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हिज्बुल्लाह की सरकार पर लेबनान में घमासान

२५ जनवरी २०११

लेबनान में हिजबुल्लाह ने सरकार बनाने के लिए जरूरी समर्थन हासिल कर लिया है. इसके साथ ही अरबपति व्यापारी नजीब मिकाती का प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है. लेकिन इस एलान के बाद पूरा देश उबल रहा है.

तस्वीर: AP

हिज्बुल्लाह के सरकार बनाने की कोशिशों को पूर्व प्रधानमंत्री साद हरीरी ने तख्तापलट करार दिया है. हरीरी की पार्टी के इस आरोप के बाद पूरे देश में दंगे भड़क गए और लोग विरोध प्रदर्शनों के लिए सड़कों पर उतर आए. हरीरी की सुन्नी बहुल पार्टी ने कहा है कि हिजबुल्लाह ने प्रधानमंत्री पद के लिए अपना उम्मीदवार थोपा है.

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इस बयान के बाद सुन्नी बहुल इलाकों में लोगों ने सड़कों पर जाम लगा दिया और टायर जलाए. प्रदर्शनकारियों ने 'सुन्नी खून उबल रहा है' और 'हिज्बुल्लाह, शैतानों की पार्टी' जैसे नारे लगाए. मिकाती के गृह नगर त्रिपोली में भी जोरदार विरोध प्रदर्शन हुए हैं.

लेबनान में सत्ता के बंटवारे का समझौता कुछ यूं है कि राष्ट्रपति एक ईसाई होगा, संसद का स्पीकर शिया मुसलमान होगा जबकि प्रधानमंत्री पद एक सुन्नी मुसलमान को मिलेगा. लेकिन अब शिया संगठन हिज्बुल्लाह अपने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार बनाने जा रहा है.

इस बात पर अमेरिका ने भी चिंता जताई है. अमेरिका ने कहा कि हिज्बुल्लाह का लेबनान की सरकार में मुख्य भूमिका निभाना दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित कर सकता है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता फिलिप क्राउली ने कहा, "अगर हिज्बुल्लाह सरकार में अहम भूमिका निभाता है तो यह हमारे लिए फिक्र की बात होगी."

तस्वीर: AP

हिज्बुल्लाह ने कहा कि उसने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर 128 सदस्यों वाली संसद में जरूरी बहुमत जुटा लिया है. राष्ट्रपति मिशेल सलाइमान मंगलवार को प्रधानमंत्री के नाम का एलान कर सकते हैं. इससे पहले वह सभी राजनीतिक दलों से मुलाकात करेंगे.

हिज्बुल्लाह ने 12 जनवरी को सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दी थी. तब उसके सभी मंत्रियों ने सरकार से इस्तीफा दे दिया था. लिहाजा प्रधानमंत्री हरीरी को पद छोड़ना पड़ा.

हिज्बुल्लाह पर अमेरिका ने आतंकवादी संगठन बताते हुए प्रतिबंध लगा रखा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

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