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हिरासत में मौत के मामले में अमेरिकी पुलिस अधिकारी बर्खास्त

२७ मई २०२०

अमेरिका में पुलिस के चार अधिकारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है. ये लोग एक काले शख्स की गिरफ्तारी में शामिल थे जिसकी पुलिस हिरासत में मौत हो गई.

USA Minneapolis Gedenkstätte für George Floyd
तस्वीर: picture-alliance/abaca/Minneapolis Star Tribune/TNS/E. Flores

किसी राहगीर ने एक वीडियो शेयर किया था जिसमें एक पुलिस अधिकारी को हथकड़ी पहने शख्स के गले को अपने घुटने से दबाते हुए देखा जा सकता है. हिरासत में लिया गया शख्स सांस ना ले पाने की शिकायत कर रहा था लेकिन पुलिस अधिकारी उसकी बात नहीं सुन रहे थे. घटना अमेरिका के मिनेसोटा राज्य के मिनेपोलिस की है. शहर के मेयर जेकब फ्रे ने बर्खास्तगी की सूचना दी और ट्विटर पर इसे "सही कदम" बताया.

सोमवार की रात हिरासत में लिए शख्स की मौत हो गई और मंगलवार को अधिकारियों को बर्खास्त किया गया. अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी एफबीआई और राज्य का प्रशासन हिरासत में हुई मौत की जांच कर रहे हैं. इस घटना ने 2014 में एरिक गार्नर के मामले की याद ताजा कर दी है. तब न्यूयॉर्क की पुलिस ने गार्नर को पकड़ रखा था और वह सांस ना ले पाने की शिकायत कर रहा था.

सोमवार को जिस शख्स की मौत हुई उसका नाम जॉर्ज फ्लॉयड है. 46 साल के जॉर्ज एक रेस्तरां में सिक्योरिटी गार्ड का काम करते थे. वह इस जगह पांच साल से थे और रेस्तरां के मालिक के घर में ही किराए पर रहते थे. फेसबुक पर लिखे पोस्ट में मेयर ने काले लोगों से माफी मांगी है. उन्होंने लिखा है, "अमेरिका में काला होने का मतलब मौत की सजा नहीं होनी चाहिए. हमने पांच मिनट तक एक गोरे अफसर को काले शख्स की गर्दन दबाते देखा. पांच मिनट, अगर आप किसी को मदद के लिए पुकारते देखते हैं, तो आपको मदद करनी चाहिए. वह अधिकारी बुनियादी मानवीय अनुभूतियों को समझने में नाकाम रहा."

जैकब फ्रे, मेयरतस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/Minneapolis Star Tribune/J. Schneider

पुलिस का कहना है कि हिरासत में लिया गया शख्स एक राशन की दुकान पर हुई जालसाजी के मामले में संदिग्ध जैसा दिख रहा था और उसने गिरफ्तारी से बचने की कोशिश की. वीडियो जमीन पर गिरे, बिना शर्ट वाले शख्स की तस्वीर से शुरू होता है. इसके ठीक पहले क्या हुआ यह पता नहीं चल रहा. एक अधिकारी ने अपने घुटने से उसकी गर्दन को दबा रखा था और उसकी गिड़गिड़ाहट को नहीं सुन रहा था, "प्लीज, प्लीज, प्लीज, मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं. प्लीज" इस दौरान फ्लॉयड कराह भी रहे थे. एक अफसर ने कहा, "वह बात कर रहा है इसका मतलब वह सांस ले रहा है." हालांकि इसके बाद फ्लॉयड ने बात करना बंद कर दिया और धीरे धीरे अधिकारी के दबाव से उनकी हरकतें थमनी शुरू हो गईं. अधिकारी ने तब तक अपना घुटना नहीं हटाया, जब तक कि स्वास्थ्यकर्मियों ने उसे स्ट्रेचर पर नहीं चढ़ा दिया. इस दौरान बहुत सारे लोग वहां जमा हो गए और कुछ लोगों ने वीडियो भी बना लिया. उनमें से कई लोग अधिकारियों पर चीखे चिल्लाए भी. 

फ्लॉयड के परिवार ने नागरिक अधिकारों के जाने माने वकील बेन क्रंप को इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए काम पर लगाया है. उनका कहना है कि पुलिस अधिकारियों की बर्खास्तगी न्याय की दिशा में एक अच्छा कदम है लेकिन शहर को नीतियों और प्रशिक्षण में कमी को भी दूर करना होगा जिनकी वजह से गैरकानूनी हत्याएं होती हैं. मिनेपोलिस पुलिस के प्रमुख का कहना है कि इस मामले में आंतरिक जांच होगी.

पुलिस ने मामले में शामिल अधिकारियों के पहचान नहीं बताए हैं. हालांकि टॉम केली नाम के वकील ने इस बात की पुष्टि की है कि वे डेरेक चाउविन नाम के पुलिस अधिकारी की ओर से मुकदमा लड़ेंगे. केली के मुताबिक चाउविन ने ही फ्लॉयड के गले को घुटने से दबाया था. चाउविन के सर्विस रिकॉर्ड के बारे में पुलिस की ओर से ज्यादा जानकारी नहीं दी गई. हालांकि मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक वह उन छह अधिकारियों में एक हैं जिन्होंने 2006 में वायने रेयेस की मौत के समय अपने हथियारों का इस्तेमाल किया था. पुलिस का कहना था कि रेयेस ने दो लोगों को चाकू मारने के बाद पुलिस अधिकारियों पर शॉटगन तान दिया था. चाउविन ने 2008 में एक आदमी को गोली मार कर घायल किया था. यह घरेलू हिंसा से जुड़ा कोई मामला था.

इस बीच प्रदर्शनकारियों ने उस चौराहे को जाम कर दिया है जहां फ्लॉयड की मौत हुई. इन लोगों ने एक मोर्चा भी निकाला और रास्ते में पड़ने वाली दुकानों और गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया. मिनेसपोलिस में संदिग्ध के गर्दन को घुटने से दबाने की मंजूरी है. इसके लिए अधिकारियों को ट्रेन किया जाता है लेकिन उसमें ध्यान रखना होता है कि वे कैसे दबाव बनाएं कि हवा बंद ना हो. पुलिस के हैंडबुक में इसे बिना जान लिए किसी को काबू में करने का तरीका माना गया है. बीते सालों में अमेरिका में कई काले लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हुई है. इसे लेकर पुलिस अधिकारियों पर नस्लभेदी रवैया रखने के भी आरोप लगते हैं.

एनआर/आईबी (एपी)

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