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हिमालय का बेटाः हिलेरी परिवार

२८ अप्रैल २०१४

पीटर एडमंड हिलेरी सिर्फ 11 साल के थे, जब उन्होंने पहली बार हिमालय के इलाके में कदम रखा. लेकिन इन सफेद पहाड़ियों से उनका रिश्ता बहुत पहले जुड़ चुका था क्योंकि वह सर एडमंड हिलेरी के बेटे हैं.

Mount Everest Lawine 18.04.2014
तस्वीर: Buddhabir RAI/AFP/Getty Images

पीटर हिलेरी याद करते हैं, "तब पापा हमें सोलुखुंबू जिले ले गए और हमने वहां से हिमालय बेस कैंप तक ट्रेकिंग की." हिमालय की 8848 मीटर ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने वाले एडमंड हिलेरी पहले दो व्यक्तिों में शामिल थे. मई, 1953 में उनके साथ नेपाल के तेनजिंग नॉर्गे ने पहली बार दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर फतह हासिल की. उसके एक साल बाद पीटर हिलेरी का जन्म हुआ.

पीटर हिलेरी और तेनजिंग के बेटे जामलिंग तेनजिंगतस्वीर: DW/Stefan Nestler

हिलेरी और नॉर्गे की मिसाल

पीटर बताते हैं, "मैंने अपना 12वां जन्मदिन थांगबोचे मठ में मनाया. मुझे याद है कि हम हिमनद के पास से गुजर रहे थे और पापा किसी चीज को रास्ते से उठा कर कहते थे कि उन्हें कैंप के जमाने से यह याद है." एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नॉर्गे ने दुनिया भर के पर्वतारोहियों के लिए मिसाल रखी. इसके साथ ही हिलेरी परिवार और नेपाल के बीच दोस्ती की भी शुरुआत हुई.

हिलेरी परिवार ने पर्वतों में हिमालयन ट्रस्ट की स्थापना की, जो शिक्षा और दूसरे विकास कार्यों में लगा है. पीटर हिलेरी इसके उपाध्यक्ष हैं और हर साल प्रोजेक्ट वाले इलाकों का दौरा करते हैं ताकि पिता के सपनों को पूरा किया जा सके.

पीटर हिलेरी जब पहली बार 1990 में एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचे, तो उन्होंने अपने पिता को फोन किया. उसे याद करते हुए वह बताते हैं, "यह जबरदस्त था. यह सूचना क्रांति की शुरुआत थी. हमारे पास एक सैटेलाइट फोन था, जो आज के जमाने के फोनों की तरह नहीं था. उसका वजन 90 किलो था और हम ऊपर से वॉकी टॉकी की मदद से बात कर सकते थे. नीचे बेस कैंप में जेनेरेटर और बैट्रियां थीं, जिसकी मदद से यह काम कर रहा था."

कचरा नीचे लाओ

पीटर बताते हैं कि उस वक्त उनके पिता ने बेहद अहम सलाह दी, "उन्होंने कहा कि अभी काम पूरा नहीं हुआ है, जब तक कि तुम सुरक्षित नीचे नहीं पहुंच जाते हो. मुझे लगता है कि यह सलाह सिर्फ पर्वतारोहण में ही नहीं, हर जगह लागू होती है."

एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नॉर्गे की ऐतिहासिक तस्वीरतस्वीर: picture-alliance/AP Photo

उन्होंने 2002 में दोबारा माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की और अपने पिता की उपलब्धि के 50 साल का जश्न मनाया. यह नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी के पर्वतों पर चढ़ने के इतिहास पर बन रहे खास फीचर में उनका योगदान था. इसके बाद से पर्वतारोहण बहुत प्रतिद्ंवद्विता का मसला बन गया है. इस साल नेपाल ने पर्वतारोहण के लिए नए कानून बनाए हैं. इसके तहत हर पर्वतारोही को गाइड लेना जरूरी होगा और हर पर्वतारोही को आठ किलो कचरा ऊपर से नीचे लाना होगा.

पीटर हिलेरी का कहना है, "समझदार होने के नाते, आपको कचरे का ध्यान देना होगा और समझना होगा कि इससे पर्यावरण पर क्या असर पड़ रहा है." हालांकि वह गाइड वाले नियम से बहुत संतुष्ट नहीं हैं, "अगर सरकार कह रही है कि राइनहोल्ड मेसनर या अपा शेरपा के साथ भी गाइड जाए, तो यह ठीक नहीं है." ये दोनों दुनिया के सबसे बड़े पर्वतारोही माने जाते हैं.

एजेए/आईबी (डीपीए)

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