मोबाइल पर लगातार दीपावली की शुभकामनाएं आ जा रही हैं. लेकिन इन शुभकामनाओं के बाद रात में बहुत ही तेज आवाज वाले बम फोड़े जाएंगे. लोग परेशान होंगे लेकिन बम फोड़ने वालों को इससे फर्क थोड़े ही पड़ता है.
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दीपावली यानि श्रावण अमावस्या की रात. कहानियों के मुताबिक इसी दिन राम वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे. अंधकार हटाने के लिए प्रजा ने दीप जलाए. और दीवाली की शुरुआत हुई. आज घरों में जगमग बिजली की रोशनी है. लेकिन फिर भी सांकेतिक रूप से जलते दीपक दिवाली का संदेश देते हैं. माहौल में गर्माहट भरते हैं. परिवार करीब आता है और खुशी का अहसास होता है.
और इस खुशनुमा अहसास के बाद झल्लाहट शुरू होती है. रात 10 बजे तक मुर्गा छाप जैसे पटाखों से लोगों को कोई समस्या नहीं होती. लेकिन रस्सी में लिपटे हुए हथगोले जैसे दिखते बमों से परेशानी होती है. लेकिन इसके बावजूद करीब करीब हर जगह कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो बहुत ही ज्यादा आवाज करने वाले बम फोड़ते हैं. कभी कभार तो सुतली में आग लगाकर बम दूसरों की तरफ फेंक दिये जाते हैं.
रात में 10 बजे, 11 बजे, 12 बजे या फिर एक बजे तक धमाके होते हैं. धमाकों की बहरा कर देने वाली तेज आवाज बच्चों और बुजुर्गों को बहुत परेशान करती है. सहमे बच्चे मां बाप से लिपट जाते हैं और बुजुर्ग करवटें बदलते रहते हैं. लेकिन दूसरे की परवाह किसे है, क्योंकि शुभकामनाएं तो पहले ही दी जा चुकी हैं.
पटाखा उद्योग की दबी-छुपी बातें
दीपावली पर पटाखे चलाने को लेकर देश में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बहस छिड़ी हुई है. लेकिन देश के पटाखा उद्योग की ऐसी तमाम बातें हैं जिन पर कोई चर्चा भी नहीं होती. एक नजर
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चीन के बाद
दुनिया में चीन के बाद भारत सबसे बड़ा पटाखा उत्पादक देश है. हालांकि भारत में चीन से आने वाला सारा माल गैर कानूनी चैनलों से आता है.
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पहले कोलकाता
सिवाकासी पटाखे कारोबार का हब है, लेकिन इसकी शुरुआत कोलकाता से हुई थी. लेकिन बुनियादी सेवाओं के अभाव में इसे सिवाकासी में शुरू किया गया.
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अनुसंधान केंद्र
आतिशबाजी अनुसंधान एवं विकास केंद्र की सिवाकासी में स्थापना की गयी है. सिवाकाशी, देश की आतिशबाजी मांग का 90 फीसदी हिस्सा पूरा करता है.
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निर्यात दर
भारत दुनिया में आतिशबाजी निर्माण का बड़ा केंद्र हैं लेकिन भारत इसका निर्यातक नहीं है, क्योंकि आयातक देशों के सुरक्षा मानकों पर भारत खरा नहीं बैठता.
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आयात की दर
आतिशबाजी को वाणिज्य मंत्रालय ने प्रतिबंधित वस्तुओं की सूची में रखा है, पेट्रोलियम और एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन की ओर से पटाखों को आयात करने की अनुमति नहीं है.
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दीवाली की रात सरकारी अस्पतालों की इमरजेंसी में बम पटाखों की दुर्घटनाओं के कई मामले आते हैं. इंसान के कान 50 से 65 डेसीबल की आवाज को बड़े अच्छे से सुनते हैं. लेकिन कई बमों की आवाज 160 डेसीबल से भी ज्यादा होती है और कान के पर्दों को नुकसान पहुंचाती है. शोर के अलावा वायु प्रदूषण भी बड़ी समस्या है. दिल्ली में ही पिछले साल दीवाली के मौके पर हवा में जहरीले तत्व सुरक्षित सीमा से करीब आठ गुना ज्यादा थे. इस साल भी यही स्थिति बन चुकी है. देश में हर साल वैसे ही 12 लाख लोग दूषित हवा की वजह से मारे जा रहे हैं. किसी को दमा हो रहा है तो किसी को लंग कैंसर और दिल की बीमारियां.
लेकिन इसके बावजूद एक समाज के रूप में अब तक ये आम राय नहीं बन सकी है कि दीपों के पर्व को रोशनी से ही जगमग किया जाए और पटाखे अगर फोड़े भी जांए तो इस तरह कि स्वास्थ्य को नुकसान न पहुंचे. सुप्रीम कोर्ट ने जब दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर बैन लगाया तो सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने ऐसी भड़ास निकाली जैसे कोर्ट ने भारी गुस्ताखी कर दी हो. वे भूल गए त्योहार जीवन में पीड़ा नहीं भरते, बल्कि एक समाज के रूप में सबको आनंदित करने के लिए मनाये जाते हैं.
(दिवाली मनाते शहर)
दिवाली मनाते शहर
दुनियाभर के शहरों में लाइट फेस्टिवल्स का चलन लगातार बढ़ता जा रहा है. चौराहों, गलियों, पुलों और इमारतों को खूबसूरत लाइट्स से सजाया जाता है और शहर चमक उठता है. देखिए कुछ नजारे..
तस्वीर: picture-alliance/dpa
फ्रैंकफर्ट
13 मार्च से 18 मार्च 2016 तक माइन नदी के किनारे बसे इस खूबसूरत शहर को झिलमिलाती लाइट्स से सजाया गया है. लाइट शो और कला झांकियों का पर्व 'ल्यूमिनाले' यहां हर दो साल में मनाया जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Roessler
बाल्टिमोर
28 मार्च से 3 अप्रैल 2016 तक एक हफ्ते के लिए अमेरिका में मेरीलैंड का बाल्टिमोर शहर लाइट सिटी में तब्दील हो जाएगा. यहां विविध किस्म के लाइट आर्ट कार्यक्रमों का आयोजन होगा.
तस्वीर: Light City Baltimore
सियोल
पेड़ों और जानवरों की मूर्तियों से लिपटी लाखों एलईडी लाइटें इन्हें एक फंतासी में बदल देती हैं. दक्षिण कोरिया की राजधानी में साल में एक बार बॉटेनिकल गार्डनों में इस तरह का आयोजन होता है. ये अचिम गायो अर्बोरेटम की तस्वीर है.
तस्वीर: Korea Tourism Organization
मॉस्को
गर्मियों के आखिरी दिनों में साल में एक बार दुनिया भर के लाइट आर्टिस्ट रूस की राजधानी का रुख करते हैं और इस शहर को लाइटों से सराबोर कर देते हैं. ये झिलमिलाती इमारत वहीं से है.
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लंदन
लंदन सालों से पूरी दुनिया का आकर्षण रहा है. इस साल पहली बार टेम्स नदी के किनारे बसे लंदन शहर की खूबसूरत जगहों को ल्यूमिएर लंदन पर्व में एक नई रोशनी में देखा जा सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Arrizabalaga
येरूशलेम
25 मई से 2 जून तक ये पुराना शहर लाइट फेस्टिवल की रोशनी में जगमगा उठेगा. यहूदी, ईसाई और मुसलमानों की धार्मिक आस्था के लिहाज से अहम इस शहर को थ्री डी लाइट के जरिए उकेरा जाएगा.
तस्वीर: Lights in Jerusalem
न्यू ओर्लिंस
2018 में मिसीसीपी में बसे इस अमेरिकी शहर का 300वां जन्मदिन है. लूना फेट में इस महोत्सव की कुछ झलकियां दिखाई देंगी. यहां 2014 से लाइट फेस्टिवल मनाया जा रहा है.
तस्वीर: Council New Orleans
गेन्ट
बेल्जियम के शहर गेन्ट में होने वाले लाइट फेस्टिवल को देखने 5 लाख से अधिक लोग आते हैं. ये फेस्टिवल हर तीन साल में मनाया जाता है. 2015 में यहां लाइट आर्ट डिजाइनरों ने 44 विशाल कृतियां बनाई थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
मॉन्ट्रियल
कनाडा के इस शहर में हर साल फरवरी और मार्च में मॉन्ट्रियल लाइट शो का आयोजन होता है. इस साल इसका लुत्फ उठाने 10 लाख से अधिक लोग जुटे थे.
तस्वीर: Montreal en Lumiere
बर्लिन
जर्मनी की राजधानी बर्लिन में अक्टूबर में रोशनी के दो त्योहार मनाए जाते हैं. बर्लिन लॉयष्टेट और फेस्टिवल ऑफ लाइट्स में शहर का नजारा उभर उठता है.
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सिडनी
ऑस्ट्रेलिया में विविड सिडनी महोत्सव में हर साल दर्शकों की भीड़ बढ़ती जा रही है. पिछले साल 17 लाख से अधिक लोग पहुंचे और इस साल 27 मई से 18 जून तक होने वाले महोत्सव और ज्यादा लोग आएंगे.