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हैवानियत से शर्मिंदा फ़्रित्सल

१७ मार्च २००९

तमाम रिश्तों को कलंकित करने वाले ऑस्ट्रिया के योज़ेफ़ फ़्रित्सल ने आख़िरकार आज अदालत में अपना बदनुमा चेहरा मीडिया को दिखाया.

चेहरा दिखाते हुए फ़्रित्सलतस्वीर: AP

73 साल का योज़ेफ़ फ़्रित्सल एक बार फिर नीली फ़ाइल से चेहरा छिपाए ऑस्ट्रिया की अदालत में पेश हुआ. शायद अपनी घिनौनी हरकतों का थोड़ा बहुत एहसास हो रहा था. बंद कमरे में जब सुनवाई शुरू हुई, तो फ़्रित्सल ने थोड़ी देर के लिए फ़ाइल हटा ली और पहली बार मीडिया के सामने उसका चेहरा आया. अदालत की कार्रवाई का दूसरा दिन बंद कमरे में चल रहा है क्योंकि इसमें उसकी बेटी की आपबीती की वीडियो रिकॉर्डिंग दिखाई गई और क़ानूनी तौर पर इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता. फ़्रित्सल की मौजूदगी में ज्यूरी ने ग्यारह घंटों की रिकॉर्डिंग के कुछ हिस्से सुने. बेहद भावनात्मक और पीड़ा से भरे इस रिकॉर्डिंग में उन तमाम आरोपों का ज़िक्र है, जिसके तहत फ़्रित्सल पर चौबीस साल तक अपनी ही बेटी का बार बार बलात्कार करने और उससे सात बच्चे पैदा करने की यातना भरी बातें दर्ज हैं. उधर, फ़्रित्सल के वकील का कहना है कि तिहत्तर साल का फ़्रित्सल शर्मिंदा है.

हालांकि अदालत मानती है कि फ़्रित्सल का सिर्फ़ शर्मिन्दा भर हो जाना उसके अपराध की वीभत्सता कम नहीं कर सकता. फ़्रित्सल पहले ही अदालत में इस बात को मान चुका है कि उसने लगातार अपनी बेटी को सलाख़ों में बंद करके रखा, उसका बलात्कार किया और उससे कई बच्चे पैदा हुए. हालांकि उसने एक बच्चे की हत्या का जुर्म नहीं क़बूल किया है. ऑस्ट्रिया के सांक्ट पोल्टेन शहर में चल रहे इस मुक़दमे की अदालत के प्रवक्ता फ्राट्स कुटका फ़्रित्सल के इतने बयान से संतुष्ट नहीं हैं. उनका मानना है कि आने वाले दिनों में फ़्रित्सल को साफ बताना होगा कि उसका जु्र्म को एक हद तक मानने से क्या मतलब है.

फ्रिट्सल के वकील मायरतस्वीर: AP

वीडियो सबूत और फ़्रित्सल को जांच रही मनोवैज्ञानिक हाईडी कास्ट्नर के अलावा केवल बच्चे की मौत और तहखाने में नज़रबंदी पर सरकारी दस्तावेज़ पेश किए गए. और कोई गवाही के पेश होने की उम्मीद नहीं है.

फ़्रित्सल पर इल्ज़ाम है कि उसने अपनी बयालीस साल की बेटी को चौबीस साल तहखाने में रखा, जहां न तो कोई खिड़कियां थी न रोशनी. अदालत सुनवाई पूरी होने पर गुरुवार या शुक्रवार को सज़ा सुनाएगी. हालांकि ऑस्ट्रिया के क़ानून में मौत की सज़ा नहीं है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/मानसी गोपालकृष्णन

एडिटर: ए जमाल

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