीएसएलवी सी 25 रॉकेट से भेजा गया. 1,350 किलोग्राम का मंगलयान एक उपग्रह है जिसे 78 करोड़ किलोमीटर की यात्रा कर लाल ग्रह कहे जाने वाले मंगल की कक्षा तक पहुंचना है. उम्मीद है कि यान सितंबर 2014 तक अपनी मंजिल पर पहुंच जाएगा.

ओएसजे/एएम (पीटीआई)

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