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मदद की ऊब पहुंची फिलीपींस

१३ नवम्बर २०१३

5,400 कंबल, 3,000 तंबू और चिकित्सा के उपकरण. जर्मनी से राहत सामग्री की पहली खेप फिलीपींस पहुंच गई है. लेकिन अभी तक साफ नहीं है कि क्या इस्तेमाल किया जा सकेगा. साथ ही यह भी अहम है कि राहतकर्मी आपस में मशविरा कर लें.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

राहत संगठन केयर की कर्मचारी सांड्रा बुलिंग ने डीडबल्यू को बताया, "दाएं बाएं, सड़क के दोनों तरफ घरों के मलबे पड़े हैं. बिजली के खंभों पर छतें ऐसे लटकी हैं, मानो तौलिया पसर रहा हो." बुलिंग फिलीपींस के लेयते प्रांत के ताकलोबान पहुंची हैं, जहां तूफान के कारण सबसे ज्यादा क्षति हुई है. बताया जा रहा है कि सिर्फ यहां 10,000 लोग मारे गए हैं.

जर्मनी कैसे इन इलाकों में मदद कर रहा है. राहत संगठनों के केंद्रों में अभी तक किसी को सही सही पता नहीं है कि फिलीपींस में कहां राहत की किन चीजों की तुरंत जरूरत है.

केयर जर्मनी की सांड्रा बुलिंगतस्वीर: CARE

कई सवालों के बीच जर्मन राहतकर्मियों ने काम शुरू कर दिया है. रविवार को फ्रैंकफर्ट से जरूरी सामान के साथ एक विशेष विमान मनीला पहुंचा. 25 टन राहत सामग्री में कंबल, प्लास्टिक के तंबू और दवाइयां हैं. साथ ही हड्डी टूटने की स्थिति में उपयोग किए जाने वाले उपकरण भी हैं. यह सामग्री वर्ल्ड विजन और एक्शन डॉयचलैंड हिल्फ्ट संगठन ने भेजी है.

राहत सामग्री के अलावा जर्मन राहतकर्मी भी मनीला पहुंच चुके हैं. तकनीकी राहत के लिए बनी संघीय संस्था ने पांच विशेषज्ञ भेजे हैं. इस संस्था के विशेषज्ञ सामान्य तौर पर साफ पानी मुहैया कराने के लिए काम करते हैं.

रास्ते बंद

राहतकर्मियों के लिए वहां तक पहुंचना भी मुश्किल है, जहां उनकी मदद की जरूरत है. हवाई अड्डे, सड़कें और बंदरगाह टूटे हुए हैं. कई हिस्से पानी में बह गए हैं. फिलीपींस में यातायात बड़ी दिक्कत है. एक्शन डॉयचलैंड की मारिया रुइथर के मुताबिक, "पहले तो मलबा हटाना होगा ताकि लोगों तक मदद पहुंच सके."

राजधानी मनीला तक आपदा पीड़ित इलाकों से बहुत ही धीमें खबरें पहुंच रही हैं. मिसेरेओर में एशिया विभाग के प्रमुख उलरिष फुइसर पार्टनर संगठन के साथ संपर्क में हैं. लेकिन "हालात की तस्वीर थोड़ी थोड़ी कर के ही बन पा रही है."

जर्मन पोस्ट विभाग ने अपना आपदा राहत कार्यक्रम तैयार किया है. पोस्ट की प्रवक्ता क्रिस्टियाना मुइशन के मुताबिक आपदा प्रबंधन टीम में, "वो लोग हैं जो लॉजिस्टिक में सक्रिय हैं और संकटग्रस्त इलाकों के हवाई अड्डों पर मदद कर सकते हैं, राहत सामग्री को उतारने में." लेकिन सबसे अहम है कि सभी राहतकर्मी एक साथ हों. माल्टेसर हेल्प सर्विस की कोर्डुला वासर कहती हैं, "हम दूसरे राहत संगठनों के साथ तालमेल कर रहे हैं ताकि एक ही काम बार बार न हो, यह बहुत अहम है." वैसे तो राहत संगठन इस तरह की आपदाओं में अपनी योजना के हिसाब से ही आते हैं लेकिन तकनीकी राहत भी कहता है कि अकेले कोई कदम नहीं उठाए जाए. "अकेले कोई कदम नहीं. जर्मन संगठनों के लिए सबसे पहला साझीदार है विदेश मंत्रालय और मनीला में जर्मन दूतावास और फिलीपींस के कार्यालय. संयुक्त राष्ट्र के मानवीय आपदा समन्वय केंद्र के साथ फिर एक योजना बनाई जाएगी.

हैयान का असर ताकलोबान में सबसे ज्यादातस्वीर: picture-alliance/AP Photo

रिपोर्टः वेरा कैर्न/आभा मोंढे

संपादनः ए जमाल

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